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‘हर्रैया’ जैसा ‘कमीशन’ नहीं मिला तो ‘सड़कों’ की होगी ‘जांच’!

‘हर्रैया’ जैसा ‘कमीशन’ नहीं मिला तो ‘सड़कों’ की होगी ‘जांच’!

-सपा के चारों विधायकों ने पीडब्लूडी के ठेकेदारों को सर्किट हाउस में बुलाकर सुनाया कमीशन का फरमान, फरमान सुनकर बस्ती का ठेकेदार बांसी भाग गया, और वहां ठेेकेदारी करने लगा

-कमीशन वसूलने के लिए पिपरा गौतम के बाबू साहब को लगाया गया, चूंकि बाबू साहब ठेकेदार थे, नहीं इस लिए कमीशन का फरमान धरा का धरा रह गया, अलबत्ता ठेकेदारों ने टेंडर डाल दिया

-जब बात नहीं बनी तो विधायक महेंद्रनाथ यादव ने अपने विधानसभा की सड़कों की जांच भी करवाया, इसमें कई जेई फंस भी रहे थे, ठेकेदारों से स्पष्ट कहा गया कि अगर हर्रैया जैसी व्यवस्था अन्य चारों विधानसभा क्षेत्रों में नहीं बनी तो सड़क बनाना मुस्किल हो जाएगा, जहां सड़क बनेगी उस गांव के लोगों को विरोध के लिए लगा दूंगा

-ठेकेदारों का यह दर्द शुक्रवार को हुई बैठक में भी छलका, और इस समस्या का समाधान निकालने के लिए नवागत अध्यक्ष रवीेंद्र नाथ मिश्र को जिम्मेदारी सौंपी गई, ताकि ठेकेदार ग्रामीणों, जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों से परेशान न हो, और ठेकेदार काम करने में अपने आप को सहज महसूस कर सके

बस्ती। बात फरवरी 25 की है, सपा के चारों विधायकों ने सर्किट हाउस में पीडब्लूडी के ठेकेदारों को बुलाया, इसमें करीब 50 ठेकेदार षामिल हुए। पहले तो ठेकेदारों को यह लगा कि माननीयगण सड़कों की गुणवत्ता और समय से निर्माण कराने के लिए बुलाया होगा, अनेक ठेकेदारों का आज भी कहना है, कि अगर उन लोगों को यह मालूम होता कि माननीयगण हर्रैया और संतकबीरनगर जैसा कमीषन चाहते हैं, तो बैठक में न जाते। ठेकेदारों को उस समय हैरानी हुई, जब उनसे कहा गया कि जो व्यवस्था हर्रैया विघानसभा में हैं, वहीं व्यवस्था अन्य चारों विधानसभाओं में भी होना चाहिए, धमकी के लहजे में कहा गया कि अगर हर्रैया जैसी व्यवस्था नहीं हुई, तो इतनी जांच हो जाएगी और एफआईआर हो जाएगा, कि भागते फिरेगें। यह भी कहा कि जहां-जहां सड़क बनेगी, वहां के लोगों को हम लोग लगा देगें, ताकि सड़क न बन सके। कमीशन वसूलने के लिए पिपरा गौतम के एक बाबू साहब को लगाया गया, चूंकि बाबू साहब ठेकेदार नहीं थे, इस लिए माननीयगण की योजना विफल हो गई। ठेकेदारों ने बिना एडवासं कमीशन दिए टेंडर भी डाल दिया, उस पर माननीयगण और भी नाराज हो गए। महेंद्रनाथ यादव ने चुन-चुनकर अपने विधानसभा की सड़कों की जांच के लिए शासन को भी लिखा। जांच भी हुई, जिसमें कई जेई लपेट में आ रहे थे। ठेकेदारों का यह दर्द शुक्रवार को हुई बैठक में भी छलका, और इस समस्या का समाधान निकालने के लिए नवागत अध्यक्ष रवीेंद्र नाथ मिश्र को जिम्मेदारी सौंपी गई, ताकि ठेकेदार ग्रामीणों, जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों से उन्हें परेशानी न हो, और ठेकेदार काम करने में अपने आप को सहज महसूस कर सके। खास बात यह रही कि सर्किट हाउस के फरमान के बाद एक ठेकेदार यह सोचकर बांसी चला गया कि कौन सड़कों की जांच के झमेले में पड़ने जाए।

ठेकेदारों का कहना है, कि यही बैठक अगर सड़कों की गुणवत्ता और ठेकेदारों को टेंडर में आ रही परेशानियों को जानने और उसे दूर करने के लिए बुलाई गई होती तो आज जिले की सड़कें चलने लायक होती। सड़क बनते ही टूट न जाती। इसका खुलासा विधायक दूधराम कर भी चुके है। माननीगण ने बैठक इस लिए बुलाया ताकि हर्रैया विधानसभा जैसी व्यवस्था ठेकेदार उनके विधानसभाओं में भी बना सके। जिन माननीयों पर जनता विष्वास करती है, अगर वही माननीय कमीषन के लिए बैठक बुलाए तो माननीयों और अधिकारियों में क्या फर्क रह गया। यह भी सही है, कि अगर हर्रैया विधानसभा में व्यवस्था न होती तो माननीयगण अपने-अपने विधानसभाओं के लिए व्यवस्था की मांग नहीं करते। यह सही हैं, कि माननीयों का खर्चा इतना अधिक हैं, कि अपने निधि तक को बेचना पड़ता है। यहां पर सपा के चारों विधायकों को यह लगा कि यह तो उनकी कमी है, कि वह अपनी विधानसभाओं में हर्रैया विधानसभा जैसी व्यवस्था नहीं करवा पा रहें है। सवाल उठ रहा है, कि माननीय क्यों नहीं कार्यदाई संस्था सीडिको के द्वारा निर्माण कराई जा रही सड़कों और अन्य निर्माण कार्यो की जांच कराते? क्यों सिर्फ उन पीडब्लूडी के ठेकेदारों के द्वारा बनाई गई सड़कों की जांच कराते? आजतक एक भी माननीय ने अपने निधि की जांच नहीं करवाया। क्यों नहीं करवाया यह कहने और लिखने की बात नहीं बल्कि समझने की बात है। कमिष्नर, डीएम और सीडीओ ने भी उन निर्माण परियोजनाओं की जांच नहीं कराते, जिनकी स्वीकृति वे देते है। प्रशासन दुनिया भर की जांच करा लेगा, लेकिन माननीयों के निधियों की जांच षिकायत करने पपर भी नहीं कराता। एक बार तत्कालीन डीएम माला श्रीवास्तवा ने सांसद निधि की दस परियोजनाओं की जांच जिसमें आडिटोरिएम भी शामिल था, करवाया था, एक दो परियोजना तो मौके पर मिली ही नही। जब कार्रवाई करने की बारी आई तो कबीर हत्याकांड हो गया, और नेताओं ने इसी बहाने उन्हें साध दिया। जब भी माननीयों के निधियों के जांच की बात आएगी तो डीएम माला श्रीवास्तवा का नाम अवष्य आएगा।

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