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डॉक्टर ‘गायब’, मरीज ‘बेहाल’, सीएचसी गौर का ‘हाल’

डॉक्टर ‘गायब’, मरीज ‘बेहाल’, सीएचसी गौर का ‘हाल’

-सीएचसी गौर भगवान और फार्मासिस्ट के सहारे चल रहा

बस्ती। गौर की जनता की सेहत का ख्याल डाक्टर नहीं बल्कि भगवान और फार्मासिस्ट रख रहे है। यह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) खुद बीमार हालत में पहुंच गया है।  ऐसे में यह अस्पताल बीमारों का इलाज कैसे करेगा? यह सवाल क्षेत्र की जनता योगीजी से कर रही है। अस्पताल में डॉक्टरों की अनुपस्थिति, अव्यवस्था और लचर प्रबंधन का आलम यह है कि पूरा अस्पताल अब फरमासिस्ट के सहारे किसी तरह चल रहा है। इलाज के लिए आने वाले मरीजों को उचित चिकित्सा सुविधा तो दूर, डॉक्टर तक नसीब नहीं हो रहे हैं। डॉक्टर गायब, मरीज बेहाल। पता चला कि सीएचसी गौर में इमरजेंसी ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर लगातार गायब रहते हैं। अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों को घंटों इंतजार के बाद भी कोई चिकित्सक नहीं मिलता। मजबूर होकर कई मरीज बिना इलाज के ही लौट जाते हैं, जबकि कुछ लोग निजी अस्पतालों का रुख कर रहे हैं, जिससे उन पर आर्थिक बोझ बढ़ गया है। स्थानीय ग्रामीण सुनीता और राज मंगल ने बताया कि डॉक्टरों की अनुपस्थिति के कारण सही इलाज नहीं हो पा रहा है। अस्पताल में सिर्फ फरमासिस्ट मरीजों को देखतें हैं। भारी कमीशन वाली  बाहर की दवाएं लिखते है। इससे गरीब मरीजों की परेशानी और बढ़ गई है। पत्रकार अर्पित सिंह ने सीएचसी गौर की वास्तविकता जानने के लिए खुद मरीज बनकर अस्पताल का पड़ताल किया, तो जो तस्वीर सामने आई, वह चौंकाने वाली रही। इमरजेंसी वार्ड पूरी तरह खाली पड़ा था न कोई डॉक्टर मौजूद था और न ही कोई परामर्श देने वाला चिकित्सक ही। पूरा अस्पताल फार्मासिस्ट और कुछ पैरामेडिकल स्टाफ के भरोसे चलता नजर आया। प्रशासन की लापरवाही उजागर पूरे मामले पर जब प्रभारी चिकित्साधिकारी गौर से बात की गई, तो उन्होंने कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया। स्थानीय लोगों का कहना है कि सीएचसी गौर की यह स्थिति लंबे समय से बनी हुई है, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी अब तक अनदेखी कर रहे हैं। अब देखना यह है कि मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) बस्ती इस गंभीर मामले पर क्या कार्रवाई करते हैं? जनता की उम्मीदें अब जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की ओर टिकी हैं कि कब गौर सीएचसी की हालत सुधरेगी और मरीजों को सही मायनों में “स्वास्थ्य का अधिकार” मिल पाएगा।

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