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डीएम के झूठे हलफनामें पर सख्त हुआ हाईकोर्ट

डीएम के झूठे हलफनामें पर सख्त हुआ हाईकोर्ट

-डीएम से कहा कि आप खुद मौके पर जाएगें और अपनी मौजूदगी का जीपीएस से फोटो भेजेगें और तालाब को कबज्ेदारों से मुक्त कराएगे

-हाईकोर्ट ने डीएम को 25 मई तक मौका दिया, व्यक्तिगत हलफनामे के साथ हाजिर होने को भी कहा

-मामला हरैया तहसील के ग्राम गड़हा गौतम के राजस्व गांव बिशनोहरपुर गांव में सड़क के किनारे स्थित गढ्ढा और बंजर जमीन से जुड़ा

बस्ती। कभी-कभी अधिकारी भी डीएम को गुमराह कर देते है। अब हर जगह तो डीएम जा नहीं सकते, उन्हें एसडीएम को ही भेजना पड़ता हैं, जरुरी नहीं कि डीएम की तरह एसडीएम की जाए, वह भी तहसीलदार को भेज देता है, यह भी जरुरी नहीं कि तहसीलदार ही जाएं, वह नायक तहसीलदार को भेज सकता है। मामला यही गड़बड़ा जाता है, और हाईकोर्ट के सामने डीएम को हाजिर होना पड़ता हैं, झूठा अलग से बनना पड़ता है। ऐसा ही कुछ कप्तानगंज के विश्नोहरपुर गांव में गड्ढे और बंजर की जमीन के मामले में हुआ होगा, वरना हाईकोर्ट डीएम को तलब न करती।

दशकों से हुए कब्जे को लेकर हाईकोर्ट के आदेश पर तहसील प्रशासन ने 17 अप्रैल को खाली करके गड्ढा बना दिया। इस दौरान एसडीएम हरैया मनोज प्रकाश और सीओ कलवारी प्रदीप तिवारी सहित पुलिस बल मौजूद रहे। कार्रवाई के दौरान पुलिस को विरोध का भी सामना करना पड़ा था लेकिन सख्ती के कारण विरोध कर रहे लोग बैकफुट पर आ गए थे । हरैया तहसील के ग्राम गड़हा गौतम के राजस्व गांव बिशनोहरपुर गांव में सड़क के किनारे स्थित गढ्ढा और बंजर जमीन है। इस पर गांव के संतराम उपाध्याय और रीता का अवैध कब्जा था। इसे हटाने के लिए गांव के अजय कुमार पांडेय ने डीएम से शिकायत की। लेकिन जब कोई कार्रवाई नहीं हुई तो अधिवक्ता केएल तिवारी के जरिए हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर करवा दिया। उच्च न्यायालय ने कार्रवाई में देरी पर कड़ी नाराजगी जताते हुए डीएम बस्ती से व्यक्तिगत हालतनामा तलब किया था। डीएम ने गंभीरता लेते हुए एसडीएम हरैया को टीम बनाकर अतिक्रमण हटाने का निर्देश दिया था। तहसील प्रशासन ने पुलिस बल के साथ गढ्ढे और बंजर की जमीन को अतिक्रमण मुक्त करा भी दिया था। उसके बाद पुनः कब्जेदारो द्वारा जमीन को पाट कर गड्ढे को बराबर कर दिया गया, जिसकी जानकारी याची अजय पाण्डेय के द्वारा डीएम व अन्य संबंधित अधिकारियों को दी किन्तु कार्रवाई नहीं हुई। उसके बाद अधिवक्ता के जरिए याची ने फिर हाईकोर्ट की षरण ली। न्यायालय ने कड़ी नाराजगी जताते हुए कहा कि तालाब को पुनः मिट्टी से भर दिया गया है तथा समतल कर दिया गया है। तालाब को समतल करना एक गम्भीर मामला है, चूंकि डीएम ने अपने हलफनामे में कहा था कि तालाब को न केवल अतिक्रमण से मुक्त कराया गया है, बल्कि उसकी मूल तालाब जैसी स्थिति में बहाल कर दिया गया। हाईकोर्ट ने कहा कि इन परिस्थितियों में डीएम बस्ती आगामी सप्ताह में भूखण्ड संख्या 99, ग्राम विश्नोहरपुर, तहसील हर्रैया, जिला बस्ती के स्थल पर जाएं तथा टोटल स्टेशन पद्धति का उपयोग करके सीमांकन कराने के पश्चात भूखण्ड संख्या 99 के स्थल का निरीक्षण करें। निरीक्षण को जी.पी.एस. कैमरे में कैद करें, जिसमें डीएम की उपस्थिति दिखाई दे। यदि तालाब को पुनः समतल किया गया है, तो ’जिला मजिस्ट्रेट तालाब को पुनः स्थापित करने के लिए तत्काल कदम उठाएंगे तथा तालाब को समतल करने के लिए जिम्मेदार व्यक्ति के विरुद्ध कार्यवाही शुरू करेंगे’। इस संबंध में जिला मजिस्ट्रेट, बस्ती को  26 मई या उससे पहले एक रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी।

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