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-जिला अस्पताल के सामने सुपर एक्सरे सेंटर के मालिक मो. आजम के यहां प्रशिक्षण लेता था, रफीउदीन

-जिला अस्पताल के सामने सुपर एक्सरे सेंटर के मालिक मो. आजम के यहां प्रशिक्षण लेता था, रफीउदीन

-इसी एक्सरे सेंटर पर नौकरी के लिए रफीउदीन ने अपना एक्सरे टेक्निसीएन की डिग्री की फोटो कापी लगभग चार साल पहले दिया था

-वायरल आडियो में मो. आजम स्वीकार कर रहा है, कि उसने डिग्री मेडीवर्ल्ड वालों को दिया था, पत्रावली में रफीउदीन का न तो आधार कार्ड और न ही पैन कार्ड लगा, मोबाइल भी किसी दूसरे का दर्ज

-मीडिया में सफाई देकर डाक्टर प्रमोद कुमार चौधरी फंस गए, फंसता देख झूठ बोल रहे हैं डाक्टर, अगर सही होते तो क्यों समझौते की बात करवातेःरफीउदीन

-सवाल उठ रहा है, कि जब डा. प्रमोद चौधरी के भाई डा. प्रवीन चौधरी थे तो भी रफीउदीन  की फर्जी डिग्री लगी थी, अब जब कि डा. प्रमोद चौधरी मालिक है, तो भी रफीउदीन की डिग्री लगी डिग्री लगने के चार साल बाद और मामला उजागर होने के बाद क्यों डा. प्रमोद चौधरी ने नोडल अधिकारी को 22 सितंबर 25 को पोर्टल से रफीउदीन का नाम पोर्टल से हटाने और नवीन पंजीयन का आवेदन किया

-जब मेडीवर्ल्ड का पंजीयन निरस्त हो गया तो कैसे डा. प्रमोद चौधरी ओपीडी कर रहे हैं, और अभी तक नोडल डा. एसबी सिंह ने क्यों डा. प्रमोद चौधरी के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया, जब कि खुद दर्ज कराने की बात लिखी

-डाक्टर प्रमोद चौधरी की छवि मीडिया नहीं बल्कि यह बयानबाजी करके खुद अपनी छवि खराब कर रहे हैं, कोई ऐसा नेता नहीं जिसके दरबार में इन्होंने हाजीरी न लगाई हो

बस्ती। एक्सरे टेक्निीसीएन रफीउदीन खान का कहना है, कि मेडीवर्ल्ड के डा. प्रमोद चौधरी झूठ बोल रहे है। डा. प्रमोद चौधरी का यह कहना कि रफीउदीन को उनके मृतक भाई डा. प्रवीन चौधरी ने रखा था, और उन्हीं से ही लेन-देन होता था, पूरी तरह गलत है, कहा कि आजतक न तो मैं डाक्टर प्रवीन और न डा. प्रमोद चौधरी से कभी मिला। कहा कि जब से उन्होंने डा. के खिलाफ फ्राड करने के आरोप में मुकदमा दर्ज करने के लिए तहरीर दिया, तभी से यह उनपर विभिन्न माध्यमों से समझौता करने का दबाव बना रहे है। कहते हैं, कि अगर डाक्टर सही है, तो फिर क्यों समझौता करने का दबाव क्यों बना रहे है? कहा कि चार साल पहले वह जिला अस्पताल के सामने सुपर एक्सरे सेंटर के मालिक मो. आजम के यहां प्रशिक्षण लेता था, वहीं उसने अपनी डिग्री की फोटो कापी मो. आजम को यह कहकर दिया था, कि अगर कोई अच्छी नौकरी मिलेगी तो बताना। कहते हैं, कि वायरल आडियो में मो. आजम स्वीकार कर रहा है, कि उसने डिग्री मेडीवर्ल्ड वालों को दिया था, कहा कि पत्रावली में रफीउदीन का न तो आधार कार्ड और न ही पैन कार्ड लगा, मोबाइल भी किसी दूसरे का दर्ज है। कहते हैं, कि मीडिया में सफाई देकर डाक्टर प्रमोद कुमार चौधरी फंस गए, फंसता देख झूठ बोल रहे हैं। सवाल उठ रहा है, कि जब डा. प्रमोद चौधरी के भाई डा. प्रवीन चौधरी थे तब भी रफीउदीन की फर्जी डिग्री लगी थी, अब जब कि डा. प्रमोद चौधरी मालिक है, तो भी रफीउदीन की डिग्री लगी है? सवाल यह भी उठ रहा है, कि डिग्री लगने के चार साल और मामला उजागर होने के बाद क्यों डा. प्रमोद चौधरी ने नोडल अधिकारी को 22 सितंबर 25 को पोर्टल से रफीउदीन का नाम हटाने और नवीन पंजीयन का आवेदन किया? क्यों नहीं भाई के मरने के बाद यही काम किया? इससे पता चलता है, कि डाक्टर प्रमोद चौधरी झूठ बोल रहे हैं। सवाल यह भी उठ रहा है, कि जब मेडीवर्ल्ड का पंजीयन निरस्त हो गया तो कैसे डा. प्रमोद चौधरी ओपीडी कर रहे हैं? और अभी तक नोडल डा. एसबी सिंह ने क्यों नहीं डा. प्रमोद चौधरी के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया? जब कि खुद दर्ज कराने की बात लिखित में कह चुके है। इससे पता चलता है, कि पूरा सीएमओ कार्यालय डा. प्रमोद चौधरी को बचाने में लगा हुआ, इसमें कुछ मीडिया वाले भी डाक्टर का साथ दे रहे है। कहा जा रहा है, कि अगर डाक्टर साहब सच होते तो वह प्रेस वार्ता बुलाते और अपनी बात कहते, लेकिन आजकल यह नया फैशन चल निकला, कुछ मीडिया को बुलाकर या फिर अपनी विज्ञप्ति भेज कर या फिर संबधों का इस्तेमाल करके अपने बचाव में खबरे प्रकाशित करवा दो। जिस भी डाक्टर ने मीडिया का सहारा लिया, वह हमेशा घाटे में रहा। बार-बार कहा जा रहा है, कि मीडिया किसी को बचा नहीं सकती, फंसा अवष्य सकती है। मीडिया को भी इस तरह के खबरों से बचना चाहिए, अगर किसी का पक्ष लिखना आवष्यक हो जाता है, तो उससे सवाल भी करिए और अपनी राय भी लिखिए। कौन नहीं जानता कि मेडीवर्ल्ड वालों ने फ्राड किया है, अगर फ्राड नहीं किए होते हो पंजीकरण निरस्त नहीं होता। सबको पता है, लेकिन कुछ मीडिया को पता नहीं। समाज बार-बार यह सवाल उठाती है, कि क्यों कुछ मीडिया वाले भ्रष्ट लोगों की मदद करते है, ऐसे लोगों की मदद करते हैं, जो समाज, इंसानियत और सरकार तीनों के लिए खतरा बने हुए हैं। भविष्य में अगर मेडीवर्ल्ड वालों का कुछ नुकसान होगा तो इसके लिए चंद मीडिया को ही जिम्मेदार माना जाएगा। कहा भी जा रहा हैं,कि डाक्टर प्रमोद चौधरी की छवि मीडिया नहीं बल्कि यह बयानबाजी करके खुद अपनी छवि खराब कर रहे हैं, बस्ती से लेकर गोरखपुर तक कोई ऐसा नेता नहीं बचा होगा जिसके दरबार में इन्होंने हाजीरी न लगाई हो, लेकिन हर जगह से इन्हें निराशा हाथ लगी। इतने बड़े अस्पताल का मालिक अगर फ्राड करता है, तो वह डाक्टर कहने के लायक नहीं है। मरीज आखिर कैसे एक फ्राड प्रबंधक से ईमानदारी की उम्मीद करे, और कैसे वह डाक्टरों पर भरोसा करे? डा. प्रमोद चौधरी पहले ऐसे नामचीन डाक्टर नहीं हैं, जो फ्राड के मामले में फंसे हुएं है। मीडिया को भी  

ऐसे फ्राड करने वालों को बेनकाब करना चाहिए, समाज जितना सीएमओ कार्यालय पर भरोसा नहीं करती, उससे अधिक मीडिया पर करती, भरोसा कायम रखिए, नहीं तो समाज माफ नहीं करेगा।

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