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हरीशजी’ संकट ‘खाद’ का ‘नहीं’, ‘कालाबाजारीे’ का!

हरीशजी’ संकट ‘खाद’ का ‘नहीं’, ‘कालाबाजारीे’ का!

-हरीशजी अगर वाकई आप और आप की टीम किसानों को उचित दाम और समय पर खाद उपलब्ध कराना चाहते हैं, तो इसके लिए आप को सबसे पहले जिला कृषि अधिकारी, एआर और पीसीएॅफ के डीएस पर हैमर करना पड़ेगा, क्यों कि बस्ती का खाद नेपाल और यूरिया पंप पर जा रहा

-डीएम को बजाए खाद की संकट को त्वरित दूर करने को लिखने के बजाए खाद की कालाबाजारी को रोकने के लिए प्रभावी कार्रवाई करनी चाहिए,

-किसानों को खाद चाहिए, कौन डीएम और सीएम को लिखकर उससे उसे कोई सरोकार नहीं, यही पत्र अगर रवी सीजन शुरु होने से लिखा गया होता और मिलकर दबाव बनाया गया होता तो इसका प्रभाव कुछ और पड़ता

-बहरहाल, आप ने डीएम को किसानों की समस्या से अवगत करा दिया, बहुत किया, अब अपने टीम 11 को इस काम में सक्रिय होने को कह दीजिए

-भाजपा जिलाध्यक्ष और भाजपा किसान मोर्चा के जिलाध्यक्ष की ओर से भी प्रभावी कार्रवाई करनी चाहिए, क्यों कि किसान सबसे अधिक इन्हीं दोनों से उम्मीद करती

बस्ती। जिस तरह जनपद में बढ़ते खाद संकट और समितियों पर खाद उपलब्धता की कमी को लेकर पूर्व सांसद एवं भाजपा असम प्रभारी हरीश द्विवेदी की ओर से गंभीर चिंता जताते हुए डीएम को पत्र लिखा हैं, उसकी उपयोगिता और सार्थतता पर सवाल उठ रहे हैं, और किसानों की ओर से कहा जा रहा है, कि हरीशजी अगर वाकई आप और आप की टीम किसानों को उचित दाम और समय पर खाद उपलब्ध कराना चाहते हैं, तो इसके लिए आप को सबसे पहले जिला कृषि अधिकारी, एआर और पीसीएॅफ के डीएस पर हैमर करना पड़ेगा, क्यों कि इन्हीं तीनों की मिली भगत से बस्ती का खाद नेपाल और यूरिया पंप पर जा रहा। कहते हैं, कि डीएम को खाद की संकट को त्वरित दूर करने को लिखने के बजाए खाद की कालाबाजारी को रोकने के लिए प्रभावी कार्रवाई करने पर जोर देना चाहिए था, क्यों कि जिले भर का किसान जानता है, कि खाद कहां जा रहा है, और क्यों नहीं उसे मिल रहा? कहते हैं, कि किसानों को खाद चाहिए, किसने डीएम और सीएम को लिखा उससे किसानों को कोई सरोकार नहीं, कहते हैं, कि अगर यही पत्र रवी सीजन शुरु होने से लिखा गया होता और मिलकर दबाव बनाया गया होता तो इसका प्रभाव कुछ और पड़ता। किसानों की नजर में इस तरह के पत्र का कोई मतलब नहीं। बहरहाल, आप ने डीएम को किसानों की समस्या से अवगत करा दिया, बहुत किया, अब अपने टीम 11 को इस काम में सक्रिय होने को कह दीजिए। भाजपा जिलाध्यक्ष और भाजपा किसान मोर्चा के जिलाध्यक्ष की ओर से भी प्रभावी कार्रवाई करनी चाहिए, क्यों कि किसान सबसे अधिक इन्हीं दोनों से उम्मीद कर रही है।

पूर्व सांसद के निर्देश पर पूर्व सांसद का पत्र भाजपा नेता अमृत कुमार वर्मा, राजकुमार शुक्ल और अभिषेक पाण्डेय डीएम कार्यालय गए और उनकी गैरमौजूदगी में डीएम के स्टेनों को पत्र दिया। पत्र में उल्लेख किया गया है कि वर्तमान समय में जनपद के अधिकांश समितियों पर खाद का पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध नहीं है, जिसके कारण किसान भारी परेशानी का सामना कर रहे हैं। रबी की बुवाई का यह समय किसानों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है और खाद की कमी से फसल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ना स्वाभाविक है। इससे किसानों के आर्थिक जीवन पर भी गंभीर असर पड़ेगा। पूर्व सांसद द्वारा भेजे गए पत्र में यह भी बताया गया कि कई समितियाँ जनशक्ति के अभाव में सप्ताह में केवल एक-दो दिन ही खुल पा रही हैं। इससे खाद वितरण की प्रक्रिया बाधित हो रही है, और किसानों को लंबी दूरी तक भटकना पड़ रहा है। यदि समितियों में मैनपावर बढ़ाकर उन्हें प्रतिदिन खोले जाने की व्यवस्था सुनिश्चित कर दी जाए तो किसानों को काफी राहत मिलेगी। जनपद की सभी समितियों पर खाद की पर्याप्त उपलब्धता तत्काल सुनिश्चित कराई जाए। समितियों में मैनपावर की संख्या बढ़ाई जाए तथा उन्हें प्रतिदिन संचालित करने के निर्देश जारी किए जाएँ। खाद वितरण में पारदर्शिता बनाए रखने हेतु निगरानी तंत्र को और अधिक सक्रिय किया जाए।

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