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हर्रैया में होने वाला अब तक का सबसे बड़ा धमाका

हर्रैया में होने वाला अब तक का सबसे बड़ा धमाका

-इस धमाके की गूंज दिल्ली तक सुनाई देगी, सीएम तक पहुंचने वाले दस्तावेज

-100 से 150 करोड़ों की लागत से खरीदी गई जमीनों का होने वाला खुलासा

-दो नेताओं की उतरने वाली चढढी और बनियाइन, खुलासा हो गया तो मुंद छिपाते फिरेंगे

बस्ती। हर्रैया में अब तक सबसे बड़ा धमाका होने वाला है, इस धमाके की गूंज दिल्ली तक सुनाई देगी, कान के पर्दे फाड़ देने वाला धमाका करने की तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है। फाइनल टच दिया जा रहा है। सीएम तक दस्तावेज पहुंचाने की तैयारी हो रही। 100 से 150 करोड़ की लागत से खरीदी गई जमीनों का खुलासा होने जा रहा है। दो नेताओं की चढढी और बनियाइन उतरने वाली है। खुलासा होने के बाद दोनों नेताओं के परिवार को किसी अज्ञात स्थानों पर जाना पड़ सकता। जाहिर सी बात है, इस खुलासे के बाद हर्रैया में कफयू लगाने की नौबत आ जाएगी। कानून व्यवस्था का संकट खड़ा हो जाएगा। इस खुलासे के बाद लोगों को पता चलेगा कि एक आम आदमी और नेताओं में कितना फर्क होता है। एक आम आदमी को अगर एक विस्वा जमीन मिल जाए तो समझो उसका सपना पूरा हो गया, लेकिन नेताओं और उनके परिवार को कितनी जमीन चाहिए, उन्हें खुद नहीं मालूम। हाल ही में दो में से एक नेता ने अपने बेटे के नाम करोड़ों रुपये की जमीन का बैनामा करवाया। खुलासा होने के बाद लोगों की आखें फटी की फटी रह जाएगी। अगर मैनेज नहीं हुआ तो धमाका होकर रहेगा। मैनेज की बाद इस लिए बार-बार कही जा रही है, क्यों कि राजनीति में किसी का कोई भरोसा नहीं, कब क्या हो जाए, कब कौन पलट जाए, किसी को भी नहीं मालूम, और बस्ती के नेताओं को राजनीति का डर्टी गेम खेलने में माहिर माना जाता है। इतने बड़े पैमाने पर जमीनों की खरीद फरोख्त किस स्रोत से हुआ होगा, यह चर्चा का विषय हो सकता है। प्रापर्टी खरीदना कोई गलत या बुरी बात नहीं हैं, लेकिन अगर प्रापर्टी बेईमानी और चोरी के पैसे से खरीदी जाए तो सवाल उठेगा ही। नेता जितनी तेजी से तरक्की करता, उतनी तेजी से कोई बिजनेसमैन नहीं कर पाता। जबकि देखा जाए तो नेताओं की आमदनी का सा्रेत उनका वेतन और भत्ता होता है, उसके बाद भी अगर नेता दस-पांच नहीं बल्कि सौ डेढ़ सौ करोड़ की जमीन खरीदता है, तो सवाल उठेगा ही। बहरहाल, अगर यह धमाका हो गया तो अनेक नेताओं की पोल खुल जाएगी। नेता जब तक नेता नहीं रहता तो उसका चाल, चलन और व्यवहार बहुत अच्छा रहता है, लेकिन जैसे ही वह नेता बन जाता है, और पैसा कमाने लगता तो उसका सबकुछ बदल जाता है, एक अच्छे इंसान से खराब इंसान बन जाता है। वह सच्चाई से दूर भागता है। कहा भी जाता है, अगर किसी के चरित्र को खराब करना है, तो उसे कोई पद दे दिजीए। पद मिलते ही वह सबसे पहले उन लोगों के विष्वास का खून करता है, जिन लोगों ने नेताओं को फर्ष से अर्ष तक पहुंचाया। देहाती भाषा में किसी को भी अपनी औकात नहीं भूलनी चाहिए। जो भी औकात भूला, समझो उसका पतन आज नहीं तो कल होना ही है।

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