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कोई ऐसा ‘सगा’ नहीं, जिसे नरेंद्र ‘भाटिया’ ने ठगा ‘नहीं’!

कोई ऐसा ‘सगा’ नहीं, जिसे नरेंद्र ‘भाटिया’ ने ठगा ‘नहीं’!

-संघ के पदाधिकारी की आड़ में इन्होंने गरीबों और शोशित वर्ग की करोड़ों की जमीन को शराब पीला-पीला का या तो कम कीमत पर खरीद लिया, या फिर उनकी जमीनों पर कब्जा कर लिया, कब्जा कराने में संघ के लोगों ने भी खूब साथ दिया

-जिन संघ के लोगों ने जमीनों पर कब्जा कराने में पुलिस से लेकर प्रशासन तक मदद किया, उन्हें तक को नरेंद्र भाटिया ने नहीं छोड़ा और उन्हें भी ठग लिया

-इनकी ठगी का शिकार संघ के प्रचारक रहें एवं अधिवक्ता भागवत प्रसाद पांडेय और सघं के एक बड़े कपड़ा कारोबारी भी हुए, यह भगवान राम को अपना पुत्र मानते हैं, दूसरे को तो यह भूमाफिया कहते हैं, लेकिन यह खुद बड़े भूमाफिया

-रेलवे माल गोदाम के पास इनका लगभग तीन बीघा में आवास होगा, इसमें इन्होंने मुस्किल से 20 फीसद बेैनामा कराया होगा, और 80 फीसद कब्जा किया, पूर्व संघ के प्रचारक रहे भागवत प्रसाद पांडेय का कहना है, यह हमारी पांच बिस्वा जमीन को अपना बताकर मिटटी डालने से मना कर रहे, कब्जा करना चाहते

-कहते हैं, कि यह कोर्ट के आदेश को भी नहीं मानते और संघ के पदाधिकारी का धौंस दिखाकर कब्जा करना चाहते, इनका संघ के विचारधारा से कोई मतलब नहीं, बल्कि इन्हें स्वार्थ का विचारधारा कहा जाता

-कहते हें, कि कानपुर में एक मिठाई की दुकान है, जिसका नाम ठग्गू के लडडू हैं, इस दुकान का स्लोगन ‘ऐसा कोई सगा नहीं जिसको हमने ठगा नहीं’ लगता है, कि नरेंद्र भाटिया ने भी मिठाई की दुकान वाला स्लोगन अपना लिया, यह नरायन-नरायन और राम-राम कहकर सबको ठगतें

बस्ती। दूसरे को भूमाफिया कहने वाले संघ के विभाग संचालक नरेंद्र भाटिया को आज संघ के लोग ही बड़े भूमामिया कह रहें हैं। कहते हैं, कि संघ के पदाधिकारी की आड़ में इन्होंने गरीबों और शोशित वर्ग के लोगों की करोड़ों की जमीनों को या तो दारु पिलाकर सस्ते में खरीद लिया, या फिर उनकी जमीनों पर कब्जा कर लिया, रेलवे गोदाम के पास जो इनका तीन बीघा जमीन में आवास बना है, उनमें मुस्किल से इन्होंने 20 फीसद खरीदा होगा, अवशेष 80 फीसद जमीनों को कब्जा कर दिया, इनके इस गलत काम में संघ के लोगों ने खूब साथ दिया, लेकिन जब भाटिया एंड कंपनी ने साथ देने वाले संघ के पदाधिकारियों को ही ठगना शुरु किया तो इनकी असलियत सामने आने लगी, यही कारण है, कि जब इन्होंने जिला अस्पताल के सामने वाली दिलीप कुमार के 10-12 फिट कीमती जमीन कब्जा कर रहे थे, तो इनका साथ देने के लिए एक भी संघ का पदाधिकारी नहीं आया, मदद की गुहार तो इन्होंने खूब लगाई, लेकिन इनकी ठगी वाले व्यवहार को देखते हुए कोई साथ देने को तैयार नहीं हुआ, अलबत्ता इन्होंने जिन-जिन संघ के लोगों को ठगा वह अवष्य यह कहते हुए सामने आ रहे हैं, कि इन्होंने हम्हें भी ठगा। इन्हीं में एक पूर्व संघ प्रचारक एवं अधिवक्ता भगवत प्रसाद पांडेय है। यह नरेंद्र भाटिया के बारे में कहते हैं, कि ‘कोई ऐसा नहीं जिसे नरेंद्र भाटिया ठगा नहीं होगा’। कहते हैं, कि संघ के पदाधिकारी की आड़ में इन्होंने गरीबों और शोशित वर्ग की करोड़ों की जमीन को शराब पीला-पीला का या तो कम कीमत पर खरीद लिया, या फिर उनकी जमीनों पर कब्जा कर लिया। कहा कि जिन संघ के लोगों ने जमीनों पर कब्जा कराने में पुलिस से लेकर प्रशासन तक मदद किया, उन्हें भी नरेंद्र भाटिया ने नहीं छोड़ा और ठग लिया। कहते हैं, कि इनकी ठगी का शिकार मेरेे आलावा कपड़ा कारोबारी पवन तुलस्यान भी हुए, यह भगवान राम को अपना पुत्र मानते हैं, यह दूसरे को तो भूमाफिया कहते हैं, लेकिन यह खुद बड़े भूमामिया है। कहा कि इन्होंने निर्मलीकुंड रेलवे स्टेशन के पीछे गाटा संख्या 1944/1 रक्बा लगभग पांच बिस्वा को अपना कहकर मिटटी डालने से मना कर रहे हैं, जब कि कागजों में यह गाटा संख्या मेरे और मेरे भाई जयंती प्रसाद पांडेय के नाम दर्ज है। पक्की पैमाईश भी हो चुकी है, और कोर्ट के आदेश पर पिलर भी लगाया जा चुका, लेकिन जब भी हम लोग अपनी जमीन पर मिटटी डालने जाते तो दंबगों को लेकर धमक पड़ते और कहते हैं, कि यह जमीन हमारी है। कहते हैं, दावा डिक्री भी मेरे नाम हो चुका है, फिर भी हमारी पांच बिस्वा जमीन को अपना बताकर मिटटी डालने से मना कर रहे, कब्जा करना चाहते है। कहते हैं, कि मेरे बगल के गाटा संख्या 1945 दक्षिण में तीसरे की जमीन है, और नरेंद्र भाटिया की पांच बिस्वा जमीन गाटा संख्या 1946 में हैं, लेकिन यह कहते हैं, 1944/1 और 1946 दोनों गाटा संख्या की जमीन हमारी है। जबकि एसडीएम का आदेश हैं, कि भागवत प्रसाद पांडेय को गाटा संख्या 1944/1 में मिटटी डालने दी जाए। उसके बावजूद भी यह मानने को तैयार नहीं है। कहते हैं, कि नरेंद्र भाटिया के लिए कोर्ट के आदेश का भी कोई मतलब नहीं रह गया, और संघ के पदाधिकारी का धौंस दिखाकर कब्जा करना चाहते, इनका संघ के विचारधारा से कोई मतलब नहीं, बल्कि इन्हें स्वार्थ का विचारधारा कहा जाता है। कहते हैं, कि

इसी तरह इन्होंने अपने सबसे करीबी संघ के पदाधिकारी पवन तुलस्यान को भी लाखों रुपये का चूना गाल सहला-सहलाकर लगा दिया, कहतें हैं नरेंद्र भाटिया के यह हामी भरने के बाद कि तुम जमीन खरीदो मैं अपनी दुकान एक रुपया लिए बिना ही खाली कर दूगंा। विष्वास करके पवन ने करोड़ों की जमीन खरीद लिया, मगर जब नरेंद्र भाटिया को दुकान खाली करने की बारी आई तो इनकी नीयत खराब हो गई, और दुकान खाली करने के एवज में पांच करोड़ की लागत वाली पवन तुलस्यान के नाम की दुकान अपने नाम करने की शर्त रख दिया। कहते हैं, कि जिस पवन तुलस्यान को नरेंद्र भाटिया अपना बेटा मानते थे, उन्हीं के साथ सौदेबाजी करने लगें, कहतें हैं, कि जब 50-60 लाख रुपया पवन से ले लिया तब लाकर दुकान खाली किया, जो दुकान नरेंद्र भाटिया फ्री में खाली करने वाले थे, उसके लिए 60 लाख लिया। इसी लिए इन्हें कहा जाता हैं, कि कोई ऐसा सगा नहीं जिसे नरेंद्र भाटिया ने ठगा नही। कहते हैें, कि कानपुर में एक मिठाई की दुकान है, जिसका नाम ‘ठग्गू के लडडू’ हैं, इस दुकान का स्लोगन ‘ऐसा कोई सगा नहीं जिसको हमने ठगा नहीं’। ऐसा लगता है, मानो नरेंद्र भाटिया ने मिठाई की दुकान वाला स्लोगन अपना लिया, यह नरायन-नरायन और राम-राम कहकर अपनों को ठगतें है। कहा कि ऐसे ठगों के कारण ही आरएसएस की छवि धूमिल हो रही है। जो व्यक्ति संघ को हथियार बनाकर गरीबों की जमीनों को हड़पे और कब्जा करे, उसे एक मिनट भी संघ में रहने का कोई अधिकार नहीं। मंडल के यह पहले ऐसे संघी होगें, जिन्हें भूमाफिया कहा जाता है। संघ को ऐसे लोगों से जितनी जल्दी हो सके पीछा छुड़ा ले लेना चाहिए।

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