Breaking News
  1. No breaking news available
news-details
राज्य

अधिकांश ‘डाक्टर्स’ दवा ‘कंपनियों’ की ‘गुलामी’ कर ‘रहें’!

अधिकांश ‘डाक्टर्स’ दवा ‘कंपनियों’ की ‘गुलामी’ कर ‘रहें’!

-अगर किसी डाक्टर्स को लड़का/लड़की की शादी करनी है, या फिर नर्सिगं होम और आवास का निर्माण करवाना है, या फिर परिवार के साथ विदेश की यात्रा करनी हो, या फिर लक्जरी गाड़ी के सपने को पूरा करना हो तो उन्हें कथित फर्जी दवा कंपनियों की गुलामी स्वीकार करनी होगी

-गुलाम बनने वाले डाक्टर्स की जमीर और ईमान दोनों पूरी तरह मर चुका है, यह लोग पैसे के लिए गरीब मरीजों की जिंदगी और उनकी गुरबत के साथ मजाक कर रहें

-गुलामी करने वाले डाक्टर्स की तिजोरी तो भरती जा रही है, लेकिन गरीब मरीजों का परिवार उजड़ रहा है, गुणवत्ताविहीन दवाओं से तो मर्ज ठीक नहीं हो रहा, अलबत्ता मरीज स्वर्गवासी अवष्य होता जा रहा

-मेलकाम नामक कथित फर्जी दवा की कंपनी की दवा लिख-लिखकर एक नामचीन डाक्टर कहां से कहां पहुंच गए, यह एक ऐसे नामचीन डाक्टर का काम, जिसकी ओपीडी की कमाई डेली चार से पांच लाख

-पैसे के हवश ने इस नामचीन डाक्टर्स को मरीजों की नजर में भगवान से शैतान बना दिया, फिर भी पैसे की भूख नहीं मिटी

बस्ती। आज भी मरीजों के प्रति ईमानदार रहने वाले डाक्टर्स की कमी नहीं है। लेकिन यह भी सही है, कि बेईमान, लालची और पैसे के लिए इमान बेचने वाले      डाक्टर्स की भी भरमार है। मरीजों को समझ में ही नहीं आ रहा है, कि कल तक जो डाक्टर भगवान कहलाते थे, आज कैसे वह भगवान से शैतान बन गए? कैसे वह इतना लालची हो गए की मरीज उन्हें सोने की अंडा देने वाली मुर्गी समझ बैठे। आज के कुछ डाक्टर्स ने एक मुष्त करोड़ों कमाने के लिए नया तरीका निकाला, इस तरीके का इस्तेमाल करके भले ही अधिकांश नामचीन डाक्टर्स पांच-दस हजार करोड़ के क्लब हो गए, लेकिन इसके लिए उन्हें अपना ईमान और जमीर दोनों बेचना पड़ा। ऐसे-ऐसे डाक्टर्स ने कथित फर्जी दवा कंपनियों के सामने अपने आप को गिरवी रख दिया, और गुलाम तक बनने को तैयार हो गए, जिनके पास पैसे की कोई कमी नहीं और जिसकी सिर्फ ओपीडी की कमाई ही डेली चार से पांच लाख है। इन लालची डाक्टर्स ने ऐसे दवा कंपनियों की गुलामी को स्वीकारा जिस दवा का एमआरपी तो 600-700 रहता है, लेकिन वह सप्लाई 50-60 रुपये में डाक्टर्स को होती है। इसमें अधिकतर हायर एंटीबायटिक, इंजेक्षन, टेबलेट और सीरप होता है। एक अपुष्ट आकड़ों के अनुसार जिले के 25 फीसदी लालची किस्म के डाक्टर्स दवा कंपनियों के गुलाम हो चुके हैं, और इन्हें गुलाम बनाने में दूबे और गुप्त परिवार जैसे दवा माफियाओं का हाथ है। इन्हीं दोनों परिवारों को अधिकांश डाक्टर्स को भगवान से शैतान बनाने में बहुत बड़ा हाथ रहा। एक तरह से इन्हें अ्रबाला और हिमाचल प्रदेश की कथित फर्जी दवाओं का निर्माण करने वाले कंपनियों का एक तरह से बिचौलिया कहा जाता है। अधिकाशं डीलिगं इन्हीं दोनों परिवार के द्वारा हुई। डाक्टर्स को कौन सी दवा और किस प्रिंट में चाहिए, यह उपलब्ध करा देते है। सूर्या वाले तो जनरेरिक दवाओं को पेटेंट दवा के दाम में बेच रहे है। इनका एक पर्चा वायरल हुआ, जिसमें इन्होंने पर्चे पर  उन्हीं दवाओं का नाम प्रिंट करवा रखा, जो इन्हें देना रहता है। देश के यह पहले ऐसे नामचीन डाक्टर हैं, जो पर्चे में पहले से दवाओं का नाम प्रिंट है। यानि मर्ज चाहे जो हो, दवा वही मिलेगी जो पर्चे पर लिखा हैं, डाक्टर को सिर्फ दवा के बगल में टिक करना होता है।

जिले में मशहूर है, कि अगर किसी डाक्टर्स को लड़का/लड़की की शादी करनी है, या फिर नर्सिगं होम और आवास का निर्माण करवाना है, या फिर परिवार के साथ विदेश की यात्रा करनी हो, या फिर लक्जरी गाड़ी के सपने को पूरा करना हो तो उन्हें कथित फर्जी दवा कंपनियों की गुलामी स्वीकार करनी होगी। गुलाम बनने से पहले डाक्टर्स को जमीर और ईमान दोनों बेचना होगा। अधिकांश डाक्टर्स का जमीर और ईमान दोनों पूरी तरह मर चुका है, यह लोग पैसे के लिए गरीब मरीजों की जिंदगी और उनकी गुरबत के साथ मजाक कर रहें। गरीबी और अशिक्षित होने का फायदा उठा रहे है। गुलामी करने वाले डाक्टर्स की तिजोरी तो भरती जा रही है, लेकिन गरीब मरीजों का परिवार उजड़ता ही जा रहा है, गुणवत्ताविहीन दवाओं से तो मर्ज ठीक नहीं हो रहा, अलबत्ता मरीज स्वर्गवासी अवष्य होते जा रहें है। षहर में मालवीय रोड स्थिम एक नामचीन डाक्टर हैं, जिनका मेलकाम नामक कथित फर्जी दवा की कंपनी के साथ दस करोड़ का एग्रीमेंट है। इस एग्रीमेंट के तहत डाक्टर्स को उन्हीं दवाओं को लिखना और बेचना है, जिसे कंपनी कहेगी, और जिसमें कंपनी और डाक्टर्स दोनों का अधिक से अधिक लाभ हो। यह डाक्टर कंपनी की दवा लिख-लिखकर कहां से कहां पहुंच गए, इस डाक्टर्स के ओपीडी की कमाई डेली चार से पांच लाख है। डाक्टर्स भले ही चाहें चेंबर में 11 बजे बैठे लेकिन पर्ची बनने वाला काउंटर सुबह ही खुल जाता है। पर्चो की संख्या जानकर डाक्टर साहब उपर से नीचे आते है। इस नामचीन डाक्टर को पैसे के हवश ने इस मरीजों की नजर में भगवान से शैतान बना दिया, फिर भी पैसे की भूख नहीं मिटी। वहीं पर कुछ ऐसे नामचीन और पैसे वाले डाक्टर्स भी हैं, जिनका न तो अभी तक जमीर मरा और न ही ईमान का सौदा ही किया। आज भी मरीज ऐसे डाक्टर्स को भगवान मानती है। बहरहाल, जिस भी इंसान का जमीर मर गया उसे समाज हेय की निगाह से देखता है। कहा भी जाता है, कि अगर डाक्टर जैसा व्यक्ति मरीजों की जिंदगी के साथ सौदा करने लगे तो फिर मरीज कहां जाएगा?

You can share this post!

बृहस्पतिवार माननीयजी, ‘अधिकारी’ और ‘ठेकेदार’ कोई ‘बंधुवा’ मजदूर ‘नहीं’!

जातिगत’, ‘राजनीतिक’ और व्यक्तिगत ‘स्वार्थ’ की ‘भेंट’ चढ़ रही ‘रेडक्रास सोसायटी’!

Tejyug News LIVE

Tejyug News LIVE

By admin

No bio available.

0 Comment

Leave Comments