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इस बार नर्सिगं होम के नवीनीकरण का फीस 25 हजार

इस बार नर्सिगं होम के नवीनीकरण का फीस 25 हजार

-एक साल पहले तक नवीनीकरण दो से पांच हजार में हो जाता था, नवीनीकरण के नाम पर सीएमओ कार्यालय के जिम्मेदार हर साल करोड़पति होते रहें

-चूंकि 26 के बाद जो नवीनीकरण होगा, वह पांच साल के लिए होगा, इस लिए पांच साल की भरपाई एक साल में ही कर लेना चाहते

-जिले में लगभग 400 से अधिक नर्सिगं होम, पौथालाजी, अल्टासाउंड और एक्सरे सेंटर संचालित हो रहें

-सीएमओ कार्यालय की इच्छा उसी संस्था के संचालक सबसे पहले पूरी करते, जो कहीं न कहीं गलत रहते

-एक तरह से इन्हीं लोगों के चलते अन्य सही वाले संस्था चपेट में आ जाते हैं, आनलाइन आवेदन करने और सारी आवष्यकताओं को पूरा करने के बाद भी कार्यालय वाले ग्राहक का इंतजार करते रहते

-सुविधा शुल्क जमा करने के बाद कोई छानबीन नहीं होती, और न सत्यापन ही होता, घंटाभर नवीनीकरण में नहीं लगता

-सीएमओ कार्यालय की मनमानी और आर्थिक शोषण का शिकार आईएमए के सदस्य भी होते हैं, फिर भी आवाज नहीं उठाते हैं, बल्कि बचाव करते हुए कहते हैं, कि कोई सुविधा शुल्क नहीं लिया जाता

बस्ती। नर्सिगं होम, पौथालाजी, अल्टासाउंड और एक्सरे सेंटर संचालित करने वाले चौंकिए मत, नवीनीकरण को इससे पहले जो दो से पांच हजार में काम चल जाता था, उसका रेट अब 20 से 25 हजार हो गया। इतना रेट इस लिए बढ़ाया गया, क्यों कि अब आप को पांच साल बाद फीस देना पड़ेगा, हो सकता है, मंहगाई बढ़ जाने के कारण यह फीस पांच साल बाद 50 हजार हो जाए, इतना फीस देने के लिए तैयार रहिएगा। साल 26 के फीस में पांच साल के आगे का फीस जुड़ा हुआ है। जिले में लगभग 400 सेंटरों को हर साल नवीनीकरण के नाम पर करोड़ों रुपया सुविधा शुल्क के रुप में सीएमओ कार्यालय के लोगों के द्वारा जमा किया जाता है। इस बार अगर 20-25 हजार के दर से सुविधा शुल्क लिया तो इतना पैसा हो जसएगा कि सीएमओ कार्यालय में पैसा रखने की जगी तलाशनी पड़ेगी। वैसे देखा जाए तो इसकी चपेट में सबसे अधिक आईएमए के सदस्य ही आ रहे हैं, पदाधिकारी तो बच जाएगें, लेकिन अन्य नहीं बचेगें, देखते हैं, कि इस मामले में आईएमए कितना शोर मचाते है। जो लोग सुविधाशुल्क जमा कर देते हैं, उनकी कोई छानबीन नहीं होती, भले ही चाहे वह गलत ही क्यों न हो? और ऐसे लोग सबसे पहले फीस जमा करने के लिए लालायित रहते है। इनकी चपेट में वह लोग भी आ जाते हैं, जिनका सबकुछ सही रहता है। नियमानुसार अगर किसी का आनलाइन आवेदन की प्रक्रिया मानकनुसार पूरा है, तो उसका नवीनीकरण हो जाना चाहिए, लेकिन यहां पर तो जिसका पूरा है, उसका भी इंतजार इस लिए किया जाता हैं, कि पता नहीं पांच साल बाद फिर कभी मुलाकात हो या न हो। चूंकि सीएमओ कार्यालय से कोई संचालक पंगा लेना नहीं चाहता हैं, इसी का यह लोग फायदा उठाते है। कहने को तो सीएमओ को कहने वाले ईमानदार कह रहे हैं, लेकिन इस मामले में न जाने इनकी ईमानदारी कहां चली गई। जाहिर सी बात हैं, जो गलत लोग फीस जमा कर रहे हैं, वह आगे चलकर गलत ही करेगें। दिक्कत यह है, कि हर कोई चाहता है, कि शोषण न हो, लेकिन कोई सामने आने को तैयार नहीं होता, मीडिया से कह देगें कि ऐसा हो रहा है, लेकिन लिखकर देने को तैयार नहीं रहते हैं, नाम भी बता देगें कि कौन ले रहा है, लेकिन लिखकर देने को तैयार नहीं होते, कहते हैं, कि हमने आप को बता दिया, अब आप की मर्जी, कहते हैं, कि आईएमए वाले भी पता नहीं क्यों इस मामले में मुखर नहीं होते।

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