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क्या प्रशासन संजय चौधरी और मनीष जायवाल के होटल को सील कर पाएगा?

क्या प्रशासन संजय चौधरी और मनीष जायवाल के होटल को सील कर पाएगा?

-सील तो भव्या पैलेस, होटल प्रकाश, बालाजी प्रकाश, शिवाय होटल, श्याम वाटिका, होटल एनआर, रामा लाज, होटल महाराजा, चमन वाटिका

-प्रशासन इससे पहले भी कई बार अनियमित रुप से संचालित होने वाले होटल और मैरिज हाल के संचालकों को नोटिस थमा चुका

-नोटिस थमाने के पीछे प्रशासन की मंशा आज तक मीडिया को समझ में नहीं आया, कि आखिर जब कार्रवाई ही नहीं करनी है, तो फिर नोटिस क्यों थमाया जाता

-इससे बड़ा सवाल यह है, कि आखिर नामचीन होटल और मैरिज हाल के संचालक क्यों नहीं पंजीकरण कराते? और क्यों नियम विरुद्व संचालन करते?

-मीडिया बार-बार प्रशासन को आगाह और सचेत करती आ रही है, कि अगर कोई घटना हो गई तो पूरी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी, प्रशासन जवाब नहीं दे पाएगा, लेकिन कोई सुने तक न

-क्लार्क इन होटल पर कभी न कार्रवाई होती अगर आग न लगता, प्रशासन ने अपने बचाव में होटल पर कार्रवाई करते हुए यात्रियों के ठहरने पर रोक लगा दिया

बस्ती। जिले में अनियमित रुप से संचालित होने वाले होटलों और मैरिज हाल के लिए संचालकों को कम और प्रशासन को अधिक जिम्मेदार माना जा रहा है। यह प्रशासन की जिम्मेदारी बनती है, कि वह होटलों और मैरिज हाल को सराय एक्ट के तहत पंजीकृत कराए, और अगर कोई संचालक बिना पंजीयन के संचालित करता है, तो कार्रवाई करते हुए प्रतिष्ठान को सील करें। क्यों कि यह मामला पूरी तरह जनहानि से जुड़ा हुआ है। अगर कोई घटना घटित होती है, तो संचालक पर तो बाद में सवाल खड़ा होगा, उससे पहले प्रशासन कटखड़े में खड़ा होगा। जिले के लोगों को खासतौर पर मीडिया को आज तक यह समझ में नहीं आया कि प्रशासन ऐसे संवेदषील मामलों में क्यों लापरवाही बरत रहा है? और क्यों बार-बार नोटिस देने के बावजूद कार्रवाई नहीं करता? अगर प्रशासन कुछ एक संचालकों के खिलाफ कार्रवाई कर दे और उनके प्रतिष्ठान को सील कर दें, तो अन्य अपने आप पंजीकरण कराने लगेंगे। सवाल उठ रहा है, कि आखिर प्रशासन क्यों नहीं अनियमित होटलों और मैरिज हाल को नियमित करवा पा रहा है? सवाल तो करोड़पति और अरबपति संचालकों पर भी उठ रहा है, कि आखिर वे लोग क्यों नहीं नियमों का पालन कर रहे हैं? और क्यों नियम विरुद्व संचालन कर रहे है। जिस तरह आमजन की सुरक्षा की अनदेखी प्रशासन और संचालक कर रहे हैं, एक दिन दोनों के लिए भारी पड़ सकता है। यह पहली बार नहीं हैं, जब प्रषासन ने 46 होटल और मैरिज हाल के संचालकों को नोटिस थमाया है। कुछ दिन तक हलचल होती है, और उसके बाद प्रशासन मौन हो जाता हैं। सवाल उठ रहा है, कि जब कोई कार्रवाई ही नहीं करनी है, तो फिर बार-बार प्रशासन क्यों नोटिस थमाता है। आखिर बार-बार नोटिस थमाने के पीछे प्रशासन की क्या मंशा रहती है? इस मामले में प्रशासन बुरी तरह से घिरा हुआ है। नोटिस थमाने के पीछे प्रशासन की मंशा आज तक मीडिया को समझ में नहीं आया, कि आखिर जब कार्रवाई ही नहीं करनी है, तो फिर नोटिस क्यों थमाया जाता? इससे बड़ा सवाल यह है, कि आखिर नामचीन होटल और मैरिज हाल के संचालक क्यों नहीं पंजीकरण कराते? और क्यों नियम विरुद्व संचालन करते? मीडिया बार-बार प्रशासन को आगाह और सचेत करती आ रही है, कि अगर कोई घटना हो गई तो पूरी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी, प्रशासन जवाब नहीं दे पाएगा, लेकिन कोई सुने तब न। क्लार्क इन होटल पर कभी न कार्रवाई होती अगर आग न लगता, प्रशासन ने अपने बचाव में होटल पर कार्रवाई करते हुए यात्रियों के ठहरने पर रोक लगा दिया। सवाल उठ रहा है, कि जब राकेश कुमार श्रीवास्तव का क्लार्क इन होटल सील हो सकता तो संजय चौधरी और मनीष जायवाल का होटल क्यों नहीं? सील तो भव्या पैलेस, होटल प्रकाश, बालाजी प्रकाश, शिवाय होटल, श्याम वाटिका, होटल एनआर, रामा लाज, होटल महाराजा, चमन वाटिका, कोहिनूर मैरिज हाल, पीएस मैरिज हाल, स्वास्तिक पैलेस, प्रजापति मैरिज हाल, त्रिपाठी गेस्ट हाउस, जेपी लान, होटल इंडिगो, राहत रुह पैलेस, सारा मैरिज हाल गायघाट, एकता मैरिज हाल बेइली कलवारी, गोल्डेन मैरिज हाल गनेशपुर, प्रताप पैलेस मैरिज हाल नरहरिया, गीताजंजि पैलेस, रिद्धि-सिद्धि मैरिज हाल, होटल कपिलवस्तु, होटल मीसा, सत्यम गेस्ट हाउस, शिवम गेस्ट हाउस, सिद्धि विनायक मैरिज हाल, सिटी मैरिज हाल, प्रिंस मैरिज हाल, शानू मैरिज हाल नगर बाजार,एकता मैरिज हाल गायघाट, गिरिराज होटल, होटल हरिष्चंद्र पैलेस, रुधौली के कृष्णा मैरिज हाल, विध्या मैरिज हाल, दुलारी मैरिज हाल, सोनी मैरिज हाल, यादव मैरिज हाल, नवरंग रेस्टोंरेंट, उत्सव मैरिज हाल सहित अन्य का नाम शामिल है। जिन संचालकों को पंजीयन के लिए नोटिस जारी किया गया हैं, उनमें 80 फीसद ऐसे जो मानक को ही पूरा नहीं करते, और जब तक मानक पूरा नहीं होगा तब तक सराय एक्ट के तहत पंजीयन नहीं होगा। मानक को पूरा करना उतना आसान नहीं हैं, जितना प्रशासन समझता हैं, चूंकि बस्ती के लोगों को नियम विरुद्व काम करने की आदत सी हो गई हैं, इस लिए यह लोग मानकों की परवाह नहीं करते, भले ही चाहें कितने लोगों की जाने ही क्यों न चली जाए? यह धन्ना सेठ लोग करोड़ों रुपया का होटल और मैरिज हाल तो खोल लेते हैं, लेकिन उसका मानक पूरा नहीं करते। अब तक रिकार्ड रहा है, कि नोटिस के बाद शायद ही किसी संचालक ने मानक को पूरा करके सराय एक्ट के तहत पंजीयन कराया होगा। जिन लोगों को नोटिस थमाया गया, वही लोग जब गम-गम करके एडीएम कार्यालय में गिरने लगेंगे तो सारे मानक धरे के धरे रह जाएगें, यह बात यूंही नहीं कही और लिखी जा रही है। जब प्रशासन का राजनैतिक दबाव पड़ने लगेगा तो प्रशासन स्वंय शिथिल हो जाएगा। इस सच का पता कुछ ही दिनों में सबके सामने आ जाएगा, ऐसा मीडिया को पूरा विष्वास है।

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