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डीडीओ पर लगा प्रधान और सचिव को बचाने का आरोप

डीडीओ पर लगा प्रधान और सचिव को बचाने का आरोप

-रमना तौफीर के शिकायतकर्त्ता सूरज सिंह ने डीडीओ पर निष्पक्ष जांच ना करने का आरोप लगाते हुए जांच अधिकारी को ही बदलने की मांग की

-डीडीओ पर लगाया अनैतिक लाभ लेकर विकास खंड दुबौलिया के ग्राम बरदिया लोहार के दोषी प्रधान अंजली और ग्राम विकास अधिकारी विनय कुमार शुक्ल को बचाने का आरोप

-प्रधान के जेठ के फर्म में भुगतान करने और डीएम के नोटिस के बाद प्रथम खाते से लाखों रुपया निकालने के आरोप में प्रधान का पावर सीज और सचिव को निलंबित किया गया

-किसी को भी जांच अधिकारी बदलने का अधिकारःडीडीओ

बस्ती। जब अधिकारी ही दोषी सचिव और प्रधान को बचाने में लग जाएगें तो प्रधानों और सचिवों का मन बढ़ेगा ही। सही मायने में प्रधानों और सचिवों के भ्रष्टाचार को बढ़ाने में जिला विकास अधिकारी और डीपीआरओ का महत्वपूर्ण योगदान रहता है। यह दोनों अधिकारी सचिवों के नियुक्ति प्राधिकारी होते हैं। इस लिए इन दोनों पर अक्सर भ्रष्ट सचिवों को बचाने का आरोप लगता रहा। चूंकि प्रधान और सचिवों दोनों मिलकर ग्राम निधि के पैसे का दुरुपयोग करते हैं, इस लिए आरोप तो दोनों पर लगता है। इसी तरह का एक और मामला विकास खंड दुबौलिया के चर्चित ग्राम पंचायत बरदिया लोहार का सामने आया। इस मामले में प्रधान अंजली का पावर सीज और ग्राम विकास अधिकारी विनय कुमार शुक्ल को निलंबित कर दिया गया। इस मामले में अंतिम जांच अधिकारी डीडीओ और जिला लेखा परीक्षक अधिकारी को जांच अधिकारी बनाया गया।

शिकायतकर्त्ता सूरज सिंह निवासी रमना तौफीर ने डीएम को लिखे पत्र में कहा है, कि जिला विकास अधिकारी प्रधान और सचिव से अनैतिक लाभ लेकर दोनों को बचाने का प्रयास कर रहे है। कहा कि जब वह इस मामले में डीडीओ से मिलकर जांच के प्रगति के बारे में जानना चाहा तो कहने लगे कि ऐसी शिकायतें बहुत सी आती रहती है, अगर हम सचिवों के खिलाफ कार्रवाई करने लगेगें तो सचिव ही नहीं बचेगे। कहा कि मैं सचिव को बहाल कर रहा हूं, तुम्हें जो शिकायत करना हो जाकर करो। कहा कि ऐसे में निष्पक्ष जांच नहीं हो सकती, इस लिए डीडीओ के स्थान पर अन्य अधिकारी को जांच अधिकारी बना दिया जाए ताकि निष्पक्ष जांच हो सके। प्रधान का पावर सीज करते हुए डीएम ने कहा कि केंद्रीय वित्त आयोग एवं राज्य वित्त आयोग के तहत मैटेरिएल, इधन, स्टेषनरी एवं अन्य सामग्री अथवा सेवाओं की आपूर्ति के लिए जिला पंचायत अध्यक्ष, डीपीआरओ, प्रमुख, बीडीओ, एडीओ पंचायत, प्रधान, सचिव, पंचायत सहायक, पंचायती राज कर्मी, संविदा पर कार्यरत कर्मी के पारिवारिक सदस्यों एवं रिष्तेदारों के द्वारा स्थापित फर्म/कंपनी से वेंडर के रुप में कार्य नहीं लिया जाएगा। पिता, पितामह, ससुर, चाचा या मामा, पुत्र, पौत्र, भाई, भतीजा भांजा, सगा चचेरा या ममेरा भाई, पत्नी का भाई और बहनोई, पति, पति का भाई, पति की बहन, पत्नी की बहन, पत्नी, पुत्री, पुत्रवधु, बहन, भाभी जो भाई या सगे चचेरे या ममेरे भाई की पत्नी हो, माता, सास, चाची या मामी है, तो ना तो उसे भुगतान किया जा सकता है, और ना आपूर्ति ही ली जा सकती है। लेकिन इस मामले में प्रधान अंजली ने सारे नियमों को दरकिनार कर पति के भाई के फर्म पाविका इंटरप्राइजेज को भुगतान और आपूर्ति दोनों लिया। जेठ के इस फर्म को कुल 19 लाख 32 हजार 984 रुपयो का भुगतान नियम विरुद्व किया गया। टीडीएस का भुगतान तक नहीं किया। कुल नौ लाख 93 हजार 111 रुपया का व्यक्तिगत खाते में प्रधान ने 27 बिल के जरिए लिया।

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