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अब नहीं बच पाएगें विकास प्राधिकरणों के भ्रष्ट अधिकारी!

अब नहीं बच पाएगें विकास प्राधिकरणों के भ्रष्ट अधिकारी!

-शासन ने सीएजी की रिपोर्ट के आधार पर भ्रष्टाचारी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने को सभी विकास प्राधिकरणों को पत्र लिखा

बस्ती। सरकार सीएजी के उस रिपोर्ट पर सख्त हो गई, जिसमें प्राधिकरणों में हुए भ्रष्टाचार के दोषी पाए गए अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की बात कही गई। रिपोर्ट में स्पष्ट कहा गया है, विकास प्राधिकरणों में हो रहे घोटाले और मनमानी को रोकने के लिए दोषी लोगों के खिलाफ कार्रवाई आवष्यक है। इस मामले में आवास विभाग की ओर से सभी विकास प्राधिकरणों को आदेश जारी किया गया है, कि जिन मामलों में सीएजी ने कार्रवाई करने की संस्तुति दी है, उनमें त्वरित कार्रवाई की जाए। यह भी लिखा हैं, अगर कार्रवाई करने में लापरवाही की गई तो कार्रवाई ना करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई होगी।

असल में विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान सदन के पटल पर सीएजी की रिपोर्ट रखी गई। इसे लेकर  शासन स्तर पर भी चर्चा हुई। जब इसकी समीक्षा हुई तो पाया गया कि दोषी अधिकारियों के खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। इस पर उच्च स्तर पर नाराजगी भी जताई गई। कहा गया कि किसी भी दशा में विकास प्राधिकरण का हित प्रभावित नहीं होना चाहिए, और जो कोई प्रभावित करने का प्रयास करता है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाए। सीएजी हर साल विकास प्राधिकरणों के कामकाज की समीक्षा करती है, जिसमें यह देखा जाता है, कि काम नियमानुसार हुआ कि निर्माण कार्य की गुणवत्ता कहीं खराब तो नहीं हुआ। संपत्तियों की विक्री कहीं नियमों को ताक पपर तो रखकर नहीं की गई। ठेकेदारों को भुगतान के समय जीएसटी एवं टीडीएस काटा जा रहा है, कि नहीं? षासन स्तर पर पिछले दिनों इसकी समीक्षा हुई विकास प्राधिकरणों से सीएजी के पैरेवार संस्तुति पर कार्रवाई करने का निर्णय लिया गया। कहा गया कि विकास प्राधिकरणों में हो रही मनमानी और घोटाले को रोकने के लिए दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करना आवष्यक है। अब सवाल उठ रहा है, कि अभी तक क्यों नहीं दोषियों के खिलाफ कार्रवाई हुई? कार्रवाई इस लिए नहीं होती क्यों कि पूरा आवास विभाग दोषियों को बचाने में लग जाता है। यह भी सवाल उठ रहा है, कि जब इनकी भी आडिट होती है, कर्मियां भी निेकलती है, तो फिर कार्रवाई क्यों नहीं होगी? इसकर सीधा का जबाव छोटे से लेकर बड़े तक भ्रष्टाचार में लिप्त रहना जनता मान रही है। बस्ती का विकास प्राधिकरण इसका अच्छाखासा उदाहरण है, करोड़ों रुपये का दुरुपयोग हुआ, कागजों में भी दुरुपयोग हुआ, सामानों की खरीद और वाहनों के इस्तेमाल से लेकर निर्माण कार्यो की घटिया गुणवत्ता शामिल है। बीडीए के द्वारा अपने कार्यालय के सामने निर्माण कराए गए सड़क की घटिया गुणवत्ता को कौन भूल सकता है। फिर भी ना ठेकेदार और ना ही इंजीनियर्स के खिलाफ कोई कार्रवाई हुई।

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