Breaking News
  1. No breaking news available
news-details
राज्य

पत्रकारिता का हथियार बना कॉपी-पेस्ट

पत्रकारिता का हथियार बना कॉपी-पेस्ट

राजेश कुमार शुक्ल

बनकटी। स्थानीय विकास क्षेत्र में न जाने कहां-कहां से कथित पत्रकारों की बाढ़ सी आ गई है। लिखने-पढ़ने वाले पत्रकारों के नाम गिनना शुरू करेंगे तो अंगुलियों पर सिमट कर रह जाएंगे। आज के परिवेश में लिखने-पढ़ने वाले पत्रकारों का अकाल सा पड़ गया है। त्योहारी वसूलने वाले पत्रकारों की लंबी फेहरिस्त बन चुकी है। पत्रकारिता का हथियार कॉपी-पेस्ट बन गया है। ब्रेकिंग न्यूज से तूफान खड़ा किया जा रहा है। क्षेत्र में पत्रकारिता की परिस्थिति बड़ी तेजी से बदल रहा है। इस समय पत्रकारिता जीवन में आने वाले बहुत कम लोग ऐसे हैं जो आदर्श को अपनाना चाहते हैं। इतना ही नहीं अपने आप को वरिष्ठ पत्रकार कहने वाले लोग अब राग दरबारी हो गये हैं। सही गलत में तो फर्क समझते हैं। लेकिन त्यौहारी के लिए गलत को भी सही ठहराने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे है। यह आधुनिक ढंग से अपनी बात आम जनमानस के सामने परोसते हैं। इसी किरदार का नया नाम गोदी मीडिया है। आदर्श पत्रकारों के लिए यह नया नाम किसी गाली से कम नहीं होता है। ऐसे लोगों के लिए यह भी पसंद है। बस सिर्फ लक्ष्य पूरा होने चाहिए।

कई अधिकारियों के यहां ऐसे लोगों के व्यक्तिगत सहायक भी होते है। जिनके इशारे पर त्योहारी भी बांटी जाती है। जांच एजेंसी या मौजूदा सरकार के हिमायती बनें रहेंगे। ज्यों ही देश की सत्ता बदली दलबदलू नेताओं की तरह पहले ही बदलेंगे, और फिर उसी सत्ता की गोद में जाकर बैठ जायेंगे। ऐसे लोगों को पत्रकार नहीं बल्कि सत्ता का दलाल कहा जा सकता हैं। यदि पत्रकारिता को जीवित रखना है, तो सत्ता के साथ नहीं बल्कि सच के साथ खड़ा होना पड़ेगा। कुछ कथित पत्रकारों के लिए खबर से ज्यादा ब्रेकिंग न्यूज की अहमियत है। पत्रकारिता के बड़े-बड़े सुरमा ब्रेकिंग न्यूज लिखने वालों के आगे नतमस्तक हो चुकें हैं। इसका इतना भयानक असर है। खबर ब्रेक होने के साथ कुछ ही मिनटों में परिणाम आने दिखाई पड़ने लगता हैं। नेता, घूसखोर अधिकारी भ्रष्ट विभाग और अफसर इनके निशाने पर होते हैं। उन्ही से होली-दिवाली के साथ और अन्य त्योहारी होती रहती है। इन पत्रकारों के जेब में ऐसे अधिकारियों और विभागों की लंबी लिस्ट होती है। 500/1000 रूपए पाने के लिए यह पत्रकार इनके ठिकानों पर घंटों बैठे रहते हैं। ऐसे सभी पत्रकारों के पास किसी न किसी संस्था का आईडी कार्ड होता है। वे संस्थान को उतना ही देते हैं। जितने में नौकरी पक्की रहे। बाकी पैसा लग्जरी व जेब में चला जाता है। मजे की बात तो यह है जो नेताओं अफसरों के यहां दरबार लगता है। तीज त्योहार पर त्यौहारी लेता है। मौजूदा परिवेश में वही पत्रकार है। बाकी इन लोगों के निगाह में सब अपनी अहमियत खो चुके होते है।

You can share this post!

सपाईयों ने कहा अमित शाह की टिप्पणी से भाजपा का सच सामने आ गया

खेत को चकमार्ग बनाकर बना दिया, कर लिया लाखों का बंदरबांट

Tejyug News LIVE

Tejyug News LIVE

By admin

No bio available.

0 Comment

Leave Comments