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कुदरहा प्रमुख के गांव छरदही में भी निकला भ्रष्टाचार का जिन्न

कुदरहा प्रमुख के गांव छरदही में भी निकला भ्रष्टाचार का जिन्न

-जिस नकली प्रधान रमेश चंद्र चौधरी को प्रमुख ने गले लगाया, वही प्रमुखजी की बदनामी करवा रहा

-जिस नकली प्रधान के भाभी को गांव वालों ने प्रमुख से दुष्मनी मोलकर प्रधान बनाया, उसी ने गांव वालों को धोखा दिया

-पाला न बदलने की सौ-सौ कसमें खाने वाला नकली प्रधान पैसे के लालच में सपा का साथ छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया

-गांव के सुशील कुमार दूबे, रजनीश कुमार, दिवाकर चौधरी, जितेंद्र कुमार एवं विपुल कुमार ने नोटरी के जरिए डीएम से सात परियोजनाओं की जांच कराने और प्रधान के खिलाफ विधिक कार्रवाई करने की मांग की

बस्ती। बेलगढ़ी की तरह कुदरहा के प्रमुख के गांव छरदही में भ्रष्टाचार का जिन्न निकला। जिस नकली प्रधान रमेश चंद्र चौधरी को प्रमुख ने गले लगाया, वही नकली प्रधान प्रमुखजी की बदनामी करवा रहा। जिस नकली प्रधान के भाभी को गांव वालों ने प्रमुख से दुष्मनी मोलकर प्रधान बनाया, उसी ने गांव वालों को धोखा दिया। पाला न बदलने की सौ-सौ कसमें खाने वाला नकली प्रधान पैसे के लालच में सपा का साथ छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया। पांच साल तक सूखा रहने की बाते करने वाला नकली प्रधान अचानक कैसे पैसे का पुजारी बन गया? गांव के सुशील कुमार दूबे, रजनीश कुमार, दिवाकर चौधरी, जितेंद्र कुमार एवं विपुल कुमार ने नोटरी के जरिए डीएम से सात परियोजनाओं की जांच कराने और प्रधान के खिलाफ विधिक कार्रवाई करने की मांग की है।

कुदरहा ब्लॉक के छरदही गांव के लोग आज पडता रहे हैं, कि क्यों उन लोगों ने ऐसे व्यक्ति के भाभी को प्रधान बनवा दिया, जिसने गांव वालों को ही धोखा दिया, वह भी पैसे के लालच में। नकली प्रधान  रमेशचंद्र चौधरी ने गांव वालों को ऐसा घाव दिया है, जो भर ही नहीं रहा है। दर्द से गांव वाले कराह रहे है। नकली प्रधान इतना जल्दी पलट जाएगा गांव वालों ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था, जिस मकसद के लिए प्रमुख ने इसे गले लगाया, वह मकसद भी प्रमुख का पूरा नहीं हुआ। बहरहाल, गांव वालों ने नकली प्रधान के भ्रष्टाचार का विरोध करने और उसे उजागर करने का मन बना लिया, प्रमुखजी का इसमें अपेक्षित सहयोग नहीं मिल रहा है, नहीं तो नकली प्रधान कबके चारों खाने चित्त हो गएं थें, जिस व्यक्ति ने सरकारी जमीन पर अपना कमान बनवाया है, वह व्यक्ति अपने लाभ के लिए कुछ भी कर सकता है। गांव वालों को धोखा दे सकता है, जमीर बेच सकता है। गांव वालों ने डीएम से जिन योजनाओं की जांच करने की मांग की है। उनमें मनरेगा में बड़े पैमाने पर फर्जी मस्टरोल निकालना, अमृत सरोवर में सरकारी धन का दुरुपयोग करना, मंटू दूबे के खेत के बगल से मदनमोहन के खेत तक फर्जी तरीके से चकमार्ब पटाई के नाम पर धन का बंदरबांट करना, बेंटी दूबे के खेत के बगल तालाब खुदाई एवं सफाई के नाम पर फर्जीवाड़ा करना, भगवानदास के खेत से बगुंलिया जोत तक चकमार्ग का नाम बदलकर वीरेंद्र के खेत से चौरसिया के खेत तक रोटावेटर से जोताई कर धन का बंदरबांट करना, तुलसीदास के घर से राधेष्याम के घर तक सीसी रोड का गुणवत्ताविहीन कार्य कराना और शिवदास के घर से रवि के घर तक सीसी रोड पर बिना कार्य कराए धन का बंदरबांट करना शामिल है। असली/नकली प्रधानों ने जिस तरह पैसे के लिए अपना ईमान और धर्म बेचा है, उससे गांव वाले हैरान है। गांव वालों को समझ में नहीं आ रहा है, कि जिसे वह ईमानदार समझकर गांव को सौंपता है, वही बेईमान और भ्रष्टाचारी निकल जाता है। ऐसे में गांव वालों को समझ में ही नहीं आ रहा है, कि अगले प्रधानी चुनाव में वह किसे वोट देगें।

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