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पीएमसी के चौधरी मेडिकल स्टोर में बेची जा रही एक्सपायरी दवाएं!
-जब मरीज ने पूछा कि डा. रेनू राय कैसे और क्यों इस अस्पताल के भीतर चौधरी मेडिकल स्टोर पर मरीजों को तीन माह पुरानी एक्सपायरी दवाएं बेची जा रह रही, कहने लगी कि यह मेडिकल स्टोर हमारा नहीं, इसकी जबावदेही मेरी नहीं, जब मेडिकल स्टोर से पूछा तो बगले झांकने लगे
-इलाज कराने गई ताहिरपुर कलवारी की अल्का के पति और शिववप्रसाद यादव ने कोतवाली में एफआईआर लिखने की तहरीर दी
-आखिर पीएमसी में हो क्या रहा वाले पहले कप्तानगंज के एमओआईसी डा. अनूप कुमार चौधरी के बच्चे की मौत और अब एक्सपायरी दवा का बेचा जाना
-सवाल उठ राहा है, कि आखिर मरीज किस-किस पर विष्वास करें, डाक्टर्स पर करें या फिर नर्सिगं होम के भीतर मेडिकल स्टोर पर करें
बस्ती। पीएमसी जैसे नामी गिरामी नर्सिगं होम के भीतर स्थित मेडिकल स्टोर से अगर एक्सपायरी दवांए बेची जा रही है, तो सवाल पीएमसी पर भी उठेगा, पीएमसी की डाक्टर रेनू राय यह कहकर पल्ला नहीं झाड़ सकती कि इस मेडिकल स्टोर से उनका कोई वास्ता नहीं और जबावदेही भी उनकी नहीं बनती। अब सवाल उठ रहा है, कि तो फिर जबावदेही किसकी बनती है, क्या डा. रेनू राय इस बात से इंकार कर सकती है, कि चौधरी मेडिकल स्टोर उनके कैंपस में नहीं हैं? अगर इस मेडिकल स्टोर से एक्सपायरी दवा बेची जा सकती है, तो माना जाता है, कि अधोमानक दवाएं भी बिक रही होगीं। मरीज का पति मेडिकल स्टोर से दवा खरीदता है, और वह रेनू राय को यह दिखाने जाता हैं, कि जो दवाएं आप ने लिखी वही है। खरीदने के बाद दवाओं को डाक्टरों को दिखाना एक आम बात है। डा. रेनू राय ने दवा देखा और ओके भी किया, डाक्टर्स के ओके करने के बाद मरीज पूरी तरह संतुष्ट हो जाता है, कि जो दवाएं वह ले जा रहा है, वह न तो एक्सपायरी का होगा और न गलत दवा होगी। मरीज या फिर उसके तीमारदार को तब पता चलता है, जब वह एक दो डोज मरीज को खिला चुका होता, अगर कहीं उसकी नजर एक्सवायर डेट पर पड़ गई तो ठीक, लेकिन अगर नहीं पड़ी तो मरीज का भगवान ही मालिक। 90 फीसद से अधिक मरीज एक्सपायर डेट देखते ही नहीं, क्यों कि उन्हें पूरा भरोसा होता है, जिस दवा को डाक्टर्स ने ओके कर दिया वह एक्सपायर हो ही नहीं सकता। इसके बाद भी अगर डा. रेनू राय यह कहती हैं, यह उनकी जबावदेही नहीं बनती। सवाल उठ रहा है, तो फिर किसकी जबावदेही बनती है, मेडिकल स्टोर वाला तो पूछने पर बगले झांकने लगा। अब आप इसी से अंदाजा लगा सकते हैं, कि पीएमसी में क्यों नहीं सबकुछ ठीक ठाक चल रहा हैं? यहां पर क्यों इतनी लापरवाही होती है, जिसके चलते किसी बच्चे की मौत हो जाती और क्यों इतनी लापरवाही बरती जा रही है, कि पैसा कमाने के लिए मरीजों को तीन-तीन माह पुराने एक्सपार्ड दवा बेची जा रही हैं? बार-बार सवाल उठ रहा हैं, कि क्या डाक्टरों और दवा बेचने वालों की मरीजों के प्रति कोई जिम्मेदारी या जबावदेही बनती है, कि नहीं? जब से कुछ नर्सिगं होम वालों ने पैसा कमाना ही उद्वेष्य बना लिया, उसी दिन से मरीजों और डाक्टर्स के रिष्ते मधुर और अपनापन जैसा नहीं रहा।
कोतवाली को दी गई तहरीर में शिव प्रकाश यादव ने कहा कि वह अपनी पत्नी अल्का को पीएमसी के डा. रेनू राय के यहां चेक कराने सात अगस्त 25 को गया। इन्होंने अपने लैब टेस्ट कराया। 10 अगस्त को रिपोर्ट दी गई। उसी दिन उन्होंने दवा का पर्चा लिखा और कहा कि जाओ चौधरी मेडिकल स्टोर से दवा खरीद लो, और खरीदने के बाद दिखा देना। कहा कि उन्होंने ‘फोलिकल फोर्ट टेैब बैच नंबर टी0110ए23’ का 10 टेबलेट 250 रुपये में खरीदा इसके साथ में डैन 35 टेैब भी खरीदा। पहली वाली मार्च 2025 में एक्सपायर हो चुका। जब दवा के बारे में रेनू राय से पूछा कि यह एक्सपायरी दवा हैं और वह अपनी पत्नी को कुछ गोली खिला चुका हूं, क्या कोई दिक्कत तो नहीं होगी, यह भी पूछा कि कैसे मेडिकल स्टोर से एक्सपासरी दवाएं दी जा रही है। इस पर रेनू राय ने कहा कि मेडिकल स्टोर हमारा नहीं हैं, और इस पर हमारी कोई जबावदेही नहीं बनती है। इसके बाद उन्होंने अपने चेंबर से बाहर निकाल दिया। जब मेडिकल स्टोर वाले से पूछा तो उन्होंने भी कोई जबाव नहीं दिया। सवाल पूछने पर अगर वह डाक्टर जिसे मरीज पांच सौ रुपया फीस देता है, और अगर उसी मरीज को बेइज्जत करके चेंबर से बाहर निकाल दिया जाएगा तो मरीज/तीमारदार को कैसा लगेगा? सवाल यह भी उठ रहा है, क्या इसी को मरीज और डाक्टर्स का रिष्ता कहा जाता है? मीडिया बार-बार कहती आ रही है, कि अधिकांश डाक्टर्स जिसमें महिला डाक्टर्स सबसे अधिक हैं, का मरीजों के प्रति उनका व्यवहार बहुत ही खराब हैं, जिसके चलते न चाहते हुए भी तीमारदार शिकायत करने लगता है।
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