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‘बेईमानी’ की ’बुनियाद’ पर हुआ ‘करोड़ों’ का ‘लेन-देन’!

‘बेईमानी’ की ’बुनियाद’ पर हुआ ‘करोड़ों’ का ‘लेन-देन’!

बस्ती। कहा भी जाता है, जो कारोबार बेईमानी की बुनियाद पर खड़ा किया जाता है, उसका अंत बुरा ही होता है। जैसा कि दिव्यांशु खरे, नमन श्रीवास्तव, आदरर्श श्रीवास्तव एवं अभिषेक सिंह एक अन्य के मामले में देखा गया। इस पूरे एपीसोड में ईमानदारी का अभाव देखने को मिला। आज भी एक भी व्यक्ति सच बोलने और कहने को तैयार नहीं है। किसने कितना लगाया, उसे कितना लाभ हुआ और कितना नुकसान यह बताने को कोई तैयार नहीं है। यह कहने से काम नहीं चलेेगा कि मेरा दसों करोड़ डूब गया और यह भी कहने से काम नहीं चलेगा कि दिव्यांशु खरे ने मेरा करोड़ों हड़प लिया। आरोप लगाना और आरोप को सही साबित करना दोनों अलग-अलग बातें है। यह भी सही है, कि जब चार-पांच दोस्त अच्छे समय के साथी होते हैं, तो कुछ ऐसा लेन-देन भी होता, जिसका कोई अधिकृत हिसाब नहीं रखा-जाता। लगता हैं, इस मामले में यही हुआ होगा। कुछ तो व्यक्तिगत के रुप में तो कुछ ब्याज पर पैसे का लेन-देन हुआ होगा। पांच लोगों की यह मंडली अगर एक दूसरे के प्रति ईमानदार और समर्पित होती तो पांचों को यह दिन न देखना पड़ता। जो लोग आज पैसे के लिए आपस में लड़ते झगड़ते दिख रहे हैं, और एक दूसरे को जेल भेजने से लेकर देख लेने की धमकी दे रहे हैं, उन लोगों को यकीन नहीं हो रहा होगा कि एक दिन यह भी देखना पड़ेगा। देखा जाए तो इस मंडली ने कारोबार तो करोड़ों का किया, लेकिन ईमानदारी नदारत रही, अगर ईमानदारी होती तो धरना पर नहीं बैठते और न लाइव पर ही आकर इज्जत का जनाजा निकालते।

यह मंडली उन लोगों के लिए एक सबक जैसा है, जो इस तरह का कारोबार करने का प्लान बना रहे है। यह 100 फीसद सही है, कि वही कारोबार/कारोबारी सफल होता है, जहां पर ईमानदारी का समावेश होता है। 72 देशों का दौरा करने वाले जब एक नौजवान से यह पूछा गया कि इतने देशों का दौरा करने के बाद क्या सीखा, कहने लगा कि अगर किसी व्यक्ति के पास ईमानदारी है, तो उसे कोई आगे बढ़ने से रोक नहीं सकता, कहते हैें, कि ईमानदारी न सिर्फ पैसे में ही नहीं बल्कि रिश्ते और कारोबार में भी होनी चाहिए। बस्ती में भी इसके कई उदाहरण है। ईमानदारी के रास्ते पर चलने वाला व्यक्ति अभाव में तो रह सकता है, लेकिन उसे आगे बढ़ने से कोई रोक नहीं सकता। ईमानदारी का नशा जिस पर भी चढ़ता है, उसका जीवन सफल हो जाता है। अगर यही ईमानदारी मंडली के लोगों में होती तो इन लोगों का जीवन भी सफल हो जाता, बेईमानी रही इस लिए समाज, रिष्तेदारों और परिवार में बदनामी का दंश झेलना पड़ रहा है। मंडली के कई सदस्यों से पूछा गया कि भाई अब तो सच बता दो, लेकिन कोई बताने को तैयार नहीं, हर कोई एक दूसरे का पैसा हड़पने का आरोप लगा रहा। मंडली के लोगों का जो आर्थिक नुकसान हुआ या फायदा हुआ वह अलग हैं, लेकिन इन लोगों ने समाज को बहुत ही खराब संदेश दिया। इन लोगों ने एक दूसरे को बुरा कहकर खुद को बुरा साबित कर दिया। देखा जाए तो नुकसान तो सबसे अधिक खरे परिवार का ही हुआ। सामाजिक नुकसान इतना हुआ, कि इसकी भरपाई आसान नहीं है। कोई कह रहा है, कि हवाई अडडा होटल बिक गया तो कोई कह रहा हैं, कि सीएमएस स्कूल बिक गया। कोई कह रहा है, करोड़ों हड़प लिया, कोई कह रहा करोड़ों का कर्जदार हैं। इसमें सच्चाई कितनी है, इससे किसी से कोई सरोकार नहीं। ऐसा करोड़ों का कारोबार किस काम का, जिसमें मामा और भांजी का रिष्ता ही दांव पर लग जाए।

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