Breaking News
  1. No breaking news available
news-details
राज्य

गायघाट के डा. फैज तो डा. गौड़, डा. शर्मा और डा. रेनू के भी फादर निकले!

गायघाट के डा. फैज तो डा. गौड़, डा. शर्मा और डा. रेनू के भी फादर निकले!

-अगर डा. गौड़, डा. शर्मा और डा. रेनू राय प्राइवेट नर्सिगं होम में गरीब मरीजों का खून चूस रहे हैं, तो सीएचसी गायघाट के एमओआईसी डा. फैज वारिष सरकार डाक्टर होकर मरीजों का न सिर्फ खून चूस रहे हैं, बल्कि मेडिकल स्टोर और नर्सिगं होम से भी खून चुसवा रहें

-डाक्टर फैज पिछले 13 साल से सीएचसी गायघाट में जमे हुए हैं, इन्होंने गांव-गढ़ी के गरीब मरीजों का खून चूसने के लिए सीएचसी के सामने सात मेडिकल स्टोर खोलवा रखा, सीएचसी के बगल चहेते का मैक्स नामक नर्सिगं होम भी खुलवा रखा

-अधिक कमीशन और नकली दवांए यह अपने सातों मेडिकल पर मरीजों को भेजकर खरीदवाते, जो मरीज अस्पताल में आता, उसे गंभीर बीमारी बताकर नर्सिगं होम में भर्ती कराने को मजबूर करके खून चूसते

-एक भी मेडिकल स्टोर के पास दवा बेचने का लाइसेंस नहीं हैं, डा. फैज की मेहरबानी अस्पताल के अंदर मेडिकल स्टोर का गेट खुलता

-जैसे ही यह अपने चेंबर में आते सातों मेडिकल स्टोर वाले डा. फैज के बगल में आकर खड़े हो जाते, यह लोग बकायदा दवा लिखते और मरीजों का मरहम पटटी तक करते,

-डाक्टर साहब पैसे वाले मरीजों को मैक्स नर्सिगं होम भेजते और गरीब मरीजों को जिला अस्पताल, सीएचसी में सारे बेड खाली रहते, लेकिन नर्सिगं होम में नहीं

-इन दस सालों में डाक्टर फैज ने सातों मेडिकल स्टोर्स और नर्सिंगं होम से अकूत संपत्ति मेडिकल स्टोर्स और मैक्स वाले नहीं अर्जित किए होगें जितना डाक्टर साहब ने कमीशन से अर्जित किया होगा

-सभी सीएमओ इन्हें कमाउपूत डाक्टर समझते रहे, तभी तो यह दस साल से सीएचसी में जमे हुए हैं, जब भी इनका तबादला होता है, मेडिकल स्टोर्स और मैक्स वाले धन और बल से रोकवा देते

-जो भी कोई भाजपाई या अन्य नेता इनकी शिकायत करते और जांच कराने की मांग करते, वह नेता और शिकायतकर्त्ता त्वरित मैनेज हो जाता, जिन भाजपाईयों को डाक्टर साहब चोर, बेईमान और खून चुसवा लगते थे, वही लोग बाद में माला पहनकर गुनगान करने लगते

-हर साल के मार्च और अप्रैेल में डा. फैज की ओर से सीएमओ को तीन लाख पहुंच जाता, ताकि तबादला न हो, यह पैसा मेडिकल स्टोर और मैक्स वाले मैनेज करते

बस्ती। मीडिया इससे पहले बता चुकी है, कि मरीजों का खून चूसने वाले डाक्टरों का दायरा शहर से बढ़कर पीएचसी और सीएचसी तक फैल चुका है। इसी को देखते हुए कौटिल्य फाउडेशन के चेयरमैन राजेंद्रनाथ तिवारी ने बस्ती में मरीजों का खून चूसने वाले आंतकी डाक्टर्स के खिलाफ मेडिकल सर्जिकल स्टराइक करने की मांग पीएम मोदी से पत्र लिखकर की है। अगर डा. गौड़, डा. शर्मा और डा. रेनू राय प्राइवेट नर्सिगं होम में गरीब मरीजों का खून चूस रहे हैं, तो सीएचसी गायघाट के एमओआईसी डा. फैज वारिश सरकारी डाक्टर होकर खुद तो मरीजों का खून चूस रहे हैं, बल्कि मेडिकल स्टोर और नर्सिगं होम से भी खून चुसवा रहें। डाक्टर फैज पिछले 13 साल से सीएचसी गायघाट में जमे हुए हैं, इन्होंने गांव-गढ़ी के गरीब मरीजों का खून चूसने के लिए सीएचसी के सामने सात मेडिकल स्टोर खोलवा रखा, इनमें एक के पास भी लाइसेंस नहीं है। सीएचसी के बगल अपने चहेते को मैक्स नामक नर्सिगं होम भी खुलवा रखा। अधिक कमीशन और नकली दवांए यह अपने सातों मेडिकल से मरीजों को भेजकर खरीदवाते, जो मरीज अस्पताल में आता, उसे गंभीर बीमारी बताकर नर्सिगं होम में भर्ती कराने को मजबूर करके उनका खून चूसवाते है। डाक्टर साहब जैसे ही अपने चेंबर में आते वैसे ही सातों मेडिकल स्टोर वाले डा. फैज के अगल-बगल में आकर खड़े हो जाते, यह लोग बकायदा दवा लिखते और मरीजों का मरहम पटटी तक करते, एक तरह से यह लोग वार्ड ब्याय की भूमिका निभातें। अगर अस्पताल में कोई पैसे वाला मरीज आता है, तो डाक्टर साहब उसे गंभीर बीमारी का हवाला देकर मैक्स नर्सिगं होम भेज देते है। वहीं गरीब मरीजों को जिला अस्पताल रेफर कर देते है। सीएचसी में सारे बेड खाली रहते, लेकिन नर्सिगं होम में नहीं, इन 13 सालों में डाक्टर फैज ने सातों मेडिकल स्टोर्स और नर्सिंगं होम से इतना अकूत संपत्ति अर्जित किया जितना मेडिकल स्टोर्स और मैक्स वाले अर्जित नहीं किए होगें। सभी सीएमओ इन्हें कमाउपूत डाक्टर समझते रहेें हैं, तभी तो यह 13 साल से सीएचसी में जमे हुए हैं, जब भी इनका तबादला होता है, मेडिकल स्टोर्स और मैक्स वाले धन और बल से रोकवा देते, साल का मार्च या अप्रैल आते ही, सीएमओ के टेबुल पर तीन लाख पहुंच जाता, ताकि तबादला न हो, सीएमओ यह पैसा मरीजों का खून चूसने के लिए डा. फैज जैसे सरकारी डाक्टरों से लेते है। जिला अस्पताल से अधिक सीएचसी गायघाट में नकली और बाहर की दवांए लिखी जाती है, कोई भी ऐसा पर्चा नहीं होता, जिसमें 12-13 सौ की दवाएं न लिखी जाती हों। प्रोटीन पाउडर और मल्टी विटामिन सीरप अधिक लिखी जाती है। डा. फैज न सिर्फ मरीजों का खून चूस रहें है। बल्कि सरकारी बजट और रखरखाव के नाम पर आने वाले धन पर भी हाथ साफ करते। प्रत्येक डिलीवरी पर 100 रुपया लेते है। जितने भी टेंडर होते हैं, सभी यह अपने चहेतों को देते है। डृयूटी न करने वाले आशा और एएनएम से हर माह अलग से पैसा लेते है। दवाओं पर डा. फैज को 40 फीसद कमीशन मिलता है। मरीजों का खून चूस-चूसकर इन्होंने संतकबीरनगर और बस्ती में अनेक स्थानों पर कीमती जमीने खरीद रखी है। जब भी कोई भाजपाई या अन्य नेता इनकी शिकायत करते और जांच कराने की मांग करते, वह नेता और शिकायतकर्त्ता त्वरित मैनेज हो जाता, जिन भाजपाईयों को डाक्टर साहब चोर, बेईमान और खून चुसवा लगते थे, वही लोग बाद में अस्पताल से माला पहनकर डाक्टर का गुनगान करने लगते है। इसी लिए इन्हें डा. गौड़, डा. शर्मा और डा. रेनू का भी फादर कहा जाता है। किस नियम के तहत सीएचसी के पीछे मैक्स नामक प्राइवेट अस्पताल खुल गया, यह जांच का विषय है।

You can share this post!

क्षेत्रीय विधायक अनूपशहर के गांव के विद्यालय में जल भराव मंडल अध्यक्ष ज्ञानेंद्र सिंह राघव ने की जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी से शिकायत, दी आंदोलन की चेतावनी।*

28 मई को दो भाजपाईयों ने शिकायत किया, चार जून को माला पहन लिया

Tejyug News LIVE

Tejyug News LIVE

By admin

No bio available.

0 Comment

Leave Comments