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मुंह दिखाने लायक नहीं रहे वकील साहब, दो स्मार्ट महिलाओं ने की धुनाई!

मुंह दिखाने लायक नहीं रहे वकील साहब, दो स्मार्ट महिलाओं ने की धुनाई!

-वकील साहब को उन्हीं के तख्ते पर दो महिलाओं ने की जमकर धुनाई, दौड़ा-दौड़ा कर मारा


-अभी तक तख्ते पर गोली मारने की घटनाएं हुई, लेकिन अब तो वकील साहब को महिलाएं मारने लगी

-बचाने आए जब अधिवक्ताओं ने महिलाओं से मारने का कारण पूछा तो कहा कि यह बराबर गाली दे रहा था

-घटना के 20 मिनट पहले महिलाओं के पिता के साथ वकील साहब ने चाय समोसा खाया

-वकील साहब को मारने वाली दोनों महिलाएं पड़ोसी गांव की, और दोनों का मुकदमा पलिे वकील विजय यादव लड़ रहे थे

-मार खाने के बाद भी अधिवक्ताओं ने ना कोई धरना प्रदर्शन किया और ना कार्य बहिष्कार ही किया

बस्ती। वकील साहब लोग जब वकीलों की भाषा छोड़कर गुंडे और मवाली की भाषा बोलने लगेंगे तो पिटे ही जाएगें। अगर दो महिलाएं कालेकोट वाले को उन्हीं के ही तख्ते पर सबके सामने जमकर मारती हैं, तो फिर अधिवक्ताओं की क्या इज्जत रह जाएगी? मारने वाली महिलाएं विजय यादव नामक वकील साहब के गांव पिपरा काजी के पड़ोस गांव आमभारी की रहने वाली है। पहले इन महिलाओं का केस विजय यादव ही लड़ रहे थे, मामला उस समय बिगड़ा जब महिलाओं ने दूसरे वकील यानि उस नामी वकील को पकड़ा जो पिटने वाले वकील साहब से पहले उनका केस देख रहे थे। हैरान करने वाली बात यह है, कि घटना के 20 मिनट पहले वकील साहब ने महिलाओं के पिता के साथ एक चाय की दुकान पर समोसा खाया और चाय पिया, पैसा भी नहीं दिया। वकील साहब को क्या मालूम था, कि 20 मिनट बाद उनकी धुनाई होने वाली है। बीचबचाव करने वाले अधिवक्ताओं ने जब महिलाओं से मारने का कारण पूछा तो कहने लगी कि यह रात में फोन पर गंदी-गंदी गाली देता। महिलाओं की हिम्मत तो देखिए वकील साहब को मार भी रही थी, और मारने का वीडियो बनाने को भी कह रही थी। दोनों महिलाओं की धुनाई के आगे बेवस नजर आए वकील साहब और उनके साथी। ऐसा मंजर अधिवक्ताओं ने शायद ही इससे पहले कभी देखा होगा। अगर यही मारपीट कोई पुरुष क्लांइट करता तो कालेकोट वाले उसे छोड़ते नहीं, जेल भेजवा देते, बात-बात पर विरोध जताने वाले ना जाने क्यों महिला के मामले में खामोश रहे? मारने के बाद महिलाओं ने वीडियो को सोशल मीडिया पर वायरल भी किया, यानि जो थोड़ी बहुत इज्जत कालेकोट वाले की बची थी, वह भी चली गई। इस बदनामी का दाग सिर्फ विजय यादव पर ही नहीं लगा, बल्कि बार एसोसिएषन के सदस्यों पर भी लगा। फीस या फिर अन्य कारणों से तो कई बार अधिवक्ताओं और क्लाइंट के बीच टकराव देखा गया, लेकिन इससे पहले इस तरह का सीन ना तो कभी देखा गया, और ना ही सुना गया। इस घटना के बाद उन कालेकोट वालों को सचेत हो जाना चाहिए, जो क्लाइंट से अपेक्षित व्यवहार नहीं करते। अधिवक्ताओं को खासतौर से महिला क्लांइट से अब अधिक सावधान रहना पड़ेगा। पता नहीं कब यह हमला बोल दे। अनेक ऐसे अधिवक्ता भी है, जो महिला क्लाइंट को ना तो आवास पर बुलाते हैं, और ना अकेले तख्ते पर आने को कहते है। कई अधिवक्ताओं ने तो बकायदा सावधानी बरतने के लिए आवास पर कई एंगल से कैमरा भी लगा रखा है। ताकि महिला क्लांइट के किसी भी अनर्गल आरोप से बचा जा सके।

बड़े-बड़े अपराधियों को देख लेने और उन्हें जेल भेजवाने वाले कालेकोट वाले को लोगों ने दो महिलाओं के हाथों बेरहमी से पिटते देखा। चर्चा तो डबल क्रास तक करने की हो रही है। वैसे भी इसे कोई छोटा मोटा कांड तो कहा नहीं जा सकता, अवष्य इतने बड़े कांड के पीछे बहुत बड़ा कारण रहा होगा, वरना कोई भारतीय नारी कचहरी में और अधिवक्ताओं के बीच इस तरह एक वकील को मारने की हिम्मत नहीं दिखाती। अवष्य ही महिलाओं के मान-सम्मान को ठेस पहुंचा होगा। बहरहाल, हर कोई दोनों महिलाओं के हिम्मत की दाद दे रहा है। दोनों में से एक महिला तो काफी उग्र दिखाई दे रही थी, और वही वकील साहब को खींच-खींच मार भी रही थी, दूसरी महिला तो बचाव में लगी रही। पीली टीशर्ट और जीन पहने वाली महिला ही आक्रमण की मुर्दा में रही। महिलाओं को लगा कि वकील साहब डबल क्रास कर रहे हैं, उनके विरोधियों से मिले हुएं है। बता दें कि दोनों महिलाओं का केस मार खाने वाले वकील साहब ने नामी वकील के आवास पर केस को मांगने के लिए गए थे, और यह भी कहा था, कि आप को भी इसमें लाभ करवा दूंगा, चंूकि ठहरे ईमानदार, इस लिए उन्होंने केस की पत्रावली देते हुए यह कहा कि आप चाहें जितना फीस महिला से लो हमसे कोई मतलब नहीं। अंत में वही केस फिर उसी अधिवक्ता के पास महिलाएं लेकर आई जिनसे वापस लिया गया था। इधर डबल क्रास करने की शिकायतें अधिक आने लगी। सवाल यह है, कि अगर मरीज अपने डाक्टर पर और क्लांइट अपने वकील पर भरोसा नहीं करेगा तो किस पर करेगा? कहा भी जाता है, कि फीस चाहें जितना लीजिए, लेकिन क्लाइंट को कभी डबल क्रास मत करिए, नहीं तो इसका खामियाजा किस रुप में भुगतना पड़ सकता है, जिसकी कल्पना भी डबल क्रास करने वाले वकील साहब नहीं कर सकते। अगर इसी तरह होता रहा तो लोगों का कालेकोट पर से भरोसा उठ जाएगा। इज्जत, मान-सम्मान और पैसा वही कालेकोट वाले कमाते हैं, जिनमें अपने क्लाइंट के प्रति पूरी ईमानदारी रहती है।

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