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आखिर क्यों लोग ‘नरेंद्र भाटिया’ जैसा बनना चाहतें?

आखिर क्यों लोग ‘नरेंद्र भाटिया’ जैसा बनना चाहतें?

बस्ती। जब से नरेंद्र भाटिया का मामला मीडिया में उछला, तभी से यह सवाल उठने लगा कि क्या कोई नरेंद्र भाटिया जैसा बनना चाहेगा? हैरान करने वाली बात यह हैं, कि नरेंद्र भाटिया के द्वारा कमाई गई दौलत देख अनेक ऐसे हैं, जो यह कह रहें हैं, कि अगर उन्हें भी नरेंद्र भाटिया जैसा बनने का मौका मिलेगा तो हाथ से जाने नहीं देंगे। कहने का मतलब पैसे के लिए आज भी ऐसे लोग हैं, जो नरेंद्र भाटिया जैसा बेईमानी और ठगी का काम करना चाहते हैं। ऐसे लोगों का कहना है, कि जब हर कोई पैसे की ओर भाग रहा है, तो अगर नरेंद्र भाटिया ने ऐसा किया तो क्या बुरा किया? साथ में यह भी कहते हैं, पैसा कमाने के लिए इन्हें आरएसएस के नाम को बदनाम नहीं करना चाहिए था, और न ही आरएसएस जैसी स्वच्छ छवि का सहारा ही लेना चाहिए था। ऐसे लोग नरेंद्र भाटिया जैसा बनने के लिए आरएसएस में जाने को भी तैयार है। लोग कहते हैं, कि नरेंद्र भाटिया एक अच्छे दवा कारोबारी हो सकते हैं, लेकिन एक अच्छा इंसान नहीं हो सकते, क्यों कि एक अच्छा इंसान उसी को कहते हैं, जिसने कभी किसी को ठगा न हो दुख न पहुंचाया हो या फिर कभी किसी गरीब की जमीन को हड़पा न हो, लेकिन यहां पर तो नरेंद्र भाटिया पूरी तरह फेल नजर आ रहे हैं। हैरानी होती है, कि एक भी व्यक्ति ऐसा सामने आकर यह नहीं कहा कि जो खबरे इनके बारे में लिखी जा रही है, वह गलत है, या फिर किसी ने यह भी नहीं कहा कि भले ही चाहें इन्होंने लोगों की जमीनों को हड़पा और दुकान खाली करने के नाम पर लाखों रुपया लिया, लेकिन इंसान बुरा नहीं? पीड़ित लोग कहते हैं, इन्होंने किसी को भी नहीं छोड़ा, उन लोगों को भी नहीं छोड़ा जिन लोगों ने इनके बुरे समय में साथ दिया, या फिर जब दलितों की जमीन यह कब्जा कर रहे थे, तो सबसे अधिक इनका साथ इनके ही लोगों ने दिया, लेकिन मौका मिलते ही इन्होंने सबसे पहले उन्हीं को ठगा जिन्होंने इनकी मदद की। कहते हैें, कि जो व्यक्ति भगवान को ठग सकता है, उसे इंसान को ठगने में कितना समय लगेगा। आज इनके साथ कोई भी अपना नहीं खड़ा। यहां तक कि आरएसएस के लोग भी इनके साथ खड़े नजर नहीं आ रहे है। जो लोग अभी तक इनकी असलियत के बारे में नहीं जानते थे, उन लोगों को जब इनके बारे में जानकारी हुई तो कोई यह मानने को तैयार ही हो रहा था, कि नरेंद्र भाटिया जैसा प्रतिष्ठित व्यक्ति भी ऐसा कर सकता है। बाहर के लोग इनके बारे में और जानकारी लेना चाहते हैं। पूरे जिले में इस बात की चर्चा हो रही है, कि क्या कोई आरएसएस से जुड़ा मंडल के पदाधिकारी का चेहरा भी ऐसा हो सकता है। बार-बार कहा जा रहा है, कि बदनामी नरेंद्र भाटिया की नहीं बल्कि आरएसएस की हो रही है। सवाल उठ रहा है, कि क्या को सम्मानित कहे जाने वाला व्यक्ति ऐसा भी हो सकता है? जिन-जिन लोगों को इन्होंने दुकान खाली करने के नाम पर ठगा, उनमें कोई भी इन्हें माफ करने को तैयार नहीं है। कहते हैं, कि भले ही चाहें यह मेरा पैसा वापस कर दें, लेकिन कभी माफ नहीं करुगां, क्यों कि इन्होंने अपना बनकर ठगा, और रुलाया। कहते हैं, कि अगर यही काम किसी गैर ने किया होता तो उतनी पीड़ा और तकलीफ नहीं होती, जितना इनसे हुई। ऐसा लगता है, मानो इन्हें सामाजिक सरोकार से कोई मतलब नहीं, इन्हें तो सिर्फ और सिर्फ पैसे से मतलब है। अपार धन और दौलत के तो यह मालिक हो गए, लेकिन इंसानियत से इनका कोई रिष्ता और सरोकार नहीं रहा। यहां पर आरएसएस को बदनाम करने की मंषा नहीं हैं, अगर आज नरेंद्र भाटिया से आरएसएस नाता तोड़ दे तो कोई आरएसएस का नाम इनके साथ नहीं छोड़ेगा, जब तक इनका नाम आरएसएस के साथ जुड़ा रहेगा, तब तक आरएसएस का नाम सामने आएगा, अब यह आरएसएस के उपर निर्भर है, कि वह इनसे तोड़ती हैं या?

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