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लाहौल स्पीति में हालडा उत्सव की धूम,

लाहौल स्पीति में हालडा उत्सव की धूम, अनोखी है मशाल जलाकर भूतों को भगाने की परंपरा भारत त्योहारों का देश कहा जाता है. यहां छोटे-छोटे कस्बों में अलग-अलग परंपराओं के तहत त्योहार मनाने का भी रिवाज है. हिमाचल प्रदेश को देव भूमि कहा जाता है. कहा जाता है कि यहां साक्षात भगवान देवी-देवताओं का वास है. ऐसे में लोगों का देवी-देवताओं के साथ भूत-प्रेत पर भी विश्वास है. माघ के महीने में लोग भूत प्रेत से बचने के लिए हालडा उत्सव मनाते हैं. कहा जाता है कि माघ महीने में देवी-देवता स्वर्ग प्रवास पर जाते हैं. ऐसे में इलाके में भूत-प्रेतों का खतरा बढ़ जाता है.

अपनी परंपराओं के लिए विश्व भर में मशहूर पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश की लाहौल घाटी में रविवार (12 जनवरी) को हालडा उत्सव मनाया गया. सीमांत लाहौल घाटी में सालों से इसी तरह हर्ष और उल्लास के साथ यह उत्सव मनाया जाता रहा है. इस दौरान गांव वाले मशाल जलाकर बुरी आत्माओं को भागते हैं. ऐसी परंपरा यहां सालों से चली आ रही है. इसका निर्वहन आज भी पूरी निष्ठा के साथ किया जाता है.

लाहौल की गाहर घाटी में रविवार (12 जनवरी) रात करीब नौ बजे ग्रामीण निर्धारित जगह पर इकट्ठे हुए. इसके बाद यहां मशाल जलाकर स्थानीय बोली में पारंपरिक गीत गाए गए. यहां ग्रामीणों ने बर्फ के बीच रात भर आग जलाकर भूत प्रेतों को भगाने का काम किया. इस दौरान ग्रामीणों ने हाथों में मशाल लेकर पूरे गांव में एक जुलूस निकाला. इस जुलूस में 'हालडा हो, हालडा हो' के नारे लगाकर पूरे गांव में घूमा जाता है. यह सालों से इसी तरह चली आ रही एक परंपरा है.

मशाल की रौशनी से जगमगाई गाहर घाटी

बर्फ की चादर में लिपटी गाहर घाटी रात के वक्त मशालों की रोशनी से जगमगा उठी. हालडा उत्सव के साथ आने वाले हफ्ते में शिकरआपा और लक्ष्मी माता की पूजा की जाएगी. मान्यता है कि सर्दियों में असुरीय शक्तियों का बोलबाला हो जाता है. इन्हीं बुरी आत्माओं को दूर भगाने के लिए मशालें जलाई जाती हैं. 

लोग गांव में अलाव में आग जलाते हैं. इसके बाद अलाव के इर्द गिर्द मशालों के साथ घूमकर 'कारदंग रानी शोशा हईशा और गुशपा राणा बबा हईशा' बोलने के साथ सीटी बजाकर हालडा को अग्नि को समर्पित कर देते है. इसके बाद इन्हें विसर्जित कर दिया जाता है. भूत-प्रेतों को भगाने के साथ हालडा उत्सव को खुशहाली और समृद्धि का भी प्रतीक माना जाता है. मान्यता है कि इस तरह गांव भर में मशाल लेकर घूमने से भूत-प्रेत भागते हैं और घर-परिवार में खुशहाली आती है.

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