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बीडीओ रामनगर ने पटरी मरम्मत और सफाई में बनाया भ्रष्टाचार का रिकार्ड

बीडीओ रामनगर ने पटरी मरम्मत और सफाई में बनाया भ्रष्टाचार का रिकार्ड

-काम दस बीस लाख का नहीं हुआ, और कर दिया दो करोड़ से अधिक का भुगतान

-कच्चे कामों का अनुपात मेनटेन करने के चक्कर में खुद और प्रधानों को किया मालामाल

-सबसे अधिक भुगतान प्रधान संघ के अध्यक्ष मंटू दूबे को लगभग दस लाख किया

-आधे-आधे पर हुआ सौदा, चहेतें प्रधानों के चक्कर में किया सरकारी धन का दुरुपयोग

-जिस ब्लॉक में पिछले चार साल में पटरी मरम्मत और सफाई के नाम पर एक रुपये के कच्चे की स्वीकृति नहीं हुई, उस ब्लॉक में दो करोड़ से अधिक की स्वीकृति दे दी गई, वह भी माह सितंबर और दिसंबर के बीच

-44 ग्राम पंचायतों में दो लाख से लेकर दस लाख का किया भुगतान, जैसे जिससे सेटिगं वैसे उसको दिया काम

बस्ती। सवाल उठ रहा है, कि जिस रामनगर ब्लॉक में पिछले चार साल में भ्रष्टाचार की आवाज ब्लॉक के गलिहारे तक सीमित रहा, वह आवाज कैसे डीएम और सीडीओ तक पहुंच गई? क्यों बीडीओ का ईमानदार और प्रमुख को बेईमान ठहराने का प्रयास हुआ, और यह सब किसके ईषारे पर हुआ? इसका खुलासा षायद कभी ना होता अगर बीडीओ का तबादला रोकवाने के लिए प्रधान संघ के अध्यक्ष की अगुवाई में प्रधानों को गुमराह करके हस्ताक्षर ना करवाया गया होता। इसकी सच्चाई उस दिन सामने आई, जब हस्ताक्षर करने वाले अधिकांष प्रधानों ने सामूहिक हस्ताक्षर करके यह कहा कि प्रधान संघ के अध्यक्ष ने उनसे यह कहर हस्ताक्षर करवाया कि वह लोग बीडीओ का तबादला रोकवाना चाहते है। प्रधानों का यह कथन इस लिए नहीं माने योग्य हैं, कि क्यों वह लोग बीडीओ का तबादला रोकवाना चाहते थे, ऐसा भी नहीं कि बीडीओ साहब विकास की गंगा बहा रहे थे, आखिर एक बीडीओ के लिए क्यों प्रधानों को गुमराह किया गया। बार-बार कहा जा रहा है, कि राजनीति करना बीडीओ का काम नहीं हैं, यह काम निर्वाचित जनप्रतिनिधियों का है। अगर यही पत्र प्रधानों और प्रमुख को विष्वास में लेकर लिखा गया होता तो आज प्रधान संघ के अध्यक्ष और बीडीओ साहब सवालों के कटघरे में ना खड़े होते। यहां पर ना तो प्रमुख और ना बीडीओ और ना प्रधानों को क्लीन चिट दिया जा रहा है, और ना ही इन सभी को ईमानदार बताने का प्रयास हो रहा है। बहरहाल, पिछले दिनों जो कुछ भी रामनगर ब्लॉक में हुआ, उससे ब्लॉक, प्रधानों, बीडीओ और प्रमुख की छवि को नुकसान पहुंचा। अगर यही एकता और दृढ़ता विकास कार्यो में प्रधानों और प्रमुख ने दिखाई होती तो आज क्षत्र की जनता जयजयकार करती। इस ब्लॉक की रही सही कसर पटरी के मरम्मत और सफाई के नाम पर हुए दो करोड़ से अधिक के घोटाले ने पूरा कर दिया। यह घोटाला नियमित और परम्रागत नहीं हुआ, बल्कि प्रधानों और बीडीओ की साजिष से हुआ। सवाल उठ रहा है, कि जिस ब्लॉक में पिछले चार सालों में एक रुपये की स्वीकृति पटरी के मरम्मत और सफाई के नाम पर नहीं दी गई, अचानक कैसे दो करोड़ से अधिक की स्वीकृति ही नहीं दी गई, बल्कि आनन-फानन में भुगतान भी कर दिया गया, वैसे यही खेल बनकटी, कुदरहा और बहादुरपुर में भी हुआ। गांव के भीतर अगर पटरी मरम्मत और सफाई के नाम पर इतना बड़ा घोटाला होता है, तो इसकी जांच भी होनी चाहिए। ब्लाक का जो माहौल बता रहा है, वह इस बात की तरफ ईशारा कर रहा हैं, कि जांच आन नहीं तो कल होनी ही है। क्यों कि इस मामले में बीडीओ और प्रधानों की भागीदारी सामने आ रही हैं, अगर यही भागीदारी प्रमुख की भी होती तो षायद जांच की पहल भी ना होती। जिस तरह बीडीओ साहब ने पटरी के मरम्मत और सफाई के नाम पर अपने चहेते प्रधानों को लाभ पहुंचाया, उसका खामियाजा उन्हें भी भुगतना पड़ेगा। कहने का मतलब सफाई के नाम पर ग्राम पंचायतों में दस बीस लाख का काम नहीं हुआ होगा, और भुगतान दो करोड़ से अधिक का हो गया। इसका हिसाब किताब तो प्रधानों और बीडीओ को आज नही ंतो कल देना ही पड़ेगा।

मनरेगा रिकार्ड के मुताबिक सबसे अधिक काम और भुगतान बीडीओ के चहेते कहे जाने वाले गदापुर चक के प्रधान एवं प्रधान संघ के अध्यक्ष मंटू दूबे को 9.5 लाख का किया। तुरकौलिया राय को 3.35 लाख, भिवापार को तीन लाख, तेनुआ असनहरा को 4.40 लाख, चैसर को 5.5 लाख, तकिया चक को चार लाख, छितिरगावां को 6.5 लाख, सिलवटिया को 2.5 लाख, षेखपुरा चक दोस्त मोहम्मद 4.85 लाख, धौरहरा आठ लाख, सगरा चार लाख, धवाय 2.5 लाख, रामनगर को 2.85 लाख, खोरिया 4.80 लाख, कोहदा को 6.5 लाख, मैलानी साहेब वाजिद को पांच लाख, मजहरि को 2.80 लाख, मनुधी को तीन लाख, मैलानी उर्फ हिंदुनगर को 6 लाख, मछहुआ रामप्रसाद को पांच लाख, पिरैला नरहिया को 4.20 लाख, पटखौली को4.42 लाख, परसोहिया को 3.37 लाख, इब्राहिम चक षेखपुरा को पांच लाख, परसा षिवराज को 6.50 लाख, करायन को दो लाख, पकडी को 2.20 लाख, कटरिया ननकार को 3.50 लाख, कौलपुरा को दो लाख, खाजेपुर को 5.50 लाख, नौगावं को लगभग नौ लाख, आदमपुर को तीन लाख, अहिरौला को 5.30 लाख, असनहरी को 4.30 लाख, बनगवां को 6.20 लाख, बरडीहला 8.50 लाख, बरगदवा को 2.80 लाख, वैदौली उर्फ दुबौली को 5.35 लाख, तुसायल को दो लाख, बड़ोखर को पांच लाख और तुरकौलिया उर्फ करमहिया को 2.25 लाख सहित कुल दो करोड़ 12 लाख का काम और भुगतान किया।

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