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100’ साल बाद ‘कुर्मी’ बोर्डिगं में ‘कुर्सी’ के लिए छिड़ी ‘जंग’!

100’ साल बाद ‘कुर्मी’ बोर्डिगं में ‘कुर्सी’ के लिए  छिड़ी ‘जंग’!

-सौ साल में पहली बार मामला सहायक रजिस्टार फर्म्स, सोसायटी तथा चिट्स गोरखपुर के सहायक रजिस्टार बीके सिंह के यहां पहुंचा, पूर्व जज आद्या षरण चौधरी की शिकायत पर सरदार पटेल स्मारक संस्थान के महामंत्री से लिखित में अभिकथन एवं मूल अभिलेख कार्यवाही रजिस्टर, सूचना रजिस्टर, सदस्यता रजिस्टर, सदस्यता रसीद, कैष बुक, पासबुक एवं बिल बाउचर एक सप्ताह में उपलब्ध कराने को कहा, ताकि गुणदोष के आधार पर अग्रिम कार्रवाई की जा सके

बस्ती। सरदार पटेल स्मारक संस्थान जिसे लोग कुर्मी बोर्डिगं के नाम से भी जानते हैं, के कथित वित्तीय अनियमितता का मामला अगर 100 साल में पहली बार सहायक रजिस्टार फर्म्स, सोसायटी तथा चिट्स गोरखपुर के यहां पहुंचता है, तो यह संस्था के पदाधिकारियों के कामकाज पर बड़ा सवाल उठता है। सौ साल बाद पहली बार इस संस्थान में कुर्सी के लिए जंग होते देखा जा रहा है। सवाल यह भी उठ रहा है, कि जिस संस्था में कभी एक रुपये के गबन का आरोप किसी पर सौ साल में नहीं लगा और अब अगर अध्यक्ष, वरिष्ठ अध्यक्ष, महामंत्री, कोषाध्यक्ष एवं लेखा परीक्षक पर 10 लाख के गबन का आरोप लगता तो इसे अतिगंभीर माना जा रहा है। यह मामला तब और गंभीर हो जाता है, जब गबन का आरोप पूर्व जज जैसा सम्मानित और जिम्मेदार व्यक्ति लगाता है। आरोप सही है, या गलत इसका निर्णय तो एक सप्ताह बाद होगा, लेकिन जो अंदर की लड़ाई सड़क पर और पुलिस तक पहुंची है, उसके बारे में संस्था के सभी सम्मानित पदाधिकारियों को सदस्यों को मिलजुल और आपस में बैठकर हल निकालना होगा, क्यों कि इस संस्था का नाम सांसद और विधायक सहित जिलेभर के न जाने कितने सम्मानित और इज्जतदार व्यक्तियों का नाम जुड़ा हुआ है। अगर यह लड़ाई पद के लिए हो रही है, तो इसका मतलब इतनी पुरानी संस्था में भी राजनीति का समावेश हो गया और अगर यह लड़ाई बजट के उपयोग/दुरुपयोग को लेकर हो रही है, तो मामला और भी गंभीर हो जाता है। बहरहाल, इस मामले में पूर्व जज आद्या शरण चौधरी की ओर से संस्थान के अध्यक्ष एवं पूर्व सीएमओ डा. आरपी वर्मा, वरिष्ठ उपाध्यक्ष अमित चौधरी, कोषाध्यक्ष श्रीराम चौधरी, महामंत्री डा. सुरेदं्र प्रसाद चौधरी एवं लेखा परीक्षक राम कमल चौधरी के खिलाफ गबन के आरोप में मुकदमा दर्ज करवाने के लिए कोतवाली में तहरीर दे चुके है। अगर कहीं इन लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हो गया तो जो सौ साल में नहीं हुआ वह अब होगा। इसी लिए बार-बार कहा जा रहा है, कि विधिक और चिट्स सोसायटी के सहायक रजिस्टार की कार्रवाई से पहले हल निकल सकता है, तो सभी को मिजुलकर बिना भेदभाव और आपसी मनमुटाव के निकाल लेना चाहिए, इसी में इतनी पुरानी संस्थान और संस्थान के सम्मानित सदस्यों का मान-सम्मान छिपा हुआ है।

पूर्व जज के द्वारा 18 नवंबर 25 को रजिस्टार फर्म सोसाइटीज तथा चिट्स गोरखपुर को लिखे पत्र में कहा है, कि सरदार पटेल स्मारक संस्थान के अध्यक्ष का निधन 11 जुलाई 25 को हुआ। आठ अगस्त 25 को कार्यकारिणी की बैठक में अध्यक्ष के खाली पद का चुनाव बिना पूर्व एजेंडा के अन्य प्रस्ताव अध्यक्ष की अनुमति से संस्थान के नियमावली के प्राविधान पृष्ठ-3 कंडिका-10 ‘ड’ रिक्त स्थान की पूर्ति में दिए गए निर्देशो के विरुद्व प्रबंधकारिणी के समिति के सदस्यों में से ही वरिष्ठ उपाध्यक्ष को अध्यक्ष, कनिष्ठ  उपाध्यक्ष को वरिष्ठ उपाध्यक्ष तथा प्रबंधकारिणी के एक अन्य सदस्य को कनिष्ठ उपाध्यक्ष के रुप में मनमानी तरीके से चयनित कर लिया। जब कि  नियमावली में स्पष्ट है, कि प्रबंधकारिणी समिति में पद रिक्त होने पर प्रबंधकारिणी सभा के आधे सदस्यों की सहमति से साधारण सभा से भरा जाएगा। इतना ही नहीं 12 अक्टूबर 25 के प्रबंधकारिणी समिति की बैठक में आठ अगस्त 25 की बैठक में नियमावली के विरुद्व लिए गए नियमों को सुधारने तथा नियमानुकूल कार्य किए जाने के लिखित प्रस्ताव को मनमानी तरीके से निरस्त कर दिया गया। महामंत्री से बैठक आठ अगस्त 25 की सत्यापित प्रतिलिपि के मांग आवेदन को भी मनमानी तरीके से निरस्त कर दिया गया। कहा कि ऐसी दशा में संस्थान की रक्षा के लिए संस्थान के प्रबंधकारिणी में नियमावली के विरुद्व पद हथियाने की साजिश रची गई। पत्र में संस्थान की प्रबंधकारिणी समिति का गठन नियमानुसार करने की मांग की गई, इस पर सहायक रजिस्टार फर्म्स, सोसायटी तथा चिट्स गोरखपुर के सहायक रजिस्टार बीके सिंह ने पूर्व जज आद्या शरण चौधरी की शिकायत पर सरदार पटेल स्मारक संस्थान के महामंत्री से लिखित में अभिकथन एवं मूल अभिलेख कार्यवाही रजिस्टर, सूचना रजिस्टर, सदस्यता रजिस्टर, सदस्यता रसीद, कैश बुक, पासबुक एवं बिल बाउचर एक सप्ताह में उपलब्ध कराने को कहा, ताकि गुणदोष के आधार पर अग्रिम कार्रवाई की जा सके।

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