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एर्बासन कराना हो तो न्यू शांति हास्पिटल चले जाइए
-इस हास्पिटल का मेन गेट कभी नहीं खुलता, साइड वाले छोटे गेट से जाना होगा
-पचपेड़िया रोड स्थित इस हास्पिटल में सबसे अधिक एर्बासन होता
-इस हास्पिटल के पास सबसे अधिक आशा नामक दलाल हैं, जो महिला अस्पताल सहित स्थानों से लाती
-इनका सहयोग महिला अस्पताल के पास ओजस्व और सेवा अल्टा साउंड वाले भी करते, इनका और दलाल आशाओं का कमीषन फिक्सड
-इसकी शिकायत सीएमओर डीएम से करते हुए जांच कराने और लिंग परीक्षण करने वाले अल्टा साउंड और न्यू शांति हास्पिटल के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की गई
बस्ती। मेडिकल लाइन में अवैघ कारोबार करने वालों का पचपेड़िया रोड स्वर्ग साबित होता जा रहा है। यही वह जगह हैं, जहां पर मंडल की पहली नकली दवा बनाने वाली कंपनी का खुलासा हो चुका है, इसकी शिकायत बस्ती से लेकर लखनऊ और दिल्ली तक हो चुकी है, लेकिन डीआई और डीएलए के कारण यह बचते आ रहे है। यही वह पचपेड़िया रोड हैं, जहां पर सबसे अधिक नर्सिगं होम में अनैतिक कार्य होते है। मरीजों का शोषण होता है, स्टार हास्पिटल में तो आयुष्मान के मरीजों का इलाज स्टोर रुम करते हुआ खुलासा हो चुका है, यही वह पचपेड़िया रोड हैं, जहां पर ओम आर्थोपेडिक के डा. डीके गुप्त को स्टार वाले एहतसाम नामक व्यक्ति के ईशारे में डाक्टर साहब के नर्सिगं होम में तोड़फोड और डाक्टर को कार से घसीटकर मारने का मामला कोतवाली तक पहंुुच चुका है। इस पचपेड़िया रोड पर शायद ही कोई ऐसा नर्सिगं होम होगा जिसका चर्चा किसी न किसी अनैतिक रुप में न हुई हो। सबसे अधिक अनियमित भवन इसी रोड पर निर्मित्त है। इस रोड़ पर मरीजों का इलाज कम और उनका खून अधिक चूसा जाता है। मौंते भी सबसे अधिक इसी रोड के नर्सिगं होम पर होती है। एर्बासन भी सबसे अधिक इसी रोड पर स्थित न्यू षांति हास्पिटल में होने की शिकायत की गई है। जिले का यह पहला ऐसा हास्पिटल होगा जिसका मेन गेट कभी नहीं खुलता, बगल के गेट से चोरी छिपे महिलाएं एर्बासन कराने जाती है। इसकी जानकारी सीएमओ से लेकर पीसीपीएनडीटी डा. एके चौधरी को भी है। बताते हैं, कि इन्हीं के सरंक्षण में महिला अस्पताल के पास ओजस्व और सेवा अल्टा साउंड संचालित हो रहा है, इन दोनों सेंटर की ही सबसे अधिक एर्बासन कराने वाली महिलाएं न्यू शांति हास्पिटल में भेजी जाती है। चूंकि एर्बासन करने और लिंग परीक्षण में मुंह मांगी रकम मिलती हैं, इस लिए इस अवैध कारोबार में लगे लोग मालामाल हो रहे है। डा. एके चौधरी पर इस बात का कोई फर्क नहीं पड़ता कि दोनों अवैध सेंटरों पर लिंग परीक्षण हो रहा है, या फिर सबसे अधिक एर्बासन न्यू षांति हास्पिटल में हो रहा। इन्हें इस बात से भी कोई फर्क नहीं पड़ता कि भू्रण हत्याएं हो रही है। इसी लिए यह जितने भी गलत काम करने वाले हैं, सबके मसीहा कहे जाते है। जब भी शिकायत मिलती है, यह कार्रवाई नहीं करते बल्कि जांच और कार्रवाई के नाम पर अपनी जेबे भरते हैं, चूंकि बखरा सीएमओ को भी जाता है, इस लिए खुले आम एर्बासन से लेकर लिंग परीक्षण और भ्रूण हत्याएं हो रही हैं, जिन गलत कामों को रोकने के लिए सरकार इन्हें भारी भरकम वेतन देती है, वह तो नहीं रुकता अलबत्ता जेबें अवष्य गर्म हो जाती हैं, शिकायतकर्त्ता शिकायत करते-करते परेशान हो जाता है, और चौधरी साहब अपने जेबें गरम करने में लगे रहते है। बार-बार सवाल उठ रहा है, कि क्यों नहीं मेडिकल लाइन के अवैध कारोबार रुक पा रहा है? क्यों डाक्टरों की लापरवाही के चलते महिलाओं और नवजात बच्चों की मौत हो रही है? क्या सीएमओ और डा. एके चौधरी की कोई जिम्मेदारी नहीं बनती? क्या इन्हें किसी गरीब मरीज के मरने का कोई अफसोस नहीं होता? क्या यह इतने असवेंदनशील हो गए हैं, कि पैसे के लिए किसी गरीब की मौत का कारण बनने वाले नर्सिगं होम के संचालकों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाए धन उगाही करें?
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