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कोटा चलाना तो हर माह दस हजार रंगदारी देना होगा!

कोटा चलाना तो हर माह दस हजार रंगदारी देना होगा!

-गरीबों का अनाज बेचकर रंगदारी दे रहे दुबौलिया और गौर के दर्जनों कोटेदार

-अनाज बेचते पकड़े जाने पर कोटेदार और रंगदारी मांगने वाला सुनील कुमार सिंह जेल भी जा चुके

-जाने कितने शिक्षक, सफाई कर्मी और आगंनबाड़ी कार्यक़त्रियों सहित कोटेदार रंगदारी की चपेट में हर माह आ रहे

-इस बार थाना दुबौलिया के उंजी मुस्तकहम के कोटेदार राजेश कुमार सिंह पुत्र रामलखन सिंह रंगदारी के शिकार हुए

-10 क्ंिवटल अनाज के साथ हर माह 10 हजार रंगदारी मांगने की शिकायत कोटेदार थाने में भी लिखित में कर चुका, लेकिन पुलिस ने तो एफआईआर ही दर्ज किया और न सुनील कुमार सिंह के खिलाफ ही कोई कार्रवाई की

-अब इन्होंने शपथ-पत्र के साथ एसपी को रंगदारी मांगने वाले के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग की

बस्ती। दो दिन पहले न्याय मार्ग के लोहिया मार्केट में जमीन का कारोबार करने वाले अशफाक को चार लोगों ने कटटा सटाकर 50 हजार रंगदारी मांगने का मामला सामने आ चुका, तहरीर देने के बाद भी कोतवाली पुलिस ने अभी तक मुकदमा दर्ज नहीं किया, एसपी से मिले, फिर भी केस दर्ज नहीं हुआ। दूसरा मामला थाना दुबौलिया के ग्राम उंजी मुस्तकहम का सामने आया। यहां पर सुनील कुमार सिंह नामक व्यक्ति ने कोटेदार राजेश कुमार सिंह से हर माह 10 क्ंिवटल अनाज और 10 हजार रंगदारी मांगने का सामने आया है। घटना नौ जुलाई 25 की है, 112 की पुलिस भी आई, रंगदारी मांगने की पुष्टि भी हुई, थाने में तहरीर भी दी गई, लेकिन एसओ साहब ने अभी तक मुकदमा ही दर्ज नहीं किया। सवाल उठ रहा है, कि जब पुलिस मुकदमा ही दर्ज नहीं करेगी तो रंगदारी कैसे रुकेगा और रंगदारी मांगने वालों के खिलाफ कार्रवाई कैसे होगी? दोनों ही मामलों में मुकदमा दर्ज न होना यह बताता है, कि पुलिस खुद नहीं चाहती कि रंगदारी मांगने वालों को कानून के दायरे में लाया जाए, दुबौलिया में तो रंगदारी मांगने वाले सुनील कुमार सिंह के खिलाफ अनेक मुकदमा दर्ज हैं, जिला बदर भी किया जा चुका, फिर भी पुलिस ने न जाने क्यों ऐसे अपराधी के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने से कतराती जो समाज और कानून दोनों के दुष्मन हैे। कानून के जानकारों का कहना और मानना है, कि जब तक पुलिस किसी अपराधी के खिलाफ मुकदमा दर्ज नहीं करेगी, तब तक अपराध नहीं रुक सकता, अपराधी, बार-बार यह समझ कर अपराध करेगा कि पुलिस तो उसके साथ है, ही। जिले में रंगदारी और सूदखोरी के जितने भी मामले सामने आ रहे हैं, उसके लिए कहीं न कहीं पुलिस को पीड़ित पक्ष जिम्मेदार मान रही है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है, कि आखिर पीड़ित जाए तो कहां और किसके पास जाए, पुलिस सुनती नहीं समाज साथ देता नहीं, रह गया न्यायालय तो वहां से मुकदमा दर्ज कराने का आदेश कराने में पीड़ित को न जाने कितना पापड़ बेलना पड़ता। तब तक पीड़ित और उसके परिवार को बदमाशों के दहशत में रहना पड़ता है। बार-बार कहा जाता है, कि गंभीर मामलों में अगर पुलिस लापरवाही बरतेगी और मुकदमा दर्ज नहीं करेगी तो एक दिन पुलिस के लिए समस्या खड़ी हो जाएगी। क्यों कि अपराधी किसी के भी नहीं होते, लेकिन पुलिस तो जनता के लिए होती है, अगर पुलिस ही जनता का साथ नहीं देगी तो बदमाशो और रंगबारी मांगने वालों का हौसला तो बढ़ेगा ही।

एसपी को दिए गए पत्र में कोटेदार राजेश कुमार सिंह ने लिखा कि हमारे गांव के सुनील कुमार सिंह पुत्र गजराज सिंह एक अपराधी किस्म का व्यक्ति है, इनके उपर कई मुकदमें दर्ज है। गुंडा एक्ट में जिला बदर भी हो चुके है। कहा कि इनके द्वारा हमारे उपर अनुचित लाभ लेने के लिए बराबर दबाव बनाया जाता रहा, कई बार गाली गलौज और धमकी तक भी दी गई। बताया कि नौ जुलाई 25 को सुबह नौ बजे घर के बाहर था, उसी समय सुनील सिंह आए और कहने लगे कि 10 क्ंिवटल अनाज और दस हजार हर महीने रंगदारी दिया करो, वरना कोटा नहीं चला पाओगे। कहा कि कोटा चलाना है, तो रंगदारी देना ही होगा। जब कुछ न देने की बात कही तो गाली देते हुए जान से मारने की धमकी दिया। 112 पुलिस आई, जांच पड़ताल में मामला सही मिला, उसी दिन रंगदारी मांगने को लेकर थाने पर तहरीर दी गई, और एसओ से मिलकर सारी घटनाएं बताई गई, कार्रवाई करने का आष्वास उेने के बाद भी एसओ ने अभी तक कोई कार्रवाई नहीं किया, और न एफआईआर ही दर्ज किया। बताया कि एक बार जब इन्होंने एक कोटेदार से रंगदारी के रुप में 25 हजार मांगा तो कोटेदार ने रंगदारी देने के लिए बाजार में अनाज बेचने चला गया, वहां पर एसडीएम ने कोटेदार और सुनील सिंह दोनों को गरीबों का अनाज बेचते हुए पकड़ा मुकदमा दर्ज करवाया और दोनों को जेल भेजवाया। बताया कि सुनील आरटीआई का सहारा लेकर घमकाने और वसूली करने का काम करते। इनके दायरे में शिक्षक, सफाई कर्मी, कोटेदार और आंगनबाड़ी कार्यकत्री आ चुकी है।

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