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सड़क ‘टूटे’ या ‘धंसे’ एक्सईएन, एई और जेई को ‘बखरा’ से ‘मतलब’

सड़क ‘टूटे’ या ‘धंसे’ एक्सईएन, एई और जेई को ‘बखरा’ से ‘मतलब’

डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के विभाग में भी डिप्टी सीएम बृजेश पाठक की तरह भ्रष्टाचार का बोलबाला

-एक अकेला सीएम ईमानदार होकर क्या करेंगे जब दो-दो डिप्टी सीएम बेईमान होगें

दोनों डिप्टी सीएम के विभागों को अधिकारी ठेकेदारों से मिलकर सरकार को चूना लगा रहें

-पीडब्लूडी के ठेकेदारों की बैठक में भ्रष्टाचार का मुद्वा छाया रहा, ठेकेदारों ने बनाई आर-पार की रणनीति, कहा अब ठेकेदार नुकसान उठाने को लेकर तैयार नहीं

बस्ती।....जिस प्रदेश में दो-दो डिप्टी सीएम हो और अगर दोनों के विभागों में भ्रष्टाचार व्याप्त हो तो इसे आप क्या कहेगें? सवाल उठ रहा है, कि क्या अकेला ईमानदार सीएम दोनों बेईमान डिप्टी सीएम से प्रदेश की जनता को बचा पाएगें? क्या सीएम दोनों के विभागों से भ्रष्टाचार को कभी समाप्त कर पाएगें? आखिर एक ईमानदार सीएम के सामने ऐसी क्या मजबूरी जो डिप्टी सीएम के खिलाफ कार्रवाई करने से रोक रही हैं? आखिर सीएम क्यों अपने वसूलों की तिलांजलि देकर सीएम की कुर्सी पर बैठे हैं? यह कुछ ऐसे सवाल जिसका जबाव प्रदेश की जनता सीएम से मांग रही है। यह भी बार-बार कहा जा रहा है, कि ऐसे सीएम के होने से क्या फायदा जिसके दोनों डिप्टी सीएम पर भ्रष्टाचार का आरोप लग रहा हो। कहना गलत नहीं होगा कि प्रदेश में आज की तारीख में सबसे अधिक भ्रष्टाचार डिप्टी सीएम बृजेश पाठक के विभाग स्वास्थ्य और दूसरे डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के विभाग पीडब्लूडी में व्याप्त है। जब से यह दोनों डिप्टी सीएम बने हैं, तब से शायद ही किसी भ्रष्ट अधिकारियों या फिर इंजीनियर्स के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई हुई हो। जब भी सीएमओ या फिर एक्सईएन को लगता है, कि उनके खिलाफ कार्यवाही होने जा रही है, वैसे ही यह ब्रीफकेश लेकर राजधानी के लिए सरकारी गाड़ी से निकल पड़ते हैं, जब आने लगते हैं, तो उनके चेहरों पर परेशानी नहीं खुशी का छाप रहता है। इसी लिए कहा जाता है, कि सड़क धंसे या टूटे एक्सईएन, एई और जेई को तो बखरे से मतलब रहता हैं, अगर वह सड़क की गुणवत्ता देखेगा तो कैसे वह राजधानी ब्रीफकेश ले जा पाएगा।

भ्रष्टाचार और अन्य समस्याओं को लेकर पीडब्लूडी के ठेकेदार एक साथ मिले, कहा कि सड़क बखरा के चलते खराब हो रही है, और अधिकारी दोष ठेकेदारों को देते है। कहते हैं, कि अगर अधिकारी बखरा लेना बंद कर दें, तो सड़कें पांच साल तक ना तो टूटेंगी और ना धंसेगी। जबरिया ठेकेदारों से हजारों रुपया रायल्टी लिया जाता है। एक-एक पत्थर की रायल्टी  पर 30-35 हजार ठेकेदारों को देना पड़ता है। भुगतान के समय जो कटौती की जाती, उसे वापस ही नहीं किया जाता, इस तरह पूरे प्रदेश में विभाग के पास ठेकेदारों का 15-20 करोड़ पड़ा हुआ हैं, तीन साल हो गए, लेकिन उसे वापस नहीं किया गया। शासन और विभाग इस मामले में मनमानी कर रहा है। कहा गया कि रायल्टी प्रपत्रों की चोरी कोई और करता है, और उसका खामियाजा ठेकेदारों को भुगतना पड़ता हैं। मुख्य रूप से ठेकेदारों द्वारा यह चर्चा की गई की लगातार विभाग द्वारा नियमों में परिवर्तन करने की वजह से ठेकेदारों को बहुत सारी व्यावहारिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है पिछले दिनों रॉयल्टी के कारण ठेकेदार पर जो जिम्मेदारी सौंप दी गई, उसके कारण ठेकेदारों को छह गुना रॉयल्टी यानि लाखों रुपया भरना पड़ रहा। जबकि यह कार्य खनन विभाग का था, दूसरी समस्या तारकोल को लेकर विभाग द्वारा नियम परिवर्तित करने की वजह से आया, तमाम ठेकेदारों जिनके छोटे-छोटे काम थे, उन्हें 10 ड्रम मैक्सफॉल्टकी जगह पर टैंकर से मैक्स पार्ट मंगाना पड़ रहा है, जिससे ठेकेदारों को नुकसान और अतिरिक्त बोझ का सामना करना पड़ रहा है, इसी प्रकार से डिपॉजिट का पैसा करोड़ों में ठेकेदारों का फसा पड़ा है, आज तक नहीं निकल पाया जिससे आर्थिक रूप से काफी परेशानियों का सामना ठेकेदारों को करना पड़ा, अब एक नई समस्या जो विभाग के अधिकारियों द्वारा ठेकेदारों पर थोपी जा रही है, वह है, पांच साल तक ठेकेदारों को सड़कों का रख रखाव प्रधानमंत्री सड़क योजना के तहत इस मानक पर करना है, जबकि प्रधानमंत्री योजना में 25 परसेंट तक अनुरक्षण के कार्यों में विभाग द्वारा पैसा खर्च किया जाता है, और वही कार्य पीडब्ल्यूडी के ठेकेदारों को पांच वर्ष तक मात्र 15 परसेंट में ही अनुरक्षण का कार्य करना होगा, इस प्रकार से बहुत सारी परेशानी जो ठेकेदार उठा रहा है अब ठेकेदार इस स्थिति में आकर खड़ा हो गया है की आर-पार की लड़ाई लड़ना ही पड़ेगा।  विभाग के अधिकारियों द्वारा लगातार ठेकेदारों का शोषण किया जा रहा है, इसे मुख्यमंत्री के संज्ञान में लाना ही पड़ेगा और अब ठेकेदार लगातार अपनी समस्याओं को उच्च स्तर पर मुख्यमंत्री और संबंधित मंत्री के संज्ञान में लाएगा और न्याय की लड़ाई लड़ा जाएगा। इस मौके पर अमर सिंह, रविंद्र मिश्र, गोविंद पांडेय, इंद्रजीत सिंह, भुवनेश प्रताप सिंह, अशोक सिंह, ओमप्रकाश पांडेय, बीके श्रीवास्तव, अजय श्रीवास्तव, रामचंद्र सिंह, करीम अहमद, उमेश त्रिपाठी, बब्लू पांडेय, शत्रुघन पाल, संतराम चौधरी एवं राजेश श्रीवास्तव सहित अन्य मौजूद रहे।

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