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पटेल-धीरसेन की जोड़ी का कमालः खर्च किया पांच लाख कमाया 25 लाख

पटेल-धीरसेन की जोड़ी का कमालः खर्च किया पांच लाख कमाया 25 लाख

-एक बोरी सीमेंट में मिलाया 16 बोरी बालू, छह-छह इंच के बजाए दो-दो फिट पर लगाया सरिया

-भुगतान लिया अव्वल ईट का प्रयोग किया थर्ड क्लास, दिखाने के लिए उपर से सीमेंट मार दिया

-नगर पंचायत रुधौली कार्यालय के सामने तालाब सौंदरीकरण के नाम पर किया लूटपाट, पटेल के द्वारा करवाया जा रहा कार्य

-इस तालाब की गुणवत्ता की जांच की उठ रही मांग, इस गोलमाल में चेयरमैन, ईओ और जेई शामिल

बस्ती। कुछ लोग नगर पंचायत रुधौली के धन को नीजि की तरह इस्तेमाल कर रहे है। जब चाहा जितना चाहा निकाला और जब चाहा उसे कारोबार में लगा दिया। जिले का यह पहला ऐसा नगर पंचायत होगा, जहां पर भ्रष्टाचार के आलावा और कुछ नहीं होता। बार-बार कहा जा रहा है, कि जब तक पटेल और धीरसेन की जोड़ी रहेगी, तब तक क्षेत्र का विकास क्षेत्र के लोगों के लिए सपने जैसा होगा। जब चेयरमैन और बाबू ठेकेदार की भूमिका निभाने लगेगे तो यही हाल होगा। जितनी शिकायतें और जांचे इस नगर पंचायत की हुई, उतनी किसी भी नगर पंचायत की नहीं हुई होगी, दोषी भी सबसे अधिक इसी नगर पंचायत के चेयरमैन और ईओ पाए गए, लेकिन हर बार एलबीसी कार्यालय की मेहरबानी से यह दोनों बचते रहें। एक तरह से एलबीसी कार्यालय भ्रष्टाचारियों को बचाने का केंद्र बना हुआ है। जबकि यह कार्यालय सीधे प्रषासन के अधीन है। कहने का मतलब जब तक प्रशासन और एलबीसी कार्यालय नहीं चाहेगा, तब तक धीरसेन और पटेल जैसे लोग भ्रष्टाचार करते रहेगें। कहना गलत नहीं होगा कि नगर पंचायतों और नगर पालिका के भ्रष्टाचार के लिए काफी हद तक एलबीसी कार्यालय को ही जिम्मेदार माना जा रहा है। इस कार्यालय के लोग अधिकारियों के करीबी होने का खूब लाभ उठाते रहें है। उन्हें भ्रमित करने से भी नहीं चूकते।

नगर पंचायत रुधौली कार्यालय के सामने लगभग 25 लाख की लागत से तालाब का सौंदरीकरण हुआ, अगर सौंदरीकरण इसी को कहते तो फिर भगवान ही मालिक है। एक माह पहले हुए इस सौंदरीकरण के सीढ़ी पर अगर एक साथ पांच-छह लोग चले जाएं भरभराकर सीढ़ी गिर जाएगा, क्यों कि इस सीढ़ी में एक बोरी सीमेंट में 16 बोरी बालू मिलाया गया। दिखाने के लिए उपर से सीमेंट का लेप लगा दिया गया। जो सरिया छह-छह इंच की दूरी पर लगाना चाहिए, उसे दो-दो फिट की दूरी पर लगाया गया। अव्वल ईट का दाम लिया और प्रयोग किया थर्ड क्वालिटी का। बताया जाता है, कि यह कार्य पटेल के ठेकेदार के द्वारा कराया गया, कहने का मतलब 25 लाख के काम में पांच-छह लाख खर्च किया और लगभग 20 लाख बचा लिया, एक आम आदमी पूरी जिदंगी अगर मेहनत करते तो इतना बचत नहीं कर सकता, जितना एक ही झटके में चेयरमैन, बाबू, जेई और ईओ ने कर लिया, यह तो एक बानगी है। अगर जेई और ईओ साहब कार्यो की गुणवत्ता देखने जाते तो इतना घटिया निर्माण न होता। शिकायत करने वाले ठेकेदार ने एडीएम के सामने बयान दिया कि अगर नगर पंचायत रुधौली के पांच साल के निर्माण कार्यो की जांच हो जाए तो करोड़ों रुपये का घोटाला सामने आ सकता है। जब भी इस नगर पंचायत की जांच हुई, वह शिकायत पर हुई, एक भी जांच प्रशासनिक अधिकारियों ने नहीं किया, क्यों नहीं किया, यह लिखने की नहीं बल्कि समझने की बात है। रुधौली क्या किसी भी नगर पंचायत के निर्माण कार्यो की जांच प्रशासनिक अधिकारियों के द्वारा नहीं की गई, क्यों इन लोगों को इतनी मनमानी करने की छूट दी गई? यह सवाल बना हुआ। जिन भी जनप्रतिनिधियों ने शिकायत भी किया, और जिनके शिकायत पर जांच हुई, वे जनप्रतिनिधि बाद में बैकफुट पर चले गए, क्यों चले गए? यह भी सवाल बना हुआ। ऐसे जनप्रतिनिधियों को जनता सबक सीखा चुकी है। यह सबक आज के उन जनप्रतिनिधियों के लिए भी है, जो पटेल और धीरसेन जैसे लोगों का रहनुमा बने हुए है।  

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