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‘दिशाहीन’ साबित हो रहा ‘दिशा’ की ‘बैठकें’

‘दिशाहीन’ साबित हो रहा ‘दिशा’ की ‘बैठकें’

-विपक्ष के सांसद और तीन विधायक फिर भी भ्रष्टाचार का मुद्वा रहता गायब, मुद्वा तो उठता लेकिन विपक्ष की ओर से नहीं बल्कि सत्ता पक्ष की ओर से उठता रहा

-सपा सांसद की अध्यक्षता में हुई दिशा की बैठक से बस्ती जिले को कौन सी दिशा मिली यह किसी को नहीं मालूम, चाय पानी और समोसा तक ही सीमित रहा दिशा की बैठक

-ग्राम पंचायत से लेकर नगर पंचायत और क्षेत्र पंचायत से जिला पंचायत में भ्रष्टाचार की गंगा बह रही, लेकिन विपक्ष के माननीयगण खामोश रहते

-विपक्ष के मानीयगण सत्ता पक्ष के जनप्रतिनिधियों के भ्रष्टाचार को उजागर करने के बजाए मौन रहना ही अपने आपको सुरक्षित समझ रहें

-अगर जिले के सबसे बड़े सदन में विपक्ष के जनप्रतिनिधि भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज नहीं उठाएगें तो उठाएगा कौन? आखिर सत्ता पक्ष को विपक्ष नहीं घेरेगा तो घेरेगा कौन?

-जब उमेश गोस्वामी जैसा आम नागरिक भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों के खिलाफ निरंतर आवाज उठा सकता है, तो विपक्ष के सांसद और विधायक क्यों नहीं? आखिर विपक्ष के सूरमा सत्ता पक्ष से इतना डर क्यों रहें? क्या इन्हें भी बाबा का बुलडोजर चलते का डर सता रहा?

-जो विपक्ष जिला पंचायत के अध्यक्ष के भ्रष्टाचार का बचाव करता हो, उस विपक्ष से और क्या उम्मीद की जा सकती है?इसी लिए कहा जाता है, कि जहां पर भ्रष्टाचार की बात आती है, वहां पर सब एक हो जातंे

बस्ती। जिले की जनता विपक्ष के सांसद और तीन विधायकों से सवाल कर रही हैं, कि आप लोग बताइए कि क्या हम लोगों ने आप लोगों को चुन कर कोई गलती तो नहीं कर दी? कहते हैं, कि आप लोगों ने हम लोगों को अपनी गलती का एहसास करा दिया, कोई बात नहीं 27 और 29 में फिर मिलेगें, तब आप लोगों को हम लोग बताएगें कि जिले की जनता अपनी गलती को सुधारना भी जानती है। गददी पर बैठाना जानती है, तो गददी से उतारना भी जानती है। जिले की जनता बार-बार विपक्ष के माननीयों से सवाल करती आ रही है, कि आखिर आप लोग क्यों नहीं भ्रष्टाचार और जनहित के मुद्वों को लेकर एकजुट होकर सत्ता पक्ष पर हमला बोलते? जबकि हम लोगों ने आप लोगों को इसी लिए चुना था, कि आप लोग भ्रष्टाचार के खिलाफ सड़क से लेकर सदन तक आवाज उठाएगें। हम लोगों ने आप लोगों को खामोश रहने और सोने के लिए नहीं चुना। कहीं ऐसा तो नहीं कि आप लोगों को यह डर तो नहीं लग रहा है, कि अगर सत्ता के खिलाफ मुंह खोला, तो इतिहास और भूगोल दोनों न खुल जाए। अगर वाकई आप लोगों को बाबा के बुलडोजर से डर लगता है, तो इस्तीफा दे दीजिए और घर जाकर एसी कमरे में आराम फरमाइए। आप जैसे डरपोक विपक्ष, जिले की जनता को नहीं चाहिए। सवाल उठ रहा है, कि जब उमेश गोस्वामी जैसा एक आम आदमी सत्ता पक्ष के भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम छेड़ सकता है, तो आप लोग क्यों नहीं छेड़ सकते? अगर छेड़ने से डर लगता है, तो कम से कम उस व्यक्ति को बैक डोर से सपोर्ट तो कीजिए, जो सत्ता पक्ष के खिलाफ आवाज उठा रहा है।

हम बात कर रहे हैं, कि क्यों ‘दिशा’ की बैठकें ‘दिशाहीन’ होती जा रही है? विपक्ष के सांसद और तीन विधायक फिर भी भ्रष्टाचार का मुद्वा गायब क्यों रहता?, मुद्वा तो उठता लेकिन विपक्ष की ओर से नहीं बल्कि सत्ता पक्ष की ओर से। सपा सांसद की अध्यक्षता में हुई ‘दिशा’ की बैठक से बस्ती जिले को कौन सी ‘दिशा’ मिली यह किसी को नहीं मालूम, चाय पानी और समोसा तक ही सीमित रह जा रहा ‘दिशा’ की बैठक। ग्राम पंचायत से लेकर नगर पंचायत और क्षेत्र पंचायत से जिला पंचायत में भ्रष्टाचार की गंगा बह रही, लेकिन विपक्ष के माननीयगण खामोष है। न जाने क्यों विपक्ष के माननीयगण, सत्ता पक्ष के जनप्रतिनिधियों के भ्रष्टाचार को उजागर करने के बजाए मौन रहना ही अपने आपको सुरक्षित समझ रहें?  सवाल उठ रहा है, कि अगर जिले के सबसे बड़े सदन में विपक्ष के जनप्रतिनिधि भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज नहीं उठाएगें तो उठाएगा कौन? आखिर सत्ता पक्ष को विपक्ष नहीं घेरेगा तो घेरेगा कौन? जब उमेश गोस्वामी जैसा आम नागरिक भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों के खिलाफ निरंतर आवाज उठा सकता है, तो विपक्ष के सांसद और विधायक क्यों नहीं? आखिर विपक्ष के सूरमा सत्ता पक्ष से इतना डर क्यों रहें? क्या इन्हें भी बाबा का बुलडोजर चलते का डर सता रहा? आम नागरिक मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहा है। फिर भी सबसे बड़े सदन में विपक्ष खामोश रहता। ‘दिशा’ की बैठकों में भी विपक्ष की ओर से कोई आवाज नहीं उठता। जिले के लोगों को लगता ही नहीं कि विपक्ष भी है। विपक्ष का अधिकतर समय अपने नेताओं की पुण्यतिथि और जन्म-दिन मनाने में बीत जाता है। विपक्ष अपनी जिम्मेदारी को निभाना ही भूल गया। विपक्ष के नेता न तो सदन में और न जिले में ही भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाते, इन लोगों की मांग सड़कों तक ही सीमित रह जाती है। विपक्ष के नेता दिषा की बैठक में भाग लेना तो पसंद करते हैं, लेकिन जिले के प्रभारी मंत्री के विकास कार्यो की समीक्षा में भाग लेने से परहेज करते जबकि यहीं पर ही सबसे अधिक विपक्ष के नेताओं की आवष्यकता रहती है। ताकि वह विकास के होने और न होने तथा विकास के नाम पर हो रहे लूटपाट को बता सके। ऐसा भी नहीं कि विपक्ष लूटपाट नहीं कर रहा है। लूटपाट करने के मामले में पक्ष और विपक्ष एक हो जाते है। जो विपक्ष जिला पंचायत के अध्यक्ष के भ्रष्टाचार का बचाव करता हो, उस विपक्ष से और क्या उम्मीद की जा सकती है?इसी लिए कहा जाता है, कि जहां पर भ्रष्टाचार की बात आती है, वहां पर सब एक हो जाते है। बहरहाल, अगर विपक्ष के नेताओं ने अपनी कार्यशैली को नहीं बदला तो 27 में खामियाजा भुगताने को तैयार रहें।

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