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कहां है, बीसीडीए, दिखाई नहीं दे रहें, क्यों खमोश?

कहां है, बीसीडीए, दिखाई नहीं दे रहें, क्यों खमोश?

-क्यों नहीं मरीज और समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को निभा पा रहा?

-क्यों बीसीडीए के रहते, प्रोपोगंडा, नकली और जेनरिक दवाएं अधिकांष नर्सिगं होम के मेडिकल स्टोर्स पर बिक रही?

-क्यों नही बीसीडीए ने डीआई और डीएलए के साथ मिलकर नकली दवाओं का कारोबार करने वालों के खिलाफ अभियान चलाकर छापेमारी की कार्रवाई की?

-कैसे बिना एनओसी के लगभग 250 दवाओं की कंपनी जिले में कारोबार कर रही?

-क्या बीसीडीए को यह नहीं मालूम कि कुछ डाक्टर मेलकाम जैसी अनेक ऐसी प्रोपोगंडा बेस कंपनियां हैं, जो जिले में अवैध रुप से कारोबार कर रही?

-क्यों बीसीडीए ऐसी कंपनी की दवाओं को बिकने दे रहा हैं, जिसका एमआरपी अधिक और स्टाकिस्ट नहीं?

-क्यों शहर के जानेमाने दवा कारोबारी पवन फार्मा की कंपनी लेनदेन पर चल रही, आखिर बीसीडीए जिले की जनता और मरीजों की अपेक्षाओं पर खरा क्यों नहीं उतर पा रहा?

बस्ती। ऐसा लगता है, मानो बीसीडीए यानि बस्ती डग एंड केमिस्ट एसोसिएशन को किसी की नजर लग गई। लोग बीसीडीए के बारे में पूछ रहें हैं, कि दिखाई देते कहां चले गए इसके पदाधिकारी और संरक्षक? तभी तो इनके कामकाज को लेकर सवाल उठने लगें हैं। सवाल यह उठ रहा है, कि आखिर बीसीडीए इतना कमजोर कैसे हो गया है, कि मेलकाम जैसी तमाम प्रोपोगंडा कंपनियां जिले में बिना एनओसी के करोड़ों का कारोबार करने वालों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करवा पा रहा है। सवाल तो यह भी उठ रहा है, कि क्यों नहीं बीसीडीए मरीज और समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को निभा पा रहा? कौन लोग हैं, जो जिम्मेदारी निभाने से रोक रहे हैं? कहीं ऐसा तो नहीं कि बीसीडीए ही नहीं चाहता कि गलत काम करने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई हो? लाभान्वित होने की खूब जोरों से चर्चा भी हो रही है। यह सवाल इस लिए उठ रहा है, क्यो कि इतनी घटनाओं के बाद बीसीडीए खामोश है? क्यों बीसीडीए के रहते, प्रोपोगंडा वाली नकली और जेनरिक दवाएं अधिकांश नर्सिगं होम के मेडिकल स्टोर्स पर बिक रही? क्यों नहीं इन कंपनियों का स्टाकिस्ट कहीं दिखाई देता? जबकि कायदे से देखा जाए तो अगर कोई कंपनी जिले में कोई कारोबार करना चाहती है, तो सबसे पहले उसे बीसीडीए ने एनओसी लेना पड़ता हैं, लिया कि नहीं यह तो नहीं मालूम, लेकि अगर लिया होता तो मार्केट में कंपनी का स्टाकिस्ट अवष्य दिखाई देता।

क्यों नही बीसीडीए ने अभी तक डीआई और डीएलए के साथ मिलकर नकली दवाओं का कारोबार करने वालों के खिलाफ अभियान चलाकर छापेमारी की कार्रवाई करवाया? क्यों और कैसे बिना एनओसी के लगभग 250 दवाओं की कंपनी जिले में कारोबार कर रही? क्या बीसीडीए को यह नहीं मालूम कि कुछ डाक्टर मेलकाम जैसी अनेक ऐसी प्रोपोगंडा बेस कंपनियां हैं, जिनकी दवाएं सीधे कंपनी से मंगाकर मरीजों को लूट रहीं? क्यों बीसीडीए ऐसी कंपनी की दवाओं को बिकने दे रहा हैं? जिसका एमआरपी अधिक और स्टाकिस्ट ही न हो? क्यों शहर के जानेमाने दवा कारोबारी पवन फार्मा की कंपनी लेनदेन पर चल रही? आखिर बीसीडीए जिले की जनता और मरीजों की अपेक्षाओं पर खरा क्यों नहीं उतर पा रहा? दवा से जुड़े अनेक कारोबारियों का कहना और मानना है, कि बीसीडीए को अपनी छवि सुधारने के लिए ईमानदारी से काम करना होगा, और जनता को बताना होगा, कि अगर डाक्टर उसके साथ नहीं हैं, तो बीसीडीए मरीजों के साथ है। मंहगी और अधोमानक दवाओं के चलते न जाने कितने मरीज समय से पहले स्वर्गवासी हो चुके है, और न जाने कितने मरीजों ने इलाज के नाम पर जमीने तक बेच दी। अगर जिले में अधोमानक और प्रोपेगंडा बेस दवाएं नर्सिगं होम के मेडिकल स्टोर में मरीजों को दी जा रही है, तो बीसीडीए की यह जिम्मेदारी बनती हैं, वह डीआई और डीएलए के साथ मिलकर छापेमारी करवाएं और अधोमानक दवाओं का कारोबार करने वाले और उसे बढ़ावा देने वाले नर्सिगं होम की असलियत जनता को बताएं। सभी तो गरीब मरीजों को लूट ही रहे हैं, इलाज और आपरेशन के नाम पर गरीब मरीजों का खून तक चूस ले रहे हैं। ऐसे में अगर बीसीडीए भी खामोश रहा तो गरीब मरीज कहां जाएगा? यह सवाल मरीज सरकार, नेता और मीडिया से अधिक बीसीडीए के लोगों से पूछ रही है।

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