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साहित्य/लेख

इनोवेशन है नई अर्थव्यवस्था का इंजन,

देश की बिगडती अर्थव्यवस्था

 अजय कुमार। उद्योगपति कुमार मंगलम बिड़ला ने हाल में कहा, ‘आज किसी भी व्यवसाय को शुरू करने के लिए एक करोड़ रुपये भी पर्याप्त नहीं हैं।’ वह व्यवसाय को बड़े पैमाने पर बढ़ाने और इसके लिए आवश्यक पूंजी के पहलू को रेखांकित कर रहे थे। वहीं, इनोवेशन यानी नवाचार को बढ़ावा देने के अपने अनुभव के आधार पर मुझे लगता है कि आज इनोवेशन और रचनात्मकता वित्तीय संसाधनों से अधिक अहम है।

एक साधारण इनोवेशन अक्सर भारी-भरकम पूंजी की तुलना में कहीं असाधारण शक्ति प्रदान करता है। भारत में स्टार्टअप इंडिया के तहत 1.4 लाख से अधिक स्टार्टअप पंजीकृत हैं। लाखों स्टार्टअप अस्तित्व में आने की तैयारी कर रहे हैं। अधिकांश स्टार्टअप मामूली अनुसंधान अनुदान पर या छोटी व्यक्तिगत बचत पर निर्भर हैं।

आईआईटी कानपुर में स्टार्टअप इनक्यूबेशन एंड इनोवेशन सेंटर यानी एसआईआईसी के साथ अपने जुड़ाव के आधार पर मैं कह सकता हूं कि अधिकांश स्टार्टअप दृढ़ संकल्प और एक सम्मोहक विचार से लैस और छोटे अनुदानों पर निर्भर होते हैं। कई मायनों में वे लाख रुपये से ही शुरुआत करते हैं और वे भी किसी सरकारी या गैर-सरकारी एजेंसी द्वारा प्रदान किए जाते हैं।

यह अनुदान उन्हें लैब-स्केल प्रोटोटाइप विकसित करने और उसकी अवधारणा के प्रमाण को मान्य करने में सक्षम बनाते हैं। एक बार बात आगे बढ़ने पर एंजल निवेशकों तक उनकी पहुंच हो जाती है। एंजल निवेशक इकोसिस्टम प्रारंभिक चरण के स्टार्टअप्स को एंजल फंडिंग और डीपीआईआईटी, डीएसटी और रक्षा मंत्रालय जैसे निकायों से सरकारी अनुदान के माध्यम से हर वर्ष लगभग 10,000 से 15,000 करोड़ रुपये मिल जाते हैं, जो इन नए उद्यमों की आरंभिक आवश्यकताओं की पूर्ति में उपयोगी होते हैं।

इस कड़ी में वेंचर कैपिटल यानी वीसी उद्योग भी अहम भूमिका निभा रहा है। स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के दूरदर्शी प्रोफेसर फ्रेडरिक टर्मन ने स्टार्टअप की क्षमता को तब समझा, जब उन्होंने विलियम हेवलेट और डेविड पैकार्ड को हेवलेट-पैकार्ड कंपनी स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया। बाद में यही एचपी नाम का दिग्गज कंप्यूटर ब्रांड बना।

अमेरिका की सिलिकन वैली उद्यमों की ऐसी ही सफलता गाथाओं से भरी है। भारत में ही पिछले 10 वर्षों के दौरान वीसी उद्योग तेजी से बढ़ा है। वर्ष 1993 तक इस क्षेत्र में जहां केवल आठ कंपनियां प्रतिवर्ष 100 करोड़ रुपये से कम का प्रबंधन करती थीं, वहीं अब इस उद्योग में 1,750 से अधिक कंपनियां सक्रिय हैं, जिनका निवेश प्रतिवर्ष दो लाख करोड़ के करीब है।

पारंपरिक सोच यह है कि प्रतिस्पर्धा के लिए व्यवसाय का बड़ा होना अनिवार्य है। हालांकि आज की वैश्वीकृत अर्थव्यवस्था ने इस अवधारणा पर सवालिया निशान लगाए हैं, क्योंकि छोटी कंपनियां भी बहुत जल्द अपना दायरा बढ़ाकर वैश्विक स्तर पर स्थापित हो जाती हैं। इनमोबी और जोहो इसके उदाहरण हैं।

उनका आकलन केवल पूंजी से नहीं, बल्कि उनकी अभिनव क्षमताओं से ही संभव है। उनकी ये क्षमताएं उन्हें प्रतिस्पर्धी बनाती हैं। मुंबई के मशहूर डिब्बावालों को ही देखें तो वे पूंजी के बजाय सरलता के माध्यम से अपने दायरे के विस्तार की एक उम्दा मिसाल हैं। वे रोजाना बड़े पैमाने पर लंच बाक्स वितरित करते हैं और वह भी सीमित बुनियादी ढांचे के साथ।

नई अर्थव्यवस्था में बौद्धिक संपदा यानी आईपी के माध्यम से भी धन का तेजी से सृजन हो रहा है। आईपी के लिए इनोवेशन सबसे महत्वपूर्ण पहलू है। आईपी से न केवल संपदा सृजन, बल्कि प्रतिस्पर्धा और विकास में भी मदद मिलती है। वर्ल्ड इंटेलेक्चुअल प्रापर्टी आर्गेनाइजेशन के अनुसार 2020 में वैश्विक आईपी संपत्तियों का मूल्य 100 ट्रिलियन (लाख करोड़) डॉलर से अधिक था और उसमें वृद्धि जारी है। भारत में 2013-14 और 2023-24 के बीच स्टार्टअप द्वारा आईपी फाइलिंग में लगभग पांच गुना वृद्धि हुई है।

इनोवेशन सिर्फ नई और उभरती हुई तकनीकों तक सीमित नहीं है। इसकी सफलता गाथाएं विविधतापूर्ण एवं नवोन्मेषी भावना को उजागर करती हैं, जो पूरे भारत में विकास को गति दे रही हैं। अगर सवाल यह है कि इनोवेशन ज्यादा महत्वपूर्ण है या वित्तीय पूंजी तो तथ्य खुद ही सब कुछ बयान कर देते हैं। अनुमान है कि स्टार्टअप इकोसिस्टम 2025 तक हर साल एक करोड़ से अधिक नौकरियां पैदा करेगा।

2020 में नास्काम और जिन्नोव के एक सर्वेक्षण के अनुसार 58 प्रतिशत से अधिक भारतीय छात्रों ने पारंपरिक करियर विकल्पों के बजाय अपना स्टार्टअप शुरू करने को तरजीह दी। 2023 में डीपीआईआईटी के साथ 70,000 से अधिक स्टार्टअप पंजीकृत हुए। इनके संस्थापकों में से अधिकांश 30 साल से कम उम्र के हैं।

टियर-2 और टियर-3 शहरों में देश के 30 प्रतिशत स्टार्टअप सक्रिय हैं और प्रतिवर्ष लगभग पांच लाख से ज्यादा नौकरियां सृजित कर रहे हैं। इनमें से अधिकांश उद्यम महज कुछ लाख रुपये की मामूली पूंजी से शुरू हुए। निष्कर्ष यही है कि उद्यम के लिए पूंजी अत्यंत महत्वपूर्ण है, लेकिन इनोवेशन नई अर्थव्यवस्था का असली इंजन है। अब पूंजी इनोवेशन का अनुसरण करती है।

व्यवसाय में सफलता आपकी पूंजी के आकार से नहीं, बल्कि आपके विचारों की शक्ति से आती है। इनोवेशन वृद्धि का सबसे बड़ा उत्प्रेरक है, जो सपनों को उद्यमों में और बाधाओं को अवसरों में बदल देता है।


(लेखक पूर्व रक्षा सचिव और आईआईटी, कानपुर में विजिटिंग प्रोफेसर हैं)

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