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योगी सरकार का बड़ा फैसला, नजूल की जमीनों पर अभी नहीं बुलडोजर चलेगा, कोई नहीं होगा बेदखल.

योगी सरकार का बड़ा फैसला, नजूल की जमीनों पर अभी नहीं  बुलडोजर चलेगा, कोई नहीं होगा बेदखल.

UP News: यूपी की योगी सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. यूपी में नजूल की जमीनों पर "फिलहाल" न तो बुलडोजर चलेगा और न ही इससे किसी को बेदखल किया जाएगा. इसे चुनाव से पहले सरकार का बड़ा कदम माना जा रहा है.

नजूल संपत्ति क्या है?

1857 से लेकर देश की आजादी से पहले तक इस तरह जो भी संपत्तियां जब्त की गई उन्हें नजूल संपत्ति कहा जाता है।

नजूल जमीन का मालिक कौन है?

नजूल जमीन का मालिकाना हक सरकार के पास होता है। नजूल जमीन के रखरखाव और उसका उपयोग किस तरह करना है यह प्रशासन द्वारा तय होता है। ज्यादातर प्रशासन इस जमीन का इस्तेमाल सरकारी स्कूल, अस्पताल या पंचायत भवन बनाने में करता है। कई बार इलाकों में हाउसिंग सोसायटीज भी नजूल की जमीन पर बनाई जाती है, जिसे लीज पर दिया जाता है।

नज़ूल भूमि का स्वामित्व सरकार के पास है लेकिन अक्सर इसे सीधे राज्य संपत्ति के रूप में प्रशासित नहीं किया जाता है। राज्य आम तौर पर ऐसी भूमि को किसी भी इकाई को 15 से 99 वर्ष के बीच एक निश्चित अवधि के लिये पट्टे पर आवंटित करता है।

सरकार ने कहा था कि, नजूल भूमि सिर्फ सरकारी संस्थाओं को ही दी जाएगी. इसके अलावा सरकार नजूल भूमि पर आवंटित पट्टों और निर्माण का सर्वे कर रही है ताकि पता किया जा सके कि किन लोगों के पट्टे की अवधि समाप्त हो चुकी है. अवधि समाप्त होने के बाद सरकार उसका नवीनीकरण भी नहीं करेगी और जमीन वापस ले लेगी. इस अध्यादेश के खिलाफ याचिका दाखिल कर इसे गैरकानूनी बताया गया है. अदालत इस मामले में अगली सुनवाई पांच अप्रैल को करेगी. अंग्रेजों के समय जिस जमीन का मालिक कोई नहीं होता था, उसे नजूल जमीन कहा जाता है. सरकार इसे लीज पर लोगों को आवंटित करती है. लोकसभा चुनाव से ठीक पहले योगी सरकार की इस अंडरटेकिंग को बेहद अहम माना जा रहा है.

गौरतलब है कि यूपी में नजूल की जमीनों को लेकर योगी सरकार द्वारा पिछले दिनों लाए गए नए अध्यादेश को इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर चुनौती दी गई है. याचिका में अध्यादेश को असंवैधानिक बताते हुए इसे रद्द करने की मांग की गई है. शुक्रवार को याचिका पर सुनवाई के दौरान यूपी सरकार की ओर से चीफ स्टैंडिंग काउंसिल कुणाल रवि सिंह ने इस बात की अंडरटेकिंग दी कि फिलहाल सर्वे कार्य ही किया जाएगा. नजूल की जमीनों से न तो किसी को बेदखल किया जाएगा और न ही बुलडोजर एक्शन होगा.

5 अप्रैल  को होगी अगली सुनवाई 

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए यूपी सरकार से पांच अप्रैल तक जवाब दाखिल करने को कहा है. डॉक्टर अशोक तेहलियानी की याचिका पर इस मामले की सुनवाई जस्टिस एसडी सिंह और जस्टिस सुरेंद्र कुमार की डिवीजन बेंच में हुई. जानकारी के मुताबिक यूपी सरकार ने पिछले दिनों जारी किए गए अध्यादेश में कहा है कि सरकार अब नजूल भूमि का पट्टा किसी प्राइवेट व्यक्ति या संस्था को नहीं देगी.

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