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सीएमएस ने आला उठाया, डाक्टर ने जूता निकाला!

सीएमएस ने आला उठाया, डाक्टर ने जूता निकाला!

-जिला महिला अस्पताल में सीएमएस डाक्टर अनिल कुमार और डाक्टर तैयब अंसारी के बीच हुए झगड़े में आया नया मोड़, सीएमएस ने आला उठाया डाक्टर ने जूता निकाला

-सारा झगड़ा डाक्टर अंसारी का अस्पताल के मरीजों को घर पर बुलाकर इलाज करने का रहा, सीएमएस इसके लिए डाक्टर के खिलाफ पत्र भी लिख चुके

-डाक्टर ने जब सीएमएस से यह शिकायत किया कि सिस्टर उन्हें राउंड नहीं कराती, इस पर झगड़े वाले दिन सीएमएस ने डाक्टर को सिस्टर रेनू भटट के साथ आने को कहा

-सिस्टर के साथ डाक्टर सीएमएस के कमरे में पहुंचे उस समय सीएमएस काफी पी रहे थे, डाक्टर को भी काफी का आफर दिया, लेकिन मना कर दिया, सीएमएस ने रेनू का समझाया और राउंड कराने को कहा

-उस समय सीएमएस के चेंबर के बाहर चपरासी और गार्ड मौजूद था, सीएमएस के चेंबर में सीएमएस, डाक्टर और सिस्टर के अतिरिक्त और कोई नहीं था, थोड़ी देर बाद कमरे से जोर-जोर से आवाजें आने लगी, बड़े बाबू रमेश पांडेय और फार्मासिस्ट शैलेंद्र राय भागकर चेंबर में पहुंचे

-वहां पर महिला गार्ड सीएमएस को पकड़ रही थी, और चपरासी डाक्टर को पकडे हुए थे, शैलेंद्र राय डाक्टर को पकड़कर बाहर लाए, और कहा जो होगया उसे जाने दीजिए, इतने में डाक्टर ने सीएमएस को मारने के लिए जूता निकाला

-डाक्टर अंसारी कोतवाली पहुंचे और सीएमएस डा. अनिल कुमार एवं फार्मासिस्ट शैलेंद्र राय के खिलाफ मारपीट की तहरीर दे दिया, जब कि फार्मासिस्ट चेंबर में थे ही नहीं, और वह खुद डाक्टर को समझा बुझा रहे थे

बस्ती। जब भी किसी सीएमएस या फिर एसआईसी ने सरकारी डाक्टरों को प्राइवेट प्रेक्टिस करने से रोका उन्हें उसका खामियाजा भुगतना पड़ा। यह सरकारी डाक्टर सबकुछ बर्दास्त कर सकते हैं, लेकिन प्राइवेट प्रेक्टिस करना नहीं बंद कर सकतें। जिस भी सीएमएस या फिर एसआईसी ने प्राइवेट प्रेक्टिस पर रोक लगाने का प्रयास किया, डाक्टर उन्हीं के पीछे पड़ जाते है, और नीचा दिखाने के लिए मौका तलाशते रहते है। कुछ इसी तरह का जिला महिला चिकित्सालय के सीएमएस डा. अनिल कुमार के साथ भी हुआ। इन्होंने भी बच्चों के डाक्टर तैयब अंसारी को प्राइवेट प्रेक्टिस करने से रोका लिखा पढ़ी किया, लेकिन बंद नहीं हुआ। लिखापढ़ी करना डाक्टर साहब को पंसद नहीं आया। डा. अंसारी का आवास बादषाह सिनेमा के पीछे हैं, यह अस्पताल में बच्चों को देखने के साथ ही उन्हें बेहतर इलाज और बेहतर सुविधा का लालच देकर परिजन को अपने आवास पर आने को कहते, बच्चों के माता या पिता को एक पर्ची देते जिसमें आवास का पता और मोबाइल नंबर लिखा रहता। एक दिन पहले डा. अंसारी ने डीएम से मिलकर एक पत्र दिया, जिसमें डा. अंसारी ने सीएमएस और फार्मासिस्ट से जान का खतरा बताते हुए सुरक्षा व्यवस्था की मांग कर डाली। सवाल उठ रहा है, कि क्या सीएमएस और फार्मासिस्ट कोई अपराधी किस्म के व्यक्ति जिनसे डाक्टर अंसारी और उनके परिवार को जान माल का खतरा हो गया। अगर यही खतरा किसी अपराधी से होता और सुरक्षा की मांग की जाती तो बात समझ में आती। यह भी सवाल उठ रहा है, कि क्यों सीएमएस और फार्मासिस्ट, डाक्टर को जान से मारने की धमकी देगें? आखिर इससे सीएमएस और फार्मासिस्ट को क्या फायदा होगा? यह कुछ ऐसे सवाल हैं, जो डाक्टर अंसारी को ही सवालों के कटघरें में खड़ा करता है। डा. अंसारी ने माहौल बनाने के बजाए और बिगाड़ने में लगें हैं, हो सकता है, कि डा. अंसारी को यह लगता होगा कि अगर इसी केस में सीएमएस हट गए, तो वह खुलकर प्राइवेट प्रेक्टिस करेगें। मामला कुल मिलाकर प्राइवेट प्रेक्टिस से जुड़ा हुआ है। वरना कोई भी डाक्टर अपने सीएमएस से इस तरह पंगा नहीं लेना चाहेगा। बहरहाल, यह तो जांच का विषय हैं, कि किसने मारने के लिए जूता निकाला और किसने नहीं?

घटना के बारे में जो अंदर की बाते छन कर आ रही है, उसके मुताबिक डाक्टर अंसारी ने जब सीएमएस से यह शिकायत किया कि सिस्टर उन्हें राउंड नहीं कराती, इस पर झगड़े वाले दिन सीएमएस ने डाक्टर को सिस्टर रेनू भटट के साथ आने को कहा, दोनों पहुंचे, उस समय सीएमएस काफी पी रहे थे, उन्होने डाक्टर को भी काफी का आफर दिया, लेकिन मना कर दिया, सीएमएस ने रेनू भटट को समझाया और डांटा, डाक्टर को राउंड कराने को भी कहा।  

उस समय सीएमएस के चेंबर के बाहर चपरासी और गार्ड मौजूद था, सीएमएस के चेंबर में सीएमएस, डाक्टर और सिस्टर के अतिरिक्त और कोई नहीं था, थोड़ी देर बाद कमरे से जोर-जोर से आवाजें आने लगी, इस पर बड़े बाबू राकेष पांडेय और फार्मासिस्ट षैलेंद्र राय भागकर चेंबर में पहुंचे। वहां पर महिला गार्ड सीएमएस को पकड़ रही थी, और चपरासी डाक्टर को पकडे हुए थे, शैलेंद्र राय डाक्टर को पकड़कर बाहर लाए, और कहा जो होगया उसे जाने दीजिए। यह सही है, कि सीएमएस ने आला उठाया, किस लिए उठाया यह नहीं पता चला, यह भी सही है, डाक्टर ने जूता निकाला, क्यों निकाला यह भी पता नहीं चला। लगता है, कि दोनों अपने-अपने हथियार से एक दूसरे पर हमला करना चाह रहे होगें। डाक्टर अंसारी कोतवाली पहुंचे। सीएमएस डा. अनिल कुमार एवं फार्मासिस्ट शैलेंद्र राय के खिलाफ मारपीट की तहरीर दिया, जब कि घटना के समय फार्मासिस्ट चेंबर में थे ही नहीं, और वह खुद डाक्टर को समझा बुझा रहे थे। इससे पता चलता है, कि डाक्टर जो कुछ भी कह रहे हेैं, उसमें सच्चाई कुछ और है? इसी का पता लगाने के लिए जांच टीम बनाई गई। घटना के बाद एडीएम, एसडीएम, एडी हेल्थ, सीएमओ और एसआईसी पहुंचे और सभी ने एक दूसरे को समझाने और बात को यही पर समाप्त करने को कहा, लेकिन जब डाक्टर अंसारी कोतवाली में सीएमएस और फार्मासिस्ट के खिलाफ मारपीट का मुकदमा दर्ज करने की तहरीर दे आए तो मामला शांत होने के बजाए बढ़ गया, रही सही कसर एक दिन पहले डाक्टर अंसारी, डीएम से मिलने चले गए और उनसे सीएमएस और फार्मासिस्ट से जान का खतरा बताते हुए सुरक्षा व्यवस्था की मांग कर डाली। बहरहाल, इस घटना से विभाग और अस्पताल प्रशासन की बड़ी बदनामी हुई, अस्पताल को नियंत्रणविहीन तक कहा गया।

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