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बुधवाररेनू राय डाक्टर नहीं कातिल, इन्होंने मेरे बच्चे को मार डालाःडा. अनूप चौधरी

बुधवाररेनू राय डाक्टर नहीं कातिल, इन्होंने मेरे बच्चे को मार डालाःडा. अनूप चौधरी

-20 रुपये का विगो और लिया 300 रुपया, डाक्टर बदतमीज और दाई भी बदतमीज

-क्या ऐसे डाक्टर भगवान कहने लायक हैं, इतना बड़ा एम्पायर यूंही नहीं खड़ा किया

-डाक्टरी लाइन में एक डाक्टर दूसरे डाक्टर से फीस नहीं लेता, लेकिन डा. रेनू राय ने न सिर्फ फीस लिया बल्कि एक रुपया भी नहीं छोड़ा, बच्चे को मार भी दिया

-एमओआईसी ने कहा कि डा. रेनू राय का महल देखकर डिलीवरी करवाने गए थे, लेकिन इस महल में डाक्टर नहीं बल्कि दाई डिलीवरी करती, फीस लेने के बाद भी इन्होंने मेरी पत्नी को नहीं देखा, एक मिनट भी नहीं दिया

-ओपीडी करते समय भले ही किसी का बच्चा बाहर पैदा हो जाए, बच्चा मर जाए लेकिन यह ओपीडी छोड़कर नहीं आती

-दवाओं में अधिक कमीशन मिले इसके लिए यह उन दवाओं को भी लिखती है, जो प्रेगेंसी के दौरान नहीं दी जा सकती

-दाई के द्वारा डिलीवरी और लापरवाही करने से 10 में से छह-सात बच्चे आईसीयू में भर्ती होते, डा. रेनू राय और उनकी पूरी टीम सीजर करने के लिए लालायित रहती है, ताकि अधिक से अधिक कमाई हो सके

-कहा कि मैं डाक्टर हूं, इस लिए मैं जान गया कि उनका बच्चा केैसे मरा, अनेक लोगों को पता ही नहीं चलता कि उनका बच्चा कैसे मर गया, कह दिया जाता है, बच्चा मरा हुआ पैदा हुआ

-एमओआईसी ने कहा कि अगर जांच रिपोर्ट में हेराफेॅेरी की गई तो वह दसे लेकर न्यायालय जाएगें और डा. रेनू राय का सजा दिलवा रहेंगे, क्यों कि इन्होंने हमारे बच्चे को मार डाला

-भानपुर के मनीष ने कहा कि जब उन्होंने पत्नी सोनी को पीएमसी में भर्ती किया, तब डा. रेनू राय ने कहा, सबकुछ नार्मल, बात में कागज पर लिखकर देने के लिए दबाव बनाने लगी कि बच्ची मरी हुई पैदा हुई

बस्ती। जिले के डाक्टरों को पता नहीं क्या हो गया कि वह भगवान बनने के बजाए कातिल बनते जा रहे है। जिस तरह बड़े-बड़े नर्सिगं होम में बच्चों की मौत डाक्टरों की लापरवाही से हो रही है, उससे सभी डाक्टरों की योग्यता पर सवाल उठने लगें है। अगर किसी बच्चे की मौत स्वाभाविक या फिर गर्भवती महिलाओं की लापरवाही से होती है, तो समझा जा सकता हैं, लेकिन अगर किसी बच्चे की मौत डाक्टर्स की लापरवाही से और दाई के डिलीवरी कराने से होती है, तो इसकी व्यापक प्रतिक्रिया होती है। अगर कहीं बच्चे की मौत का कारण दाई बनती है, तो इसे अतिगंभीर माना जाता है, और ऐसे डाक्टर्स को समाज कातिल की निगाह से देखता है। बार-बार सवाल उठ रहा है, कि आखिर बच्चों की मौतें सबसे अधिक डा. गौड़ और पीएमसी में ही क्यों होती हैं? अपने जिगर के टुकड़े को डा. रेनू राय के कारण खोने वाले कप्तानगंज सीएचसी के एमओआईसी डा. अनूप कुमार चौधरी स्पष्ट षब्दों में और चिल्ला-चिल्लाकर कह रहे हैं, कि उनके बच्चे को रेनू राय ने मारा, रेनू राय डाक्टर नहीं कातिल है। कहा कि इन्होंने जितना पैसा मांगा दिया, यहां तक कि 20 रुपये में मिलने वाले विगो को इन्होंने हमसे 300 रुपया लिया, कोई बात नहीं, डाक्टर होने के बाद भी इन्होंने फीस लिया, तब भी कोई बात नहीं, इन्होंने और दाई ने बदतमीजी किया, कोई बात नहीं, एक रुपया नहीं छोड़ा कोई बात नहीं, लेकिन जब इन्होंने पत्नी की डिलीवरी खुद न करके दाई से करवाया और मेरा बच्चा मर गया तो रेनू राय माफी के लायक नहीं है। इन्हें तो मैं जेल भेजवाकर रहूंगा, अगर जांच रिपोर्ट में कोई भी हेराफेरी हुई तो वह न्यायालय जाएगें, लेकिन रेनू राय को नहीं छोड़ेगें। वैसे भी मेडिकल लाइन में एक डाक्टर दूसरे डाक्टर से फीस नहीं लेता, और जांच पड़ताल करने में वरीयता देता हैं, वह भी रेनू राय ने नहीं किया, बल्कि इन्होंने अमानवीय व्यवहार किया, कोई भी डाक्टर इतना अमानवीय व्यवहार नहीं कर सकता, जितना रेनू राय और उनकी टीम ने किया। डाक्टर अनूप कुमार कहते हैं, कि जो दवा प्रेगनेंसी के दौरान गर्भवर्ती को देना मना है, उस दवा को भी रेनू राय देती हैं, जिसके चलते केस खराब हो जाता हैं। ऐसी दवाएं इस लिए दी जाती है, ताकि अधिक से अधिक कमीशन कमाया जा सके। पैसा कमाने के चक्कर में रेनू राय जैसे न जाने कितने ऐसे जिले में डाक्टर्स हैं, जो जज्जा और बच्चा दोनों की जिंदगियों के साथ खिलवाड़ करते है। एमओआईसी ने कहा कि डा. रेनू राय का महल देखकर वह डिलीवरी करवाने गए थे, लेकिन इस महल में डाक्टर नहीं बल्कि दाई डिलीवरी करती, फीस लेने के बाद भी इन्होंने मेरी पत्नी को नहीं देखा, एक मिनट भी नहीं दिया। ओपीडी करते समय भले ही किसी का बच्चा बाहर पैदा हो जाए, मर जाए, इन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता, यह ओपीडी छोड़कर नहीं आती। दाई के द्वारा डिलीवरी और लापरवाही करने से 10 में से छह-सात बच्चे आईसीयू में भर्ती होते कहते हैं, आईसीयू में भी जबरदस्ती भर्ती किया जाता है, ताकि वहां पर कमाई किया जा सके। डा. रेनू राय और उनकी पूरी टीम सीजर करने के लिए लालायित रहती है, ताकि अधिक से अधिक कमाई हो सके। कहा कि मैं डाक्टर हूं, इस लिए मैं जान गया कि उनका बच्चा केैसे मरा, अनेक लोगों को पता ही नहीं चलता कि उनका बच्चा कैसे मर गया, कह दिया जाता है, बच्चा मरा हुआ पैदा हुआ। भानपुर के मनीष ने कहा कि जब उन्होंने पत्नी सोनी को पीएमसी में भर्ती किया, तब डा. रेनू राय ने कहा, सबकुछ नार्मल, बात में कागज पर लिखकर देने के लिए दबाव बनाने लगी कि बच्ची मरी हुई पैदा हुई। एमओआईसी ने कहा कि अगर जांच रिपोर्ट में हेराफेॅेरी की गई तो वह इसे लेकर न्यायालय जाएगें और डा. रेनू राय को सजा दिलवा रहेंगे, क्यों कि इन्होंने हमारे बच्चे को मार डाला।

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