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बरदिया लोहार के प्रधान ने बाप का माल समझकर हड़पा 88 लाख

बरदिया लोहार के प्रधान ने बाप का माल समझकर हड़पा 88 लाख

-प्रधान रामदास ने शोचालय का पैसा लभार्थी के खाते में भेजने के बजाए अपने और फर्म के खाते में भेज दिया

-सचिव राजेश कुमार पांडेय और प्रधान ने मिलकर शोर्य टेडर्स नामक फर्म खोला प्रोपराइटर आलोक प्रकाश को बनाया, फर्म का संचालन सचिव और प्रधान मिलकर किया

-2017 से 2020 तक प्रधान रहे रामदास ने शोचालय का अपने खाते में 64.50 लाख, शोर्य टेडर्स को 18.52 लाख, उमेश ब्रिक फिल्ड को दो लाख, श्रीनेत्र बिल्डिगं मैटेरिएल को 1.20 लाख एवं अज्ञात खाते में 1.92 लाख भेजा

-गांव के परिवार की कुल संख्या 644 और शोचालय के नाम पर 777 का बंदरबांट किया, प्रधान और सचिव ने मिलकर एक भी लाभार्थी शोचालय का 12 हजार नहीं दिया

-आडिट टीम ने जब रिकार्ड मांगा तो पता चला कि रिकार्ड ही सचिव के पास नहीं, जब लाभार्थी को पैसा दिया हो तब तो रिकार्ड होगा

-ग्राम पंचायत मांझा अखनपुर के उदय प्रताप सिंह ने की लोकायुक्त से षिकायत

-डीएम ने एसडीएम न्यायिक हर्रैया, सीओ कलवारी और वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी की बनाई जांच टीम

-इससे पहले विकास खंड दुबौलिया के बरदिया लोहार में हुए ग्राम निधि के लाखों के घोटाले की शिकायत विजय प्रताप सिंह लोकायुक्त से कर चुके, जांच भी हुई, प्रधान और सचिव दोषी भी पाए

बस्ती। मोदीजी को अगर स्वच्छ भारत मिशन का सच देखना हो तो उन्हें विकास खंड दुबौलिया के ग्राम पंचायत बरदिया लोहार आना होगा, यकीन मानिए, आने के बाद वह अपना माथा पकड़कर बैठ जाएगंे। मोदीजी ने इस ग्राम पंचायत को 777 व्यक्तिगत षौचालय का 88 लाख से अधिक इस लिए दिया, ताकि गांव की महिलाएं खुले में षौच को न जाए, और उनके साथ कोई अप्रिय घटना न हो, मोदीजी को क्या मालूम था, कि जो पैसा वह दे रहे हैं, वह पूरा का पूरा प्रधान रामदास और सचिव राजेष पांडेय मिलकर इस तरह हजम कर लेगें, कि मानो उनके बाप का पैसा हो। अगर प्रधान और सचिव ने मिलकर एक भी लाभार्थी को पैसा दिया होता तो कम से कम एक परिवार की महिलाओं की इज्जत तो सुरक्षित रह जाती। एक तरह से गांव के प्रधान ने अपने गांव की महिलाओं और बेटियों की इज्जत को दांव पर लगा दिया, प्रधान को इससे कोई मतलब नहीं रहा कि खुले में षौच जाने से किसी भी महिला या लड़की के साथ रेप जैसी घटना हो सकती हैं, इन्हें तो सिर्फ पैसे से मतलब रहा। सबसे अधिक हैरानी वाली बात यह है, कि प्रधान ने षौचालय का 65.50 लाख अपने व्यक्तिगत खाते में सचिव से मिलकर डलवा दिया, इतना ही नहीं प्रधान और सचिव ने मिलकर तीन फर्जी फमें खोली और उसी में सामग्री का भुगतान किया, जबकि इस योजना में षौचालय का निर्माण स्वंय लाभार्थी को करना। दुनिया का यह पहला ऐसा गांव होगा, जहां पर परिवार की संख्या 664 और षौचालय का धन 777 परिवार के नाम से लिया। पहले चरण में मोदीजी ने जिले को इस योजना में लगभग पांच अरब रुपये दिए, ताकि जिला ओडीएफ यानि खुले में षौच ये मुक्त हो सके। कागजों में जिला तो अधिकारियों ने ओडीएफ घोषित कर दिया, लेकिन आज भी महिलाओं और लड़कियों के साथ छेड़खानी और बलात्कार जैसी घटनाए खुले में षौच के कारण हो रही है। जिस जिले में रामदास प्रधान और राजेश कुमार पांडेय जैसे बेईमान और भ्रष्ट सचिव रहेगें, उस जिले को मोदीजी अगर दस अरब भी दें देगें, तब भी जिला वास्तविक रुप से ओडीएफ नहीं हो सकता। मोदीजी और डीपीआरओ तो इस गांव की जांच नहीं करवा पाए, लेकिन इसी ब्लॉक के ग्राम मांझा अखनपुर के उदयप्रताप सिंह ने प्रधान और सचिव को जेल भेजवाने के लिए ठान लिया है। इन्होंने साक्ष्य के साथ में इसकी षिकायत लोकयुक्त के यहां किया, जिस पर डीएम ने डीएम ने एसडीएम न्यायिक हर्रैया, सीओ कलवारी और वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी की जांच टीम बनाई है। डीपीआरओ अगर पहले ही इनकी मदद कर दिए होते तो इतना बड़ा घोटाला नहीं होता, और न महिलाओं और लड़कियों की इज्जत ही जाती। मोदीजी इज्जत घर नाम रखने से महिलाओं की इज्जत नहीं बचेगी, जब तक रामदास और राजेश कुमार पांडेय जैसे लोग जेल नहीं जाएगें। 2017 से 2020 तक प्रधान रहे रामदास ने शोचालय का अपने खाते में 64.50 लाख, शोर्य टेडर्स को 18.52 लाख, उमेश ब्रिक फिल्ड को दो लाख, श्रीनेत्र बिल्डिगं मैटेरिएल को 1.20 लाख एवं अज्ञात खाते में 1.92 लाख भेजा। जो पैसा लाभार्थियों के खाते में सीधे जाना चाहिए, वह धन प्रधान ने सचिव के साथ मिलकर अपने खाते में भेज दिया। इससे पहले विकास खंड दुबौलिया के बरदिया लोहार में हुए ग्राम निधि के लाखों के घोटाले की शिकायत विजय प्रताप सिंह लोकायुक्त से कर चुके, जांच भी हुई, प्रधान और सचिव दोषी भी पाए। प्रदेश का यह पहला ऐसा ग्राम पंचायत होगा, जहां पर लोकायुक्त दो शिकायतों की जांच कर रही। अब मनरेगा ही शिकायत बचा है, बताते हैं, कि सबसे अधिक घोटाला मनरेगा में ही हुआ, इसकी भी शिकायत लोकायुक्त के करने की तैयारी हो रही है। बनकटी के खोरिया के बाद जिले का यह दूसरा ग्राम पंचायत होगा, जहां पर सभी योजनाओं में बड़े पैमाने पर घोटाला न हुआ हो।

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