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‘जिला कृषि अधिकारी’ और ‘एआर’ ने नये ‘डीएम’ को दी ‘ओपेन चैलेंज’?

‘जिला कृषि अधिकारी’ और ‘एआर’ ने नये ‘डीएम’ को दी ‘ओपेन चैलेंज’?


-खाद की कालाबाजारी करवाकर जिला कृषि अधिकारी और उनकी लूटपाट करने वाली टीम ने नये डीएम का स्वागत करते हुए कहा कि हम लोग सुधरने वाले नहीं हैं, क्यों कि हमारे साथ पूरा गैंग हैं, जो जिलेभर में खाद की कालाबाजारी करवाती

-चेतावनी के लहजे में कहा कि जब हम लोगों को तत्कालीन डीएम कमिष्नर और मंत्री नहीं सुधार पाए तो आप भी सुधारने का प्रयास मत करिएगा, जो हम लोग कर रहे हैं, उसमें अड़गा मत लगाइएगा, क्यों कि हम लोग राजनैतिक और धन से काफी मजबूत

-‘खाद’ की ‘कालाबाजारी’ में फंसें ‘नेताओं’ के चहेते ‘कुदरहा’ के ‘राम प्रसाद’ बुरी तरह फंस गए हैं, वैसे विभाग के लोग मामले को रफादफा करने में लगे हुए हैं, लेकिन कर नहीं पाएगें, क्यों कि इस ब्लॉक संघ के जिलाध्यक्ष एवं रामनगर के प्रमुख यशकांत सिंह और एमएलसी हरीश सिंह की पड़ चुकी

-दोनों नेताओं ने पत्र के जरिए इसकी जानकारी मुख्यमंत्री और कृषि मंत्री सहित प्रमुख सचिव कृषि को देने की बात कही, कहा कि जिला कृषि अधिकारी और एआर एवं उनकी टीम खाद की कालाबाजारी करवाकर सरकार को बदनाम कर रहे हैं, और अपनी जेबे भर रहे, सरकार को निपटाने की साजिश रच रहें  

-छापेमारी में एक हजार बोरी यूरिया मौके पर नहीं मिला, जबकि मशीन और पोर्टल पर उपलब्ध बता रहा, इसी तरह गोदाम में 31 बोरी डीएपी तो मिला, लेकिन स्टाक में जीरो

बस्ती। नेताओं के चहेतें एवं खाद के खुदरा विक्रेता कुदरहा के राम प्रसाद जिस तरह दो दिन पहले एक हजार बोरी यूरिया और 31 बोरी डीएपी की कालाबाजारी के आरोप में धरे गए, उसे एक तरह से जिला कृषि अधिकारी और एआर की ओर से नये डीएम को खुली चुनौती देना माना जा रहा है। खाद की कालाबाजारी करवाकर जिला कृषि अधिकारी और उनकी लूटपाट करने वाली टीम ने नये डीएम का स्वागत करने के साथ एक संदेश देने का भी काम किया है, जिसमें यह कहा गया कि हम लोग सुधरने वाले नहीं हैं, क्यों कि खाद की कालाबाजारी करवाकर धन कमाना हमारा अधिकार है। हम लोगों के वसूली गैंग भी है, और ऐसे-ऐसे बेईमान पटल सहायक हैं, और सचिव हैं, जो बेईमानी के लिए कुछ भी कर सकते हैं, रिटेलर्स के आईडी तक को लाक करवा सकते हैं, पाश मशीन की कीमत तक वसूल सकते है। जाहिर सी बात हैं, कि जिस अधिकारी के पास बेईमानों की जबरदस्त टीम हो, वह अधिकारी कैसे आर्थिक रुप से कमजोर हो सकता हैं, यह बात अब पूरा जिला जान चुका है। बेईमानों की टोली का कहना है, कि हम लोगों के लिए किसान हित उतना कोई मायने नहीं रखता जितना स्वंय हित। हमारे साथ पूरा गैंग हैं, जो जिलेभर में खाद की कालाबाजारी करवाता है। चेतावनी के लहजे में कहते हैं, कि जब हम लोगों को तत्कालीन डीएम, कमिष्नर और मंत्री नहीं सुधार सके तो आप भी सुधारने का प्रयास मत करिएगा, जो हम लोग कर रहे हैं, उसमें अड़गा मत लगाइएगा, क्यों कि हम लोग राजनैतिक और धन से काफी मजबूत है। हमारे साथ कृषि निदेशक से लेकर जेडीए और उप निदेशक कृषि हैं, जो हम लोगों को संरक्षण देते हैं, और जिसके बदले हम लोग उन्हें हिस्सा देते है। तभी तो खरीफ में करोड़ों रुपये की खाद की कालाबाजारी करने के बावजूद भी हम लोगों का और उन सचिवों और रिटेलर्स का कुछ नहीं हुआ, जिन्होंने 966-966 फीसदी यूरिया अधिक बेचा, कहते हैं, कि खुले आम यूरिया पंप पर सचिवों और रिटेलर्स ने 500-500 रुपये में यूरिया बेचा, उसके बाद भी हम लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। ‘दिशा’ की बैठक में एमएलसी प्रतिनिधि हरीश सिंह चिल्लाते रह गए, लेकिन तत्कालीन डीएम ने सबकुछ संभाल लिया और हम लोगों पर आंच तक नहीं आने दिया। इस लिए हम लोग ‘खाद’ की ‘कालाबाजारी’ करते रहें हैं, और करते रहेगें, इसे न तो कोई डीएम और न कोई कमिष्नर रोक पाएगा, यहां तक कि योगीजी भी चाहें तो हम लोगों को कालाबाजारी करने से नहीं रोक पाएगें।  

भले ही खाद की कालाबाजारी करवाने वाले गैंग और उसके लीडर नये डीएम को खुली चुनौती दी हो, और डीएम भले ही चुनौती को स्वीकार न करें, लेकिन चुनौती को ब्लॉक संघ के जिलाध्यक्ष एवं रामनगर के प्रमुख यशकांत सिंह और एमएलसी हरीश सिंह ने स्वीकार करते हुए कहा हैं, कि वह दोनों भ्रष्ट लोगों से लड़ेगें और उनकी काली कमाई को बंद करवाएगें। इसकी जानकारी मुख्यमंत्री और कृषि मंत्री सहित प्रमुख सचिव कृषि को पत्र के जरिए भी देगें, क्यों कि जिला कृषि अधिकारी और एआर एवं उनकी टीम खाद की कालाबाजारी करवाकर सरकार को बदनाम कर रहे हैं, और अपनी जेबे भर रहे,यह लोग सरकार को ही निपटाने की साजिश रच रहें है। मीडिया बार-बार प्रशासन को यह कहती आ रही हैं, कि जिले में पोर्टल का खेल हो रहा है, पोर्टल पर तो सरकार को तो खाद की उपलब्ध्ता दिखाई दे रही है, लेकिन भौतिक में खाद उपलब्ध नहीं है। खाद को तो सचिव और रिेटेलर्स ब्लैक कर दे रहे हैं, लेकिन मशीन में उसे खारिज नहीं कर रहे है, और जब तक पाश मशीन में खारिज नहीं होगा, तब तक पोर्टल पर खाद उपलब्ध दर्शाता रहेगा। जिला कृषि अधिकारी की नियमित खाद की उपलब्ध्ता और वितरण का आकड़ा कुछ और रहता है, और पोर्टल पर कुछ और रहता है। मीडिया की ओर से तत्कालीन डीएम को इसके साक्ष्य भी दिए गए थे, लेकिन उसे रददी की टोकरी में डाल दिया गया, अगर जांच हो जाती तो पोल खुल जाती। सच तो यह है, कि अधिकारी खाद को लेकर सक्रिय ही नहीं है। अगर होते तो पोर्टल और डेली रिपोर्ट में 60 फीसद का अंतर न होता। कुदरहा की घटना ने यह साबित कर दिया कि मीडिया जो कह रही थी, वह सच है। कहना गलत नहीं होगा कि कहने को भले ही जिले में दो-दो आईएएस अधिकारी हैं, लेकिन किसानों की नजर में दोनों अधिकारी पूरी तरह असफल है। यशंकात सिंह का कहना है, कि सरकार का आदेश है, कि सबसे पहले समिति के अध्यक्ष, डायरेटर और समिति के सदस्य को खाद उपलब्ध कराया जाए, कहा कि अध्यक्ष तक को खाद नहीं मिला, डायरेक्टर और सदस्य तो दूर की बात है। कहते हैं, कि जिला कृषि अधिकारी और एआर मिलकर जिले को लूट रहे हैं, पहले यह लोग सिस्टम से लूटते थे, लेकिन एक दो साल में खुले आम लूट रहे है। भाजपा की टीम 11 भी इस मामले में अभी तक चुप है, जब कि टीम में भाजपा किसान मोर्चा के अध्यक्ष भी शामिल है। जिले के लाखों किसान टीम 11 से उम्मीद करती है, कि वह रबी सीजन में जिला कृषि अधिकारी और एआर से बचाएगें। कहते हैं, कि अगर टीम 11 खाद में हो रहे भ्रष्टाचार को रोकने और किसानों का खाद उपलब्ध कराने में सफल रही है, तो इसका लाभ 27 में मिलेगा।

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