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क्राइम

डोंट वरी, चाहें जितना आंख फोड़िए, सीएमओ बचा लेगें!

डोंट वरी, चाहें जितना आंख फोड़िए, सीएमओ बचा लेगें!

-एक दर्जन गरीबों का आखं फोड़ने वाले आयुष्मान के गैलेक्सी अस्पताल को सीएमओ की टीम ने दी क्लीन चिट

-बखरा मिलते ही रुधौली में सील किए गए चार पैथालाजी बिना किसी आदेश के मालिक ने सील को तोड़ दिया

-एक दिन पहले गैलेक्सी अस्पताल और सीएमओ के भ्रष्टाचार का मामला जिले की सबसे बड़ी सदन दिशा में हरीश सिंह उठा चुकें

-अगर किसी दूसरे सीएमओ पर भ्रष्टाचार का इतना आरोप लगता तो वह कब का तबादला करवा चला गया होता

बस्ती। सीएमओ और जिला अस्पताल के एसआईसी की टीम पर इस बात का कोई फर्क नहीं पड़ता कि कितने गरीबों की आखें फूट रही है, या फिर जिला अस्पताल के डाक्टर दलालों के जरिए मरीजों का खून चूस रहे है। या फिर गरीब मरीजों की जानें जा रहा है। इन्हें तो बस बखरा से ही मतलब। इनका बस चले तो यह दोनों मिलकर जिले भर के अस्पताल भवनों को ही बेच डाले। इन दोनों को पैसे की इतनी भूख हैं, कि उसके आगे मरीजों के जान की कोई कीमत नहीं। अभी तक प्राइवेट अस्पतालों के डाक्टर और उनके प्रोपराटरों को ही खूनचुसवा कहा जा रहा है, लेकिन अब यह दोनों अधिकारी और इनके डाक्टरों की टीम को खूनचुसवा कहा जाने लगा। भ्रष्टाचार के मामले में कोई एक दूसरे से कम नहीं, इसके लिए इन्हें नहीं बल्कि हेल्थ मंत्री एवं डिप्टी सीएम बृजेश पाठक को जिम्मेदार माना जा रहा है। भ्रष्ट अधिकारियों का कहना है, कि जब उनका मंत्री भ्रष्टाचार में डूबा है, तो अगर हम भ्रष्टाचार कर रहे हैं, तो क्या गुनाह कर रहे है। कहते हैं, कि जाइए पहले डिप्टी सीएम के खिलाफ कार्रवाई करवाइए फिर मेरे खिलाफ। यह भ्रष्टाचारी लोग खुलकर चैलेंज करते हैं, कि कार्रवाई करवाकर दिखाइए। कहते हैं, कि जब कोई सीएमओ या एसआईसी 40-50 लाख देकर आएगा तो वह क्या यहां पर घंटा थोड़ बजाएगा। रामनाम तो जपेगा नहीं। कहते हैं, कि जैसा राजा वैसी प्रजा। एक दिन पहले दिशा की बैठक में सबसे अधिक भ्रष्टाचार का आरोप सीएमओ और जिला अस्पताल के एसआईसी पर लगा। एमएलसी देवेंद्र प्रताप सिंह के प्रतिनिधि हरीश सिंह और साउंघाट के ब्लॉक प्रमुख अभिषेक कुमार ने खुले आम आरोप लगाया कि सीएमओ सरकारी धन का खुले आम बंदरबांट कर रहे है। ब्लॉक प्रमुख ने तो यहां तक कहा कि जिला अस्पताल में एसआईसी की अगुवाई में डाक्टरों का एक रैकेट काम कर रहा है, जो दलालों से मिलकर बाहर की दवाएं लिखते हैं, और जांच करवाते है। यहां तक कहा कि जिला अस्पताल के आसपास अनेक अवैध अस्पताल संचालित हो रहे हैं, जिससे गरीब मरीजों का तो आर्थिक शोषण हो ही रहा हैं, साथ ही अप्रशिक्षित डाक्टरों के द्वारा आपरेशन करने से जज्जा-बच्चा की मौत भी हो रही है। विधायक कविंद्र चौधरी तक ने कहा कि सरकारी अस्पताल के डाक्टर, प्राइवेट अस्पतालों को मदद पहुंचा रहे है।

अब हम आप को आवास विकास कालोनी स्थित उस आयुष्मान गैलेक्सी अस्पताल के डाक्टर पवन मिश्र के बारे में बताते हैं, जिनकी लापरवाही से एक दर्जन से अधिक गरीब बुजुर्ग के आख की रोशनी चली गई। मीडिया में खबर आते ही मानों भूचाल आ गया। मामला शासन स्तर तक पहुंचा खुद प्रमुख सचिव ने सीएमओ को कार्रवाई करने का निर्देश दिया दिया। यह मामला अभी चल ही रहा था, कि पता चला कि सीएमओ की टीम ने इस अस्पताल को क्लीन चिट दे दिया। मामला दिशा की बैठक में भी हरीश सिंह के द्वारा उठाया गया, और कहा गया कि एक दर्जन गरीबों का आखं फोड़ने वाले अस्पताल को सीएमओ ने अभी तक सील तक नहीं किया। सूत्र बताते हैं, क्लीन चिट देने के मामले में लंबी सौदेबाजी हुई, चूंकि अस्पताल सील भी होता और लाइसेंस भी निरस्त होता। इस लिए जाहिर सी बात हैं, कि सौदा बड़ा हुआ होगा। अब आप समझ गए होगें कि क्यों यह कहा जाता हैं, चाहें जितना आंख फोड़िए या गरीबों की जान लीजिए, अगर सीएमओ को चढ़ावा नहीं चढ़ाया तो लाइसेंस भी निरस्त होगा और सीलिगं की कार्रवाई भी होगी। अब आ जाए एक और कारनामें की ओर, डिप्टी सीएमओ डा. एसबी सिंह की टीम आज से 15 दिन पहले रुधौली में चार पैथालाजी को अनियमितता के आरोप में सील किया, लेकिन आप लोगों को जानकर हैरानी होगी, कि बिना किसी आदेश और कमियों को पूरा किए सील खोल दिया गया। बताते हैं, धन उगाही के लिए किसी मजिस्टेट के सामने ज्योति पैथालाजी, सत्यम पैथालाजी, रिषभ पैथालाजी, नेशनल पैथालाजी, केयर पैथालाजी को हल्फा फूल्का कपड़ा लगा कर सील किया, ताकि बाद में सौदेबाजी के बाद आसानी से सील को तोड़ा जा सके, अगर यही सील मजिस्टेट करते तो डीएम के आदेश से सील खुलता। वर्तमान में चारों सील किए पैथालाजी उन्हीं कमियों के साथ संचालित हो रही है, जिनके चलते सील हुआ था। कहना गलत नहीं होगा कि आज जो आयुष्मान की अस्पतालें गरीबों का आंख फोड़ रही है, या फिर जमीन और स्टोर में बिना भोजन और दवा के इलाज कर रही है, सर्जरी के आपरेशन के नाम पर धन उगाही की जा रही हैं, उन सभी के लिए सीएमओ और उनकी टीम को जिम्मेदार माना जा रहा है। एसआईसी की टीम तो जिला अस्पताल को लूट रहे हैं, लेकिन सीएमओ की टीम तो पूरे जिले को लूट रही है।

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