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‘एक’ फर्जी ‘मोहर’ पर ‘हजारों’ फर्जी ‘नोटरी’

‘एक’ फर्जी ‘मोहर’ पर ‘हजारों’ फर्जी ‘नोटरी’

-जेल में बंद और फरार चल रहे लोगों की भी हो जा रही नोटरी, फर्जी नोटरी करने वालों का रैकेट काम कर रहा

-फर्जी नोटरी करने वालों की मुख्यालय और दीवानी मुख्यालय पर भरमार

-तहसील के सामने और कचहरी में आनलाइन षपथ-पत्र बनाने वाले पैसा लेकर कर दे रहे नोटरी

-शपथ-पत्र और नोटरी करने के नाम पर मुंहमांगा रकम वसूल रहे, किसी से डेड़ सौ तो किसी से दो सौ वसूल रहे

-चार-पाच ऐसे भी नोटरी अधिवक्ता फर्जी नोटरी कर रहे हैं, जिनका नवीनीकरण तक नहीं हुआ

-नोटरी.़ अधिवक्ता बाबू राम सिंह ने खोली फर्जी नोटरी करने वालों की पोल

बस्ती। वैसे तो पूरे जिले में फर्जीवाड़ा का खेल हो रहा हैं, कोई फर्जी खतौनी बनाकर करोड़ों की दूसरे की जमीन को बेच रहा हैं, फर्जी खतौनी के सहारे न जाने रोज कितनों की जमानत हो रही है, और यह डर्टी गेम तहसीलों में अधिक हो रहा है, साहब लोगों के न्यायालयों फर्जी दस्तावेजों की भरमार है। चूंकि साहब से लेकर पेशकार तक को पैसा चाहिए, इस लिए वे लोग कुछ भी करने को तैयार रहते है। मामला तब फंसता है, जब कभी दस्तावेजों की जांच होती हैं, तब तक पता चलता है, कि या तो साहब दूसरे जिले में चले जाते हैं, या फिर पेशकार का तहसील ही बदल जाता है। चूंकि जांच अधिकारी भी राजस्व के होते हैं, और फर्जीवाड़ा भी राजस्व के अधिकारी और कर्मचारी करते हैं, इस लिए जांच कहां चली जाती है, इसकी जानकारी जांच कराने वाला अगर पता करना चाहे तो उसे पता नहीं चल पाता। सबसे अधिक फर्जी नोटरी तहसीलों के आसपास ही बनाई जाती है, सदर तहसील के सामने हर को आनलाइन दुकानदार फर्जी नोटरी करता है। अगर कोई इनके पास आनलाइन स्टांप लेने जाता है, तो उससे पूछा जाता है, कि नोटरी भी करानी होगी, चूंकि हर किसी को नोटरी कराना होता है, तो वह नोटरी के लिए तैयार हो जाता, दुकानदार मेज के दराज से नोटरी का मोहर निकालता है, और जोर से ठप्पा लगा दिया, नोटरी अधिवक्ता के रुप में हस्ताक्षर भी कर देता है, उसके पास दो सौ रुपया ले लेता, जिस नोटरी की सरकारी फीस 20 रुपये होती है, उसे दुकानदार सौ से डेढ़ सौ लेता है। किसी भी दुकानदार के लिए इससे अधिक अवैध कमाई का और कोई जरिया नहीं हो सकता। कोई भी व्यक्ति सौ पचास रुपया का नोटरी वाला मोहर बना लिया, और डेली हजारों कमाने का जुगाड़ कर लिया। अभी तक तो फर्जी नोटरी का खेल तहसीलों में होता रहा, लेकिन अब यह खेल हर विभागों में होने लगा, नोटरी षपथ पत्र ऐसा पुख्ता दस्तावेज होता है, जिस पर अधिकारी आंख बंदकर विष्वास इस लिए करता हैं, क्यों यह नोटरी अधिवक्ताओं के द्वारा किया जाता है, जिस करने का लाइसेंस सरकार देती है। अब जरा इसके महत्व पर नजर डालिए, बस्ती का नोटरी किया गया दुनिया भर में मान्य होता है। हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट भी नोटरी शपथ पत्र की मांग सरकार से देने को कहती है, ऐसे में अगर कोई फर्जी नोटरी करवाता हैं, और पकड़ा नहीं जाता तो वह कितना बड़ा अपराध करता खुद एसे नहीं मालूम। फर्जी नोटरी के चलते कईयों का लाइसेंस निरस्त हो चुका, नौकरी तक चली गई, जेल तक की हवा खानी पड़ रही है।  

मेडीवर्ल्ड अस्पताल की नोटरी फर्जीःबाबूराम सिंह

वरिष्ठ अधिवक्ता एवं नोटरी अधिवक्ता बाबू राम सिंह का कहना है, कि मेडीवर्ल्ड अस्पताल में जिस रफीउदीन नामक एक्सरे टेक्निसिएन की नोटरी लगाई गई वह फर्जी हैं, कहा कि किसी ने फर्जी मोहर बनाकर मेरे नाम से नोटरी कर दिया, उनका हस्ताक्षर भी फर्जी हैं, इन्होंने एफआईआर दर्ज करवाने की बाम कही। कहा कि इससे पहले मैं कई बार सोशल मीडिया के जरिए इस बात को आगाह करता आ रहा हूं, कि जिले भर में फर्जी नोटरी हो रही है, कहा कि अगर इसकी जांच हो जाए तो कोई भी ऐसा न्यायालय और कार्यालय नहीं जहां पर फर्जी नोटरी न मिले, कहा कि सबसे अधिक सीएमओ कार्यालय में फर्जी नोटरी लगाया जाता है, कोई नौकरी तो कोई प्रमाण-पत्र बनाने तो कोई अस्पताल का लाइसेंस लेने के लिए ऐसे लोगों की नोटरी करवाकर उनकी डिग्री लगाते है। कहा कि जिस तरह मेडीवर्ल्ड अस्पताल में उनका फर्जी मोहर और फर्जी हस्ताक्षर बनाकर रफीउदीन नामक व्यक्ति की डिग्री लगाकर लाइसेंस लिया गया। कहा कि इस मामले में वह एफआईआर दर्ज करवाने की तहरीर देने जा रहे है।

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