Breaking News
  1. No breaking news available
news-details
साहित्य/लेख

रिश्तों को जोड़ने व सम्भालने का अभियान है श्रद्धापर्व

रिश्तों को जोड़ने व सम्भालने का अभियान है श्रद्धापर्व

सफल व सुखी जीवन जीने के लिए मधुर संबंधों का होना आवश्यक है। कहा जाता है जिसके संबंधों व रिश्तों में मधुरता है, वह हर तरह से मजबूत है। वे संबंध जिसे हमने वर्षों से जोड़े हैं, वे संबंध जिसे परमात्मा ने हमारे साथ जोड़े हैं। कहते हैं कि ये संबंध एक दिन में नहीं जुड़ते हैं, इसे प्रगाढ़ बनाने में मेहनत, त्याग यहां तक कि वाणी पर भी संयम रखना पड़ता है तब ये संबंध अटूट बनते हैं। जब हम पड़ोसी से लेकर मित्र आदि जोड़ते हैं, तो संबंधों की मजबूती के लिए उपर्युक्त विषयों का ध्यान रखना चाहिए। 

आगे चलकर सभी एक दूसरे के साथ अंतःकरण से जुड़ते जाते हैं। जीवन में प्रेम, सुख शांति का होना आवश्यक है, जिसे प्राप्त करने के लिए संबंधों व रिश्तों को प्राथमिकता देनी होती है। वर्तमान में हमें नई पीढ़ी एवं पुरानी पीढ़ी जैसे आपसी विभाजन से बाहर आने की और सम्पूर्णता के साथ अपने परिवार एवं रिश्ते को सम्भालने की आवश्यकता है, ताकि सबके जीवन में खुशी, समृद्धि, सुख-शांति और सफलताएं आने लगे।

 विश्व जागृति मिशन द्वारा 1997 से संचालित अभियान श्रद्धापर्व नई एवं पुरानी पीढ़ी जैसे विभाजन से बाहर निकलकर, रिश्ते एवं परिवार को पूर्णरुपेण सम्भालने का संदेश ही श्रद्धापर्व है। 

परम पूज्य श्री सुधांशु जी महाराज द्वारा संकल्पित इस श्रद्धापर्व से करोड़ों लोगों को अब तक प्रेरणायें मिली हैं और गुरुदेव के इस महान संदेश से लोग अपने परिवार एवं समाज के बीच के रिश्तों को सुधार रहे हैं। इससे आदर्श परिवार एवं समाज का निर्माण करने में मदद मिल रही है।

हमारी भारतीय सनातन संस्कृति में माता-पिता और गुरु तीनों के सेवा-सम्मान को श्रेष्ठ तप कहा गया है। माता-पिता और गुरु भूः भुवः स्वः इन तीन लोकों और तीन वेदों ऋगवेद, यजुर्वेद, सामवेद के समान सम्मानित माने गए हैं। शास्त्रों में माता-पिता गरु व बड़े भाई को उपेक्षित करने की बात तो दूर वाणी और भावनाओं द्वारा भी अपमानित करने वाले को हे दृष्टि से देखा जाता है। इसलिए शास्त्रों में वर्णन है कि इन्हें कभी अपमानित नहीं किया जाता है। बड़ों के प्रति अभिनंदन करने जैसे प्रयोग अपनाएं जाते हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो श्रद्धापर्व का प्रथम संकल्प है हमारे ऋषियों द्वारा स्थापित भारत का संस्कार परम्पराओं के अनुरूप माता-पिता व बुजुर्ग पीढ़ी के लिए अपने परिवारों के बीच सम्मान व सुख भरा जीवन व्यतीत करने लायक वातावरण बनाना। दूसरा संकल्प देश में पुरानी व नई पीढ़ी के बीच पैदा होते पीढ़ियों के गैप को मिटाकर सुखी, शांति, सौभाग्यशाली समाज का पुनर्जागरण करना। तीसरा संकल्प है देश के विभूतिवानों को क्रमशः सम्मानित करना। विश्व जागृति मिशन अब तक राष्ट्र के उच्चपदों को सुशोभित करने वाले 250 से अधिक प्रतिष्ठित विशिष्टजनों को सम्मानित भी कर चुका है। 

इस प्रकार पूज्यवर द्वारा स्थापित संस्था विश्व जागृति मिशन हामरी भारतीय संस्कृति व आदर्श पारिवारिक जीवन के मूल्यों से नई व पुरानी सभी पीढ़ियों को जोड़ने एवं राष्ट्र के सांस्कृतिक विकास में सबको समायोजित करने का दोहरा संकल्प इस पर्व के सहारे निभा रहा है। 

अतः हम सबका दायित्व है कि गुरुवर के इस पुण्य अभियान में सहभागी बनें, ताकि पाश्चात्य संस्कृतियों में फंसते जा रहे नई युवा पीढ़ी के कारण दयनीय होते जा रहे हमारे वृद्धजनों की स्थिति को पुनः बेहत्तर बनाया जा सके, संवारा जा सके।

You can share this post!

बिहार के नालंदा में एक जीजा अपनी किशोरी साली को लेकर भाग गया,

गोल्डन लायनेसक्लब नव चेतना बिजनौर के सदस्यों ने बड़ी धूमधाम से मनाया डांडिया रास उत्सव

Tejyug News LIVE

Tejyug News LIVE

By admin

No bio available.

0 Comment

Leave Comments