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मैडम, ‘हजार’ दो ‘हजार’ पकड़ने ‘वाले’ को ‘जांच’ न ‘दीजिए

मैडम, ‘हजार’ दो ‘हजार’ पकड़ने ‘वाले’ को ‘जांच’ न ‘दीजिए

-कहा कि मैडम, जो नोडल डा. एके चौधरी और डा. एसबी सिंह खुले आम जांच, पैथालाजी

अल्टासाउंड और अस्पतालों से पैसा लेकर लाइसेंस देने पर मोहर लगाता हो और आपको बदनाम करता हो, उन्हीं दोनों को सीएमओ क्यों जांच अधिकारी बनाते, पूछा कि मैडम, क्या मेडिकल स्टोर की जांच दोनों नोडल करेगें, अगर यह करेगें तो डीआई किस लिए

-तब जाकर मैडम ने डीआई को जांच करने को लिखा, मामला डा. रमेश चंद्र कन्नौजिया के मेडिकल स्टोर की जांच कराने की मांग पर डीएम को भाकियू भानु गुट के उमेश गोस्वामी ने दोनों नोडल के बारे में कहा

बस्ती। अगर कोई व्यक्ति नवागत डीएम मैडम के पास जाकर यह कहे, कि मैडम हजार दो हजार पकड़ने वाले नोडल डा. एके चौधरी और डा. एसबी सिंह को जांच अधिकारी न बनाइए, तो आप समझ सकते हैं, कि एक डीएम दोनों नोडल के बारे में क्या सोच रही होगी? एक डीएम को सुनकर शर्म आ सकती है, लेकिन सीएमओ और उनके दोनों वसूली अधिकारी को न जाने क्यों नहीं शर्म आ रही है? दूसरा कोई नोडल होता तो वह तो वह चूल्लूभर पानी में में डूब मरता या फिर तबादला करवा अन्यंत्र चला जाता, या फिर वीआरएस के लिए आवेदन कर देता। बार-बार सवाल उठ रहा है, कि क्या डिप्टी सीएमओ रैंक पर बैठे हुए व्यक्ति का कोई मान-सम्मान नहीं? क्या ऐसे लोगों के लिए सबकुछ पैसा है? यह भी सही है, कि जो टीम पैसे के लिए कप्तानगंज एमओआईसी डा. अनूप कुमार चौधरी के मृत बच्चे के साथ सौदा कर सकती है, वह टीम पैसे के लिए कुछ भी कर सकती। आज जो जिलेभर में जो लोग अवैध तरीके से अस्पताल, अल्टासांउड और पैथालोजी का संचालन कर रहे हैं, वे  इा लिए कर रहे हैं, क्यों कि इन्हें अच्छी तरह मालूम हैं, कि जब तक दोनों भ्रष्ट नोडल रहेगें किसी का कुछ भी नहीं हो सकता, भले ही चाहे कोई अस्पताल किसी गरीब मरीज की जान ही क्यों न ले ले? इसी लिए बार-बार कहा जा रहा है, कि सीएमओ और उनके दोनों वसूली अघिकारी को जिले से बाहर जाना आवष्यक है। हो सकता है, कि इन तीनों के जाने से न जाने कितने गरीब मरीजों की जान बच जाए। पीड़ित परिवार को समझ में ही नहीं आता कि आखिर वह न्याय के लिए किसके पास जाएं, डीएम के पास जाते हैं, तो सीएमओ को जांच के लिए लिख देते है, और जब डीएम का पत्र सीएमओ के पास जाता है, तो वह उन्हीं दोनों नोडल में से एक को जांच अधिकारी बना देते हैं, जिनके संरक्षण में अवैध करोबार हो रहा है। जाहिर सी बात हैं, यह जांच न्याय दिलाने के लिए नहीं बल्कि वसूली के लिए कराई जा रही है। चूंकि कोई नेता आवाज नहीं उठाता, इस लिए प्रशासन भी कार्रवाई करने से परहेज करता।

कहा कि मैडम, जो नोडल डा. एके चौधरी और डा. एसबी सिंह खुले आम जांच, पैथालाजी

अल्टासाउंड और अस्पतालों से पैसा लेकर लाइसेंस देने पर मोहर लगाता हो और आपको बदनाम करता हो, उन्हीं दोनों को सीएमओ क्यों जांच अधिकारी बनाते, पूछा कि मैडम, क्या मेडिकल स्टोर की जांच दोनों नोडल करेगें, अगर यह करेगें तो डीआई किस लिए है। तब जाकर मैडम ने डीआई को जांच करने को लिखा, मामला डा. रमेश चंद्र कन्नौजिया के मेडिकल स्टोर की जांच कराने पहुंचे भाकियू भानु गुट के उमेश गोस्वामी ने डीएम से दोनों नोडल के बारे में कहा। कहा कि डा. एके चौधरी भ्रष्टाचार का वह सर्प हैं, जिस पर भरोसा नहीं किया जा सकता। कहा कि सबसे बड़ा वसूलीबाज डा. ऐके चौधरी और डा. एसबी सिंह है। बताया कि जिस मेडिकल स्टोर पर पूजा पांडेय नामक महिला का प्रमाण-पत्र लगा हुआ, वह कभी नहीं बैठती। इन्होंने अपनी डिग्री को कहां कहां लगा रखा हैं, इसकी भी जांच होनी चाहिए।

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