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सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में एक मामले की सुनवाई के दौरान हलाल सर्टिफिकेट को लेकर हैरानी जताई। उन्होंने कहा कि गैर-खाद्य उत्पादों को भी हलाल सर्टिफिकेट दिया जा रहा है, जो समझ से परे है।
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि **"आटा, बेसन और पानी की बोतल जैसे उत्पादों को हलाल सर्टिफिकेट दिया जा रहा है। यह समझना मुश्किल है कि बेसन या पानी कैसे हलाल या गैर-हलाल हो सकता है।"**
सॉलिसिटर जनरल ने यह भी बताया कि यह सिलसिला खाने-पीने की चीजों तक सीमित नहीं है। **"सीमेंट और सरिया जैसी वस्तुओं को भी हलाल प्रमाण पत्र दिया जा रहा है।"**
उन्होंने इस पर चिंता जताते हुए कहा कि हलाल प्रमाण पत्र जारी करने वाली निजी एजेंसियां इससे लाखों करोड़ रुपये कमा रही हैं। साथ ही, कंपनियां हलाल सर्टिफिकेट के खर्च को अपने उत्पाद की कीमत में जोड़ देती हैं, जिससे उपभोक्ताओं को अधिक कीमत चुकानी पड़ती है।
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