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अंतर्राष्ट्रीय साहित्यिक संस्था की होली मिलन एवं मासिक कार्यशाला /काव्य गोष्ठी का हुआ आयोजन

हापुड़ 

अंतर्राष्ट्रीय साहित्यिक संस्था की होली मिलन एवं मासिक कार्यशाला /काव्य गोष्ठी का हुआ आयोजन

 अनुज चौधरी

अंतरराष्ट्रीय साहित्यिक संस्था हिन्दी साहित्य भारती जनपद हापुड़ के तत्वावधान में ग्राम मुरादपुर की सागर कॉलोनी के सागर आरोग्यधाम में बेखौफ शायर डा.नरेश सागर द्वारा होली  के सुअवसर पर होली मिलन एवं मासिक कार्यशाला/काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया ,जिसकी अध्यक्षता संस्था के प्रदेश अध्यक्ष वागीश दिनकर जी ने की और मुख्य अतिथि वरिष्ठ कवि डा.अशोक मैत्रय और कवि सुभाष पायल जी ने की, काव्य गोष्ठी का आगाज़ सरस्वती वंदना से कवि धर्मेंद्र शर्मा ने किया,काव्य पाठ करते हुए डा. अशोक मैत्रय  जी ने पढा.....छेड गीत गज़ले कहो,मन में भरो उमंग। वैर भाव भूलो सभी,रंगो प्रेम के रंग।। प्रो.वागीश दिनकर ने कुछ यूं पढा कि....सुखद होली पर्व पर,हम गर्व से अब ये कहेंगे ।एक मां के पुत्र हम सब,प्रेम से मिलकर रहेंगे ।। कवि दिनेश त्यागी  ने शमां बांधते हुए पढा....पहले सी होली कहाँ, कहाँ  रहा वो प्यार ।रंगों में नफ़रत घुली,भली करे करतार।। कवि डा. सतीश वर्द्धन ने पढा...खेलेंगे अब होलिया,क्या नेता क्या संत।बन्दी जिनके घर रहा,पूरे बरस बसंत।। बेखौफ शायर डा.नरेश 'सागर' ने माहौल बदलते हुए कुछ यूं पढा ...चढ़े रंग होली का ऐसे,छुटाए जो ना छूट पाए।करे कान्हा हो ऐसा,जो बिछुडे वो भी मिल जाए।। मिले साली या घरवाली,गली वाली या नुक्कड की। बने सब गोपियां मेरी,और दिल ग्वाला हो जाए।। शायर जमशेद माहिर  कहा ....हम गरीब लोगों पर तंज मत कसो साहब। वक्त के बदलने में, देर कितनी लगती है।। कवि राजकुमार हिन्दुस्तानी ने कुछ यूं कहा...आदर्शों का सबको पाठ पढ़ाते है,मीठी बातों से  दिल को बहलाते है।। सुभाष पायल ने कहा....सिर्फ एक घर की रोशनी के लिए ।शहर सारा जला दिया तूने।। ओमपाल विकट ने पढा....बिगड़ते हो तो हंसते हो,बिगड़ना भी नहीं आता। झगड़ते हो तो रोते हो,झगड़ना भी नहीं आता।। कपिल वीर सिंह ने पढा....मेरी जिद्द को मान मान कर,जिसने छोडी अपनी खुशीयां। टूटा एक खिलौना मेरा,उसने तोडी अपनी खुशीयां।। लक्षमण यति ने गुदगुदाते हुए पढा ....बिल्ली पढा रही चूहे को, हिंसा करना पाप है।। पं शिव प्रकाश शर्मा ने पढा..जिसके दिल में दर्द छीपा हो।उसका फिर मुस्काना कैसा।। पुष्पेंद्र पंकज ने पढा...कांटों बीच रहे गुलाब बन,जीवन का श्रृंगार किया ।। अशोक प्रवासी ने कहा...तुम नहीं भी सुनोगे,मैं  तब भी कहूंगा ।। कवि सचिन सागर ने पढा ....इश्क में तेरे हद से गुजरने लगा हूँ मैं। पूछते है लोग पर मुकरने लगा हूँ मैं ।।

        .....गोष्ठी का सफल मंच संचालन करते हुए कवि धर्मेंद्र शर्मा ने कुछ यूं पढा...अब की बार जीत निश्चित है,सबको यही दिलाशा है। दिल्ली वालों कुछ कर डालो,हमको तुमसे आशा है।। मंच संचालन की साझेदारी  युवा कवि राजकुमार हिन्दुस्तानी ने बखूबी निभाई। गोष्ठी का समापन वरिष्ठ पत्रकार पदम सिंह वरूण जी ने धन्यवाद के साथ किया ।

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