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असली’ के सामने एक ‘दिन’ भी नहीं ‘टिक’ पाए ‘नकली’!

असली’ के सामने एक ‘दिन’ भी नहीं ‘टिक’ पाए ‘नकली’!

-एक ही दिन में निकल गई नकली अध्यक्ष की हवा, अब इन्हें इनाम का एक लाख भी वापस करना होगा, धरी की धरी रह गई हर्रैया वालों की मंशा

-काजू का बर्फी खाकर जिन पीडब्लूडी के अधिकारियों ने जीत की बधाई दी, अब उन्हें भी मिठाई खाने और बधाई देने का पछतावा हो रहा

-सोसायटी एंड चिट फंड में ठेकेदार संघ के पंजीकरण के लिए आवेदन दिया, और जिनका ठेकेदारों का नाम पदाधिकारी में लिखा उसमें राजमोहन सिंह उर्फ राजू का नाम ही नहीं, नियमानुसार वही व्यक्ति अध्यक्ष हो सकता है, जिसका नाम ठेकेदार के रुप में पंजीयन के लिए दर्ज हो

-रहने वाले पिपरा गौतम के और पता दिया बेलाड़ी का, ठेकेदार एसोसिएशन के अध्यक्ष रविंद्रनाथ मिश्र और महामंत्री गोविंद पांडेय ने पंजीकरण की प्रक्रिया के विरोध में आपत्ति दाखिल कर दिया

-अब इसके लिए ठेकेदार एसोसिएशन एक बैठक करने जा रहा है, जिसमें विधिक कार्रवाई करने पर विचार हो सकता, अगर एफआईआर दर्ज कराने पर निर्णय हुआ तो जेल जाने की नौबत तक आ सकती

-नियमानुसार ठेकेदार एसोसिएशन के अध्यक्ष के पद पर अभी भी विधिक रुप में रविंद्रनाथ मिश्र और महामंत्री पद पर गोविंद पांडेय ही 2026 तक विराजमान रहेगें

-जिस विभाग के इंजीनियर्स और बाबू का परिवार सुबह का नाष्ता, दोपहर का लंच और रात का भोजन कमीशन के पैसे से करता हो, उस विभाग में कहां से योगीजी विकास की गंगा बहा पाएगें

-इस विभाग के अधिकारी कमीशन को ही अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि मानते, इस विभाग में भ्रष्टाचार इतना व्याप्त हैं, कि चपरासी भी बड़े और छोटे साहब की इज्जत नहीं करता

-रही बात ठेकेदार वर्ग की तो इन्हें कभी भी ईमानदार के रुप में समाज ने नहीं देखा, ठेकेदार होने का मतलब ही बेईमान, जो ठेकेदार साहबों को कमीशन दें और नेताओं को सुविधा शुल्क दें, उस ठेकेदार को समाज कैसे ईमानदार कह सकता है, और कैसे इन्हें इज्जत की निगाह से देखा जा सकता

बस्ती। जितने भी अनैतिक कार्य होते हैं, वे सभी पीडब्लूडी में ही होते है। सड़कों के निर्माण में जमकर भ्रष्टाचार होता है, ठेका पाने के लिए ठेकेदार 30-35 फीसदी बिलो रेट तक डालते हैं, यही वह विभाग हैं, जहां ठेकेदारों को सुविधा पाने के लिए 10 फीसद तक सुविधा शुल्क नेेताओं को देना पड़ता है। यही वह विभाग हैं, जहां के ठेकेदारों को बुलाकर नेतागण यह कहते हैं, कि हम्हें भी अन्य की तरह सुविधा शुल्क चाहिए, नहीं तो जांच करवा दूंगा। अधिकारियों को भी 10 फीसद कमीशन चाहिए। इसी विभाग में ही कमीशन न देने पर ठेकेदार को अवर अभियतंओं के द्वारा कार्यालय में पीटा जाता है, और उल्टे ठेकेदार को ही जेल भेजवा दिया जाता, यह पहला ऐसा विभाग होगा, जिसके मुख्य अभियंता को एक सहायक अभियंता इस लिए साहब के चेंबर में गोली मारने की धमकी देता है, क्यों कि साहब ने कमीशन मांगा था। यही वह विभाग हैं, जिसके इंजीनियर्स ठेकेदारों से यह कहते हैं, कि भले ही चाहे आप के बच्चों की फीस जमा हो या न हो, हमने कोई लेना-देना नहीं, हम्हें तो हमारा कमीशन चाहिए। जिस विभाग के इंजीनियर्स और बाबू का परिवार सुबह का नाष्ता, दोपहर का लंच और रात का भोजन कमीशन के पैसे से करता हो, उस विभाग में कहां से योगीजी विकास की गंगा बहा पाएगें। यही वह विभाग हैं, जहां पर नेताओं के चाहने पर नकली अध्यक्ष तक बन जातें है, और उसके एवज में एक लाख का ईनाम भी उन्हें मिल जाता। कहने का मतलब इस विभाग में कोई भी ऐसी उपलब्धि नहीं होती, जिसे अधिकारी सीना तानकर कह सके कि यह हमारी उपलब्धि है। इस विभाग के अधिकारी कमीशन को ही अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि मानते हैं। इस विभाग में भ्रष्टाचार इतना व्याप्त हैं, कि चपरासी भी बड़े और छोटे साहब की इज्जत नहीं करता। रही बात ठेकेदार की तो इस वर्ग को समाज ने कभी भी ईमानदार के रुप में नहीं देखा। ठेकेदार होने का मतलब ही बेईमान होना माना जाता है। जो ठेकेदार साहबों को कमीशन दें और नेताओं को सुविधा शुल्क दें, उस ठेकेदार को समाज कैसे ईमानदार कह सकता है, और इज्जत की निगाह से देख सकता है। जो ठेकेदार जितना बड़ा आदमी होगा उसे समाज उतना ही बड़ा बेईमान समझता है। बेईमान होना इनकी मजबूरी भी कहा जा सकता है, क्यों कि अनेक ऐसे ठेकेदार हैं, जो गुणवत्तापरक सड़कों का निर्माण करना तो चाहते हैं, लेकिन अधिकारी और नेता करने नहीं देते।

हम बात कर रहें थे असली और नकली ठेकेदार संघ के अध्यक्ष की। कहा जा रहा है, कि एक ही दिन में नकली अध्यक्ष की हवा निकल गई, इनकी असलियत अधिकारियों और ठेकेदारों के सामने आ चुकी है। अब यह मुंह छिपाते फिर रहे हैं, अब तो इन्हें इनाम का एक लाख भी वापस करना पड़ सकता, हर्रैया वालों की मंशा भी धरी की धरी रह गई। काजू का बर्फी खाकर जिन पीडब्लूडी के अधिकारियों ने जीत की बधाई दी, अब उन्हें भी मिठाई खाने और बधाई देने का पछतावा हो रहा है। सोसायटी एंड चिट फंड में ठेकेदार संघ के पंजीकरण के लिए कथित नकली ठेकेदार संघ ने जो आवेदन दिया, और जिन ठेकेदारों का नाम पदाधिकारी के रुप में दिखाया, उसमें तो राजमोहन सिंह उर्फ राजू का नाम ही नहीं, नियमानुसार वही व्यक्ति अध्यक्ष हो सकता है, जिसका नाम ठेकेदार के रुप में पंजीयन के लिए दर्ज हो। पता भी गलत लिखाया गया, रहने वाले पिपरा गौतम के और पता दिया बेलाड़ी का, ठेकेदार एसोसिएशन के अध्यक्ष रविंद्रनाथ मिश्र और महामंत्री गोविंद पांडेय ने पंजीकरण की प्रक्रिया के विरोध में आपत्ति दाखिल कर दिया, इसका मतलब यह हुआ कि अब पंजीकरण की प्रक्रिया भी अधर में लटक गई, लगता है, कि राज मोहन सिंह उर्फ राजू का ठेकेदार संघ के अध्यक्ष बनने का सपना कहीं अधूरा ही न रह जाए, इसके साथ ही उन नेताओं के मंशूबों पर भी पानी फिरा जो इन्हें अध्यक्ष के रुप में देखना चाहते थे। घटना क्रम को देखते हुए ठेकेदार एसोसिएशन की एक बैठक होने जा रही है, जिसमें अगर विधिक कार्रवाई करने पर निर्णय हुआ तो जेल जाने की नौबत भी आ सकती है। एक बार फिर स्पष्ट कर दें कि नियमानुसार ठेकेदार एसोसिएशन के अध्यक्ष के पद पर विधिक रुप से रविंद्रनाथ मिश्र और महामंत्री पद पर गोविंद पांडेय ही 2026 तक विराजमान रहेगें।

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