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आठ साल बाद पति को आत्महत्या को उकसाने वाली पत्नी को मिली जमानत
बस्ती। हाईकोर्ट ने पति को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में दस साल की सजा काट रही पत्नी को जमानत दी है। फास्ट ट्रैक कोर्ट प्रथम के न्यायाधीश प्रमोद कुमार गिरि की अदालत ने पति को आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में पत्नी को 10 वर्ष सश्रम कारावास व 20 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाया था थी, अर्थदंड न अदा करने पर दो वर्ष की अतिरिक्त कारावास भुगतने का आदेश भी हुआ। सजा के खिलाफ पत्नी ने अधिवक्ता केएल तिवारी के जरिए हाईकोर्ट में अपील किया। जिस पर हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति मनोज बजाज की बेंच ने शिकायतकर्ता व शासकीय अधिवक्ता के तर्कों को सुनते हुए सजा के फैसले को निलंबित करते हुए तत्काल जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है। मामला मुंडेरवा थानाक्षेत्र के ओड़वारा गांव निवासी दिलीप कुमार ने न्यायालय के माध्यम से मुंडेरवा थाने में केस दर्ज कराते हुए कहा था कि उसके एक बेटा संतोश दुबे व तीन बेटियां हैं। घर पर लड़का व बहु निक्की उर्फ रिंकी, हम पति-पत्नी व संतोश के बच्चे रहते हैं। संतोष की पत्नी निक्की झगड़ालू व मनबढ़ औरत है। विवाह के बाद से ही सभी से झगड़ा व मारपीट करती थी। निक्की ने परिवार के ऊपर दहेज उत्पीड़न का झूठा केस भी दर्ज कराया था। मेरे बेटे को उसकी पत्नी व ससुरालियों की ओर से आत्महत्या के लिए उकसाया जाता था। संतोश ने 27 मार्च 2017 को ट्रेन के सामने कटकर आत्महत्या कर ली थी.। पुलिस ने कोर्ट के आदेश पर केस दर्ज कर आरोप-पत्र निक्की उर्फ रिंकी के खिलाफ कोर्ट में दाखिल किया था। जनपद न्यायाधीश ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद साक्ष्य के आधार पर पत्नी निक्की को आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में दोषी पाते हुए जिला न्यायालय ने दस साल की सजा और जुर्माना 20 हजार रुपए अर्थदंड से दंडित किया था..सजा के खिलाफ निक्की उर्फ रिंकी के द्वारा अपने ’अधिवक्ता के.एल.तिवारी’ के माध्यम से माननीय उच्च न्यायालय में सजा के खिलाफ अपील दायर कर न्याय की गुहार लगाई थी।
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