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‘अमितजी’ जितना चिल्लाएगंे ‘सीएमओ’ और ‘नोडल’ का रेट ‘उतना’ ही ‘बढ़ेगा’!

‘अमितजी’ जितना चिल्लाएगंे ‘सीएमओ’ और ‘नोडल’ का रेट ‘उतना’ ही ‘बढ़ेगा’!

-आप और भाजपा चिल्लातर रह जाएगी, लेकिन नूर अस्पताल पर कार्रवाई नहीं होगी, डीएम से नहीं योगीजी से भी मिलिए फिर भी कार्रवाई नहीं होगी

-यकीन मानिए जब तक नोडल डा. एसबी सिंह रहेगें, किसी भी दोषी अस्पताल संचालक के खिलाफ कार्रवाई नहीं होगी

-अमितजी अवैध अस्पतालों के संचालन से चिंता करने की कोई आवष्यकता नहीं, क्यों कि जिस सीएमओ और नोडल को चिंता करनी चाहिए वह तो मोटा लिफाफा थाम चुके

-डीएम से भी आप यह कहते रहेगें कि साहब निर्दोष मरीजों के जीवन के साथ नूर अस्पताल वाले खिलवाड़ कर रहे, फिर भी नूर वालो को कुछ नहीं होगा,अगर वाकई कुछ करवाना चाहते हैं, तो धरना-प्रदर्शन के जरिए अपनी आवाज उठाइए, ज्ञापन से कुछ नहीं होगा, यह बात आप की समझ में आ भी गई होगी

बस्ती। नूर अस्पताल के लाइसेंस को निरस्त और संचालक इम्तियाज अहमद खान के खिलाफ कार्रवाई करवाने के लिए जिस तरह भाजयुमो जिलाध्यक्ष अमित गुप्त और उनकी टीम डीएम से लेकर सीएमओ तक चिल्ला रही है, चिल्लाना बंद करें, क्यों कि यह जितना चिल्लाएगें नोडल डा. एसबी सिंह और सीएमओ का रेट बढ़ेगा, को मीडिया सलाह दे रही है, कि आप और भाजपा चिल्लाते रह जाएगी, लेकिन नूर अस्पताल पर कार्रवाई नहीं होगी, डीएम से नहीं योगीजी से भी मिलिए फिर भी कार्रवाई नहीं होगी, अगर वाकई कार्रवाई करवानी है, तो नोडल और सीएमओ दोनों को जिले से बाहर भेजवाना पड़ेगा, अगर आप और भाजपा के भीतर इतनी हिम्मत हैं, तो चिल्लाइए, वरना बंद कर दीजिए। यकीन मानिए जब तक नोडल डा. एसबी सिंह रहेगें, किसी भी दोषी अस्पताल संचालक के खिलाफ कार्रवाई नहीं होगी। अमितजी अवैध अस्पतालों के संचालन पर चिंता करने की कोई आवष्यकता नहीं, क्यों कि जिस सीएमओ और नोडल को चिंता करनी चाहिए वह तो मोटा लिफाफा थाम चुके है। डीएम से भी आप यह कहते रहेगें कि साहब निर्दोष मरीजों के जीवन के साथ नूर अस्पताल वाले खिलवाड़ कर रहे, फिर भी नूर वालांे का कुछ नहीं होगा, अगर वाकई कुछ करवाना चाहते हैं, तो धरना-प्रदर्शन के जरिए अपनी आवाज उठाइए, ज्ञापन से कुछ नहीं होगा, यह बात आप की समझ में आ भी गई होगी। अमितजी सच को स्वीकार करिए।

जनपद के दक्षिण दरवाजा स्थित नूर हॉस्पिटल में लंबे समय से अवैध रूप से चिकित्सकीय कार्य संचालित किया जा रहा है। अस्पताल के संचालक इम्तियाज अहमद खान, जो कि केवल एक्स-रे टेक्नीशियन हैं, कई वर्षों से फिजिशियन एवं सर्जन के रूप में कार्य कर रहे हैं। यह कार्य न केवल चिकित्सा नियमों का उल्लंघन है बल्कि भारतीय चिकित्सा परिषद् अधिनियम के प्रावधानों का भी सीधा हनन है। भाजयुमो  जिला अध्यक्ष ने बताया कि उन्होंने पिछले आठ महीनों में इस अवैध गतिविधि के संबंध में मुख्य चिकित्सा अधिकारी को कई बार लिखित शिकायतें दीं, किंतु अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। उल्टे, नोडल अधिकारी डा. एस० बी० सिंह द्वारा गलत रिपोर्ट प्रस्तुत कर अवैध रूप से संचालित इस अस्पताल को संरक्षण प्रदान किया गया है, जो कि अत्यंत चिंताजनक है। प्रदीप चौधरी व शिवशंकर श्रीवास्तव ने कहा कि “यह मामला न केवल चिकित्सा व्यवस्था की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न लगाता है, बल्कि निर्दोष रोगियों के जीवन को भी गंभीर खतरे में डालता है।” अधिवक्ता अमित पांडे व अभिनव सिंह ने कहा कि आम के साथ हो रहे खिलवाड़ के विरुद्ध जनपद का हर नौजवान तैयार है। नूर हॉस्पिटल की मान्यता तत्काल प्रभाव से निरस्त की जाए। एक्स-रे टेक्नीशियन डिग्रीधारी व्यक्ति द्वारा चिकित्सक के रूप में कार्य किए जाने पर कड़ी कानूनी कार्रवाई कर मुकदमा दर्ज कराया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि यदि शीघ्र प्रभाव से कार्रवाई नहीं होती है, तो वह इस मामले को उच्च स्तर पर उठाने हेतु बाध्य होंगे। ज्ञापन देते समय मुख्य रूप से राजन कन्नौजिया,पल्लव श्रीवास्तव, हरिचंद चौधरी, राज चौधरी, कोमल दुबे , उमेश यादव आदि लोग उपस्थित रहे। इसे लेकर सोशल मीडिया पर खूब कमेंट किए गए। वैभव यादव कहते हैं, कि डाक्टर की पकड़ बहुत मजबूत हैं, आठ माह हो गए, अभी तक परिचय नहीं करवा पाए। यदुवंशी संदीप लिखते हैं, कि जेके अस्पताल के खिलाफ भी आवाज उटनी चाहिए, जब मजिस्टेटीय जांच हुई तो डा. गौड़ के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं हुई, यह भी डीएम से पूछना चाहिए था, जांच में तो तमाम खामियां मिली थी, पंजीकृत से अधिक बेड का संचालन मिला, आखिर ऐसा क्या हो गया कि कार्रवाई नहीं हुई। अम्बिका पांडेय कहते हैं, कि भाजपा में ाबकी पकड़ मजबूत है, जिनकी नहीं है, वह पार्टी के कोर कार्यकर्त्ता और वोटर हैं, बाकी ाबकी बल्ले’-बल्ले है। राम कृष्ण लिखते हैं, कि एसे ही बिना डिग्री के बहुत सारे वैज्ञानिक ज्ञान पेलते जा रहे है, खुले आम कोई विरोध नहीं करता। आकाश जयनरायन आर्य कहते हैं, कि यही भाजपा का राज हैं, जब उनके अध्यक्ष को कई महीनों से न्याय नहीं मिल पा रहा है, तो आप सोच सकते हैं, आम जनता का क्या होता होगा। रहमान शानू लिखते हैं, कि आखिर अल्का शुक्ला पर कार्रवाई कब होगी, बस मुस्लिम, ओबीसी और एससी पर ही कार्रवाई होती रहेगी, मामला योगीजी के संज्ञान में हैं, पीड़ित परिवार सीएम से मिल भी चुका।

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