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‘हरीश सिंह’ ने रेडक्रास सोसायटी के ‘अध्यक्ष’ और सचिव पर ठोंका 20 लाख का ‘दावा’

‘हरीश सिंह’ ने रेडक्रास सोसायटी के ‘अध्यक्ष’ और सचिव पर ठोंका 20 लाख का ‘दावा’

-अधिवक्ता गोपेंद्र गुप्त के जरिए भेजा कानूनी नोटिस, लगाया निर्वाचन पत्रावली में छेड़छाड़ और हेराफेरी का आरोप

-कहा कि सर्वाधिक मतों से जीतने के बाद भी प्रबंध समिति के सदस्य पद में बिना किसी कारण एवं पूर्व सूचना के हटा देना और साजिश के तहत प्रदेश प्रबंघ समिति के चुनाव में भाग लेने से रोकना

-नोटिस में रेडक्रास सोसायटी के चेयरमैन डा. प्रमोद कुमार चौधरी और सचिव रंजीत लाल श्रीवास्तव पर धोखाधड़ी, तथ्यों को छिपाने, कूटरचना, एवं फर्जी कागजात के जरिए प्रदेश कमेटी के चुनाव में प्रतिभाग न करने का लगाया आरोप

बस्ती। देखा जाए तो रेडक्रास सोसायटी में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। निर्वाचित पदाधिकारी रचनात्मक कार्य करने के बजाए अपने ही साथियों के खिलाफ साजिशऔर शड़यंत्र रच रहे है। ऐसे व्यक्ति को अपमानित करने और उन्हें नीचा दिखाने का प्रयास किया गया, जिसने जीतने का रिकार्ड बनाया। यह भी कहा जाता है, कि अगर अध्यक्ष डा. प्रमोद कुमार चौधरी और सचिव रंजीत लाल श्रीवास्तव और उनकी टीम मिलकर सर्वाधिक मत पाने वाले और राज्य प्रबंधन कमेटी के सदस्य हरीश सिंह के खिलाफ एक साजिश के तहत प्रदेश चुनाव में भाग लेने से रोकतें है, तो रेडक्रास सोसायटी के कामकाज पर सवाल तो उठेगा ही, अगर ऐसे में अध्यक्ष और सचिव के खिलाफ 20 लाख का दावा ठोंका जाता तो इसे गलत नहीं कहा जा सकता है। रेडक्रास सोसायटी का गठन समाज सेवा के लिए हुआ न कि अपने ही सम्मानित सदस्य के खिलाफ साजिश रचने के लिए। इससे तानाशाही के होने का भी पता चलता है। वरना कोई भी अध्यक्ष और सचिव ऐसी साजिश का हिस्सा न बनते। जिस तरह नोटिस में रेडक्रास सोसायटी के चेयरमैन डा. प्रमोद कुमार चौधरी और सचिव रंजीत लाल श्रीवास्तव पर धोखाधड़ी, तथ्यों को छिपाने, कूटरचना, एवं फर्जी कागजात के जरिए प्रदेश कमेटी के चुनाव में प्रतिभाग करने से रोकने का आरोप लगाया गया, उसे अतिगंभीर माना जा रहा है। किसी भी नई कमेटी खासतौर पर रेडक्रास सोसायटी जैसी इंटरनेशनल मानव सेवा संस्था के अध्यक्ष और सचिव पर इस तरह का आरोप लगता है, तो यह पूरे रेडक्रास सोसायटी की बदनामी और अपमान है। इतनी बड़ी सेवा करने वाली संस्था के अध्यक्ष और सचिव पर 20 लाख के हर्जाने का दावा ठांेका जाता है, तो बदनामी तो होगी ही। सवाल उठ रहा है, कि आखिर इस साजिश की आवष्यकता ही क्यों पड़ी? यह जानते हुए कि एक ऐसे व्यक्ति के खिलाफ साजिश की जा रही है, जिसने जीतने का रिकार्ड बनाया। अधिवक्ता गोपेंद्र गुप्त के जरिए जो कानूनी नोटिस भेजा गया है। उसमें निर्वाचन पत्रावली में छेड़छाड़ और हेराफेरी का आरोप लगाया गया है।

नोटिस में कहा गया कि चेयरमैन और सचिव के द्वारा उसे क्षति पहुंचाई गई, बिना किसी कारण व पूर्व सूचना के बस्ती जनपद से प्रबंधक समिति की सूची से नाम नामित होने के बावजूद नाम हटाया गया, और जब इसकी जानकारी प्रदेश कार्यालय से की गई तो पता चला कि हरीश सिंह का नाम विलोपित कर दिया गया, जिसके चलते प्रदेश कमेटी के चुनाव में यह वोट नहीं डाल सके। कहा गया कि आप दोनों के द्वारा अपने अधिकार सीमा क्षेत्र का उल्लघंन किया गया, चुनाव पत्रावली में साजिशन हेर-फेर की गई, उच्चाधिकारियों से धोड़ाधड़ी व तथ्यों को छिपाकर कूटरचना एवं फर्जी कागजात तैयार की गई और जानबूझकर हरीश सिंह की सामाजिक और राजनैतिक ख्याति को क्षति पहुंचाया गया। रेडक्रास सोसायटी के इतिहास में यह पहली बार हो रहा है, कि राज्य प्रबंध समिति के नामित सदस्य के द्वारा अध्यक्ष और सचिव को फ्राड के आरोप में नोटिस भेजा गया। यह हैं, नई रेडक्रास सोसायटी के अध्यक्ष और सचिव के कामकाज का सच। इसे किसी भी हालत में बस्ती के रेडक्रास सोसायटी की उपलब्धि नहीं मानी जा सकती है। अगर, अध्यक्ष और सचिव ने अपने जबाव से हरीश सिंह को संतुष्ट नहीं किया तो यह मामला न्यायालय में जाने से कोई नहीं रोक सकता। उसके बाद जो होगा उसे सभी को अभी से मालूम है। तब धन और धर्म दोनों जाएगा। देखा जाए तो इस मामले में पलड़ा तो हरीश सिंह का ही भारी लग रहा है। जानकारों का कहना है, कि रेडक्रास सोसायटी को लड़ाई का अखाड़ा बनाने से बचाना होगा, वरना पूरे देश में बस्ती के रेडक्रास सोसायटी की छवि खराब होगी।

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