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खुला पत्र में खुली डा. नवीन और पत्नी अर्चना की पोल

खुला पत्र में खुली डा. नवीन और पत्नी अर्चना की पोल

-सीएम, डीएम, सीएमओ और कोतवाल को लिखे गए खुला पत्र की अगर जांच हो जाए तो डा. नवीन चौधरी और उनकी पत्नी दोनों की सच्चाई जनता के सामने आ जाएगी और यह भी पता चल जाएगा कि इतनी संपत्ति आई कहां से

बस्ती। खुला पत्र में कहा गया है, कि ओमवीर हॉस्पिटल में चिकित्सकीय लापरवाही से हुई मृत्यु के संदर्भ में डॉ० नवीन कुमार चौधरी द्वारा मीडिया में दिए गए भ्रामक बयानों एवं सेवा नियमों के उल्लंघन की जांच करने को कहा गया। कहा गया कि 17 जुलाई, 2025 को ग्राम पंचायत मरहा निवासी वीरेन्द्र प्रताप के पिता पल्टूराम की ओमवीर हॉस्पिटल, कैली रोड, बस्ती में उपचार के दौरान हुई दुर्भाग्यपूर्ण मृत्यु के मामले में पूर्व में एक विस्तृत शिकायती पत्र आपके कार्यालय को प्रेषित किया जा चुका है, जिसमें अस्पताल द्वारा की गई चिकित्सकीय लापरवाही, बिना उचित जाँच के ऑपरेशन, और परिजनों को धमकी दिए जाने जैसे गंभीर आरोप लगाए गए हैं। अब इस प्रकरण में एक नया और गंभीर पहलू सामने आया है, जो मामले को और अधिक संवेदनशील एवं कानूनी रूप से महत्वपूर्ण बनाता ह।ै डॉ० नवीन कुमार चौधरी, जो कि एक सरकारी चिकित्सक हैं, और मिल रही जानकारी के अनुसार वर्तमान समय में महामाया राजकीय एलोपैथिक मेडिकल कॉलेज (एमआरएएमसी) अंबेडकरनगर, उत्तर प्रदेश में तैनात हैं। उन्होंने इस मामले में मीडिया को बयान देते हुए खुद को निर्दोष बताया और पूरे प्रकरण को धन वसूली का षड्यंत्र कहकर मृतक के परिजनों की छवि धूमिल करने का प्रयास किया। यह न केवल एक असंवेदनशील आचरण है, बल्कि सरकारी सेवा नियमों और चिकित्सकीय आचरण संहिताओं का घोर उल्लंघन भी है। डॉ० नवीन कुमार चौधरी के विरुद्ध जिन गंभीर सेवा उल्लंघन का आरोप लगाते हुए जांच की मांग की है। उनमें निजी प्रैक्टिस का स्पष्ट उल्लंघन बताते हुए कहा गया कि डॉ० नवीन कुमार चौधरी, जो उत्तर प्रदेश सरकार के अधीन कार्यरत एक एलोपैथिक डॉक्टर हैं, उनके द्वारा निजी अस्पताल का संचालन तथा उसमें सर्जरी करना दोनों कानूनन प्रतिबंधित है। इस संबंध में लागू निम्न कानून स्पष्ट रूप से उनकी गतिविधियों को अवैध ठहराते हैं। उत्तर प्रदेश सरकारी डॉक्टर (एलोपैथिक) निजी प्रैक्टिस पर प्रतिबंध अधिनियम, 1983 धारा 4 के अनुसार कोई भी सरकारी एलोपैथिक डॉक्टर किसी भी प्रकार की निजी प्रैक्टिस नहीं कर सकता। ऐसा करना विधि का उल्लंघन माना जाएगा। सरकारी कर्मचारी आचरण अधिनियम, 1956 नियम 3(1) प्रत्येक सरकारी कर्मचारी को ईमानदारी, निष्ठा एवं निष्पक्षता के साथ अपने कर्तव्यों का निर्वहन करना आवश्यक है। निजी लाभ हेतु सरकारी सेवा की मर्यादाओं को तोड़ना कदाचार की परिधि में आता है। मीडिया में भ्रामक बयान और पीड़ितों की छवि धूमिल करना, एक सरकारी डॉक्टर द्वारा मीडिया में सार्वजनिक रूप से बयान देना जिसमें पीड़ित परिवार को झूठा ठहराया गया। मृतक की मृत्यु को दुर्भाग्य नहीं बल्कि साजिश बताया गया। अस्पताल या अपने आचरण की कोई जिम्मेदारी नहीं ली गई। यह न केवल अधीनस्थ सेवा नियमों की अवहेलना है, बल्कि एक प्रकार का प्रेरित दुष्प्रचार है, जिससे पीड़ित परिवार मानसिक रूप से और अधिक प्रताड़ित हुआ है। नैतिक और प्रशासनिक जिम्मेदारी का हनन, एक जिम्मेदार सरकारी डॉक्टर से अपेक्षा की जाती है कि वह संवेदनशील मामलों में हरसंभव संयम बरते, निष्पक्ष जांच का सामना करे तथा जनहित व मानवाधिकारों की यथासंभव रक्षा करे। मगर डॉ० नवीन कुमार चौधरी ने न केवल यह सब भंग किया, बल्कि मीडिया के माध्यम से जनता में गलत संदेश फैलाया। डॉ० नवीन कुमार चौधरी के विरुद्ध विभागीय जांच आरंभ की जाए एवं उनके सरकारी पद पर रहते हुए निजी अस्पताल में ऑपरेशन करने के कृत्य की वैधानिक समीक्षा की जाए। उनके द्वारा दिए गए मीडिया बयानों का परीक्षण कर यह देखा जाए कि क्या वह किसी जांच को प्रभावित करने, परिजनों की छवि खराब करने या दोष से बचने का प्रयास तो नहीं कर रहे। इस पूरे मामले की स्वतंत्र और न्यायिक जांच की व्यवस्था की जाए, जिससे सभी पहलुओं की निष्पक्ष पड़ताल हो सके। पीड़ित परिजनों को संरक्षण, विधिक सहायता एवं मानसिक परामर्श सेवा उपलब्ध कराई जाए। आप सभी से अपेक्षा है कि न्याय और सेवा मर्यादा की रक्षा हेतु त्वरित एवं सख्त कदम उठाए जाएं। यह खुला पत्र विकास खंड सदर के ग्राम पंचायत मरहा के अखिलेश कुमार यादव ने खिला।

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