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आखिर कब तक नौकरी के नाम पर ठगी का शिकर होता रहेगा बेरोजगार
बस्ती। बेरोजगारी ने जहां ठगी करने वालों को राजा बना दे रहा है, वहीं बेरोजगार अपना सबकुछ बेचकर फकीर होता जा रहा है। कभी कोई कंपनी निवेश के नाम पर निवेषकों को चूना लगा रही है, तो कभी कोई कंपनी नौकरी के नाम पर ठगी कर रही है। ठगी का शिकार होने अगर समय रहते इसकी शिकायत पुलिस में करें तो बहुत ठगी के शिकार होने से बच सकते है। इसी ठगी का शिकार कप्तानगंज थाना क्षेत्र के पिलखांव निवासी राहुल कुमार पुत्र गणेशदत्त है। इन्होंने पुलिस अधीक्षक को पत्र देकर गु्रप डेवलपमेन्ट फाउन्डेशन के अध्यक्ष काशीनाथ मौर्या द्वारा नौकरी दिलाने के नाम पर की गई धोखाधड़ी मामले में मुकदमा दर्ज कराकर कार्रवाई कराने और ठगी का शिकार हुये लोगों का रूपया वापस दिलाने की मांग किया है। एसपी को दिये पत्र में राहुल कुमार ने कहा है कि कोतवाली थाना क्षेत्र के डमरूआ में गु्रप डेवलपमेन्ट फाउन्डेशन का कार्यालय खोला गया। इसमें काशीनाथ मौर्या, कमलेश सचान, अजय कुलश्रेष्ठ और अजय आजाद ने बेरोजगार युवक, युवतियों को नौकरी दिलाने का लालच दिया गया। महिला संगनी बनाने के नाम पर 600 और सुपरवाइजर के नाम पर 1500 रूपया रजिस्ट्रेशन शुल्क वसूला गया। सुपरवाइजरों से नौकरी दिलाने की लालच देकर रिश्वत के रूप में 10 हजार से 30 हजार रूपये तक क वसूली की गई। कहा गया कि अप्रैल 2024 से वेतन मिलना शुरू हो जायेगा। जब लोगों को पता चला कि वे ठगी का शिकार हो रहे हैं तो इसकी शिकायत करने के बाद गु्रप डेवलपमेन्ट फाउन्डेशन का कार्यालय बंद कर काशीनाथ आदि फरार हो गये। राहुल कुमार ने मांग किया है कि गौर थाना क्षेत्र के कमलसिया निवासी काशीनाथ मौर्य, पौनी जप्ती निवासी अजय कुलश्रेष्ठ, नगर थाना क्षेत्र के कुढवा दयालपुर निवासी कमलेस सचान, अजय आजाद के विरूद्ध मुकदमा पंजीकृत कराकर ठगी का शिकार हुये लोगों को उनका लाखों की धनराशि वापस कराया जाय। पुलिस अगर मुकदमा दर्ज भी कर देती है, तो वह पैसा वापस नहीं दिला सकती। इस तरह के अधिकतर मामलों में अभियुक्त पकड़ में ही आता अगर आता भी है, तो वह ले देकर मामले को रफा दफा कर देता है। सालों लग जाते हैं, फिर भी न तो अभियुक्त पकड़ में आता और पैसा ही वापस मिलता। मीडिया बार-बार उन निवशकों और नौकरी पाने की लालच में सबकुछ गवांने वालों को सलाह देती आ रही है, कि वह पैसा देने से पहले खूब छानबीन कर ले। ध्यान रहे जब सरकार नौकरी नहीं दे पा रही है, तो फ्राड करने वाले कहां से नौकरी देगें। हैरानी तब होती जब फ्राड के इतने मामले सामने आने के बाद भी लोग धोखा खा जाते है। कहना गलत नहीं होगा कि जितना पैसा नौकरी पाने के लिए दिया जाता है, उतने पैसे में कोई रोजगार शुरु किया जा सकता है। लेकिन सरकारी नौकरी पाने और जल्दी अमीर बनने की लालच में लोग घर-बार जमीन और जायदाद सभी कुछ बेच दे रहे है।
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